अपने छोटे बेबी को जरूर दें इन वैक्सीन की डोज, जानें कब और कैसे लगवाएं इन्‍हें

आप सरकारी अस्पताल में वैक्‍सीन लगवाते हैं, तो यहां 4 ऐसी वैक्‍सीन के बारे में बताया है, जो केवल प्राइवेट हॉस्पिटल में ही उपलब्‍ध होती हैं और इन्‍हें बच्‍चे को लगवाना बहुत जरूरी होता है।
अपने छोटे बेबी को जरूर दें इन वैक्सीन की डोज
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हाइलाइट्स :

  • वैक्‍सीन बच्‍चों को संक्रमण से बचाती है।

  • सरकारी अस्‍पतालों में उपलब्ध नहीं है हेपेटाइटिस ए की वैक्‍सीन।

  • बच्‍चों को लगवाएं टाइफाइड वैक्‍सीन।

  • बच्‍चों को चिकन पॉक्‍स का टीका जरूर लगवाना चाहिए।

राज एक्सप्रेस। बच्‍चे के जन्‍म लेने के बाद सबसे जरूरी चीज होती है उसका वैक्सीनेशन। यह बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत जरूरी है। इससे बच्‍चों को संक्रामक और जीवन घातक बीमारियों से सुरक्षित रखा जा सकता है। कई वैक्‍सीन तो इतनी ज्‍यादा प्रभावी रही हैं कि कुछ बीमारियां या तो ख़त्म हो गई या आसानी से नियंत्रित हो गई हैं। अगर आपके घर में छोटे बच्‍चे हैं, तो उन्हें समय-समय पर वैक्‍सीन जरूर लगवाना चाहिए। वैक्‍सीन प्राइवेट या फिर सरकारी अस्‍पतालों में भी लगवा सकते हैं। जो लोग बहुत ज्‍यादा पैसा खर्च नहीं कर सकते, उनके लिए सरकारी अस्‍पताल का ऑप्‍शन बेस्‍ट होता है। लेकिन कुछ वैक्‍सीन सरकारी अस्‍पतालों में उपलब्‍ध नहीं होतीं। इन्‍हें प्राइवेट हॉस्पिटल में जाकर ही लगवाना पड़ता है। पीडियाट्रिशियन डॉ. पार्थ सोनी ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्‍ट के जरिए ऐसी 4 वैक्‍सीन के बारे में बताया है, जो सरकारी अस्‍पतालों में नहीं बल्कि प्राइवेट अस्‍पतालों में ही लगाई जाती हैं। यह बच्‍चों की जिन्‍दगी के लिए बहुत जरूरी हैं। इसलिए इन्‍हें भूलकर भी मिस नहीं करना चाहिए। तो आइए जानते हैं बच्‍चों के लिए जरूरी वैक्‍सीन के बारे में।

टाइफाइड वैक्‍सीन

डॉ.सोनी बताते हैं कि 6 महीने की उम्र में सिर्फ 1 डोज देने से ही बच्चा टाइफाइड से सुरक्षित रह सकता है। अगर आपके आसपास टाइफाइड के ज्‍यादा मामले हैं, तो आप 2 डोज भी लगवा सकते हैं। बता दें कि टाइफाइड संक्रामक भोजन और पानी से फैलता है। इसके सेवन के बाद आंत में इंफेक्‍शन होता है, जिससे बच्‍चे को उल्टी और दस्‍त लग जाते हैं। इसके अलावा गंभीर मामलों में हाई ग्रेड फीवर के साथ इंटेस्टिनल अल्सर जैसे मामले भी देखे जाते हैं।

हेपेटाइटिस ए

हेपेटाइटिस ए एक एक्यूट लिवर डिजीज है, जो हेपेटाइटिस के कारण होती है। भारत में हेपेटाइटिस के बहुत ज्‍यादा मामले देखे जाते हैं। इसके लक्षणों में थकान, पेट दर्द, मतली शामिल है। एक्‍सपर्ट के अनुसार, 12-23 महीने के बच्चों को यह वैक्सीन लगवाना जरूरी होता है। इसके बाद कम से कम 6 महीने बाद दूसरी खुराक दी जाती है। जिन बच्चों का 2 वर्ष की उम्र तक वैक्सीनेशन नहीं किया गया है उन्हें बाद में वैक्सीन दी जा सकती है।

चिकन पॉक्स वैक्‍सीन

बच्‍चों को चिकनपॉक्‍स जैसी बीमारी से बचाने के लिए चिकन पॉक्‍स की वैक्‍सीन लगाई जाती है। बता दें कि यह रोग संक्रमित व्‍यक्ति को टच करने से होता है। इसमें भी हाई ग्रेड फीवर आता है और त्‍वचा पर लाल रंग के रैशेज दिखने लगते हैं। कभी-कभी गंभीर मामलों में लंग और ब्रेन इंवॉल्वमेंट भी देखने को मिलती है। एक्सपर्ट के अनुसार, चिकनपॉक्‍स की वैक्‍सीन के 2 डोज दिए जाते हैं, पहला डोज 15 साल की उम्र में और दूसरा डोज 18-19 महीने की उम्र में दी जानी चाहिए।

इन्फ्लूएंजा वैक्सीन

इन्फ्लूएंजा यानी फ्लू एक संक्रामक वायरल श्वसन रोग है, जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। बुखार, सिर दर्द, उल्टी, बदन दर्द इसके मुख्‍य लक्षण हैं। इन्फ्लुएंजा का टीका बच्‍चे को 6 महीने के बाद लगवाया जाना चाहिए। इससे बच्चों में फ्लू से बचाव होता है।

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