टीनएजर के पैरेंट हैं आप, तो रोमांटिक रिलेशनशिप के बारे में ऐसे करें बात

उम्र बढ़ने के साथ बच्‍चों की फीलिंग चेंज होने लगती है। पैरेंट्स को बच्‍चों से रोमांटिक रिलेशनशिप के बारे में बात करने की हिम्‍मत जुटानी चाहिए। ताकि बच्‍चे गलत रास्‍ते पर न चले जाएं।
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हाइलाइट्स :

  • पैरेंट्स के लिए बच्‍चे का रोमांटिक रिलेशन को डाइजेस्‍ट करना मुश्किल होता है।

  • टीनएजर के साथ प्‍यार पर खुलकर बात करने से डरते हैं पेरेंट्स।

  • अपने बच्‍चे के लिए सेफ स्‍पेस बनाएं।

  • इस उम्र में प्‍यार और मोह के बीच अंतर समझाना जरूरी।

राज एक्सप्रेस। बढ़ती उम्र के बच्‍चों के साथ डील करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है। खासतौर से जब बात टीनएजर्स की होती है, तो पैरेंट़स को कई दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है। इस उम्र में अक्‍सर बच्‍चों को दुनिया बॉलीवुड फिल्‍म की तरह लगती है। हर नई चीज को जानने की उत्‍सुकता उनके मन में रहती है। बच्‍चे इस दौर में रोमांटिक रिलेश‍नशिप में भी पड़ जाते हैं। लड़का हो या लड़की रिलेशनशिप के बारे में पता चलते ही माता-पिता बच्‍चों की कई चीजों पर रोक लगा देते हैं। पर क्‍या वास्‍तव में ऐसा करना सही है। हमारे समाज में ऐसे विषयों पर बच्‍चों के साथ बात करना गलत माना जाता है। अगर बच्‍चा बात करना चाहे, तो पैरंट्स भी शर्म के मारे बात नहीं करते। अगर आपका बच्‍चा भी टीनएज कैटेगरी में आ गया है, तो यहां कुछ तरीके बताए गए हैं, जो बच्‍चे के साथ रोमांटिक रिलेशन पर बातचीत को आगे बढ़ाने में आपकी हेल्‍प कर सकते हैं।

सेफ स्‍पेस बनाएं

अगर बच्‍चा आपको अपने रिलेशन के बारे में बताए तो उसे समझाएं कि अपोजिट सेक्‍स के प्रति अट्रैक्ट होना सामान्‍य है। हालांकि, भारत में ऐसी बातचीत को अक्‍सर शर्म और संदेह के साथ देखा जाता है, इसलिए जरूरी है कि हम अपने बच्‍चों को सेफ जगह दें, जहां वे आपकी बात को खुलकर आपके सामने रख सकें।

भावनाओं का सम्‍मान करें

ये सच है कि बच्‍चे के साथ ऐसी बातचीत से आपको अजीब महसूस हो सकता है। हो सकता है आपको गुस्‍सा भी आए, लेकिन आपको उनकी भावनाओं का सम्‍मान करना आना चाहिए। अगर आप उसकी बात ध्‍यान से सुनेंगे, तो वह अनचाही सलाह लेने के बजाय सिर्फ आपसे ही सलाह लेगा।

उदाहरण देकर समझाएं

टीनएजर्स अक्‍सर फिल्‍म और वेब सीरीज के जरिए रोमांटिक रिलेशनशिप को अलग नजरिए से देखते हैं। लेकिन यह सच्‍चाई नहीं है। बच्‍चे को बताएं कि रिश्‍तों और दोस्‍ती में सीमा बनी रहनी चाहिए। आप खुद एक स्वस्थ, प्रेमपूर्ण वातावरण रखें जहां आपका बच्चा सीख सके कि झगड़ा होने का मतलब रिश्ते का अंत नहीं होता, लेकिन अच्‍छी समझ के साथ लड़ाई को सुलझाने से चीजें काफी हद तक आगे बढ़ सकती हैं।

प्‍यार और माेह में अंतर बताएं

जैसे जैसे बच्‍चे की उम्र बढ़ती है, उनमें अपोजिट सेक्‍स के प्रति क्‍यूरोसिटी बढ़ती है। इस लेवल पर बच्चे को बताना चाहिए कि प्‍यार और मोह में अंतर होता है। मोह में रोंगटे खड़े होना और पेट में तितलियां उड़ना शामिल है, जबकि प्‍यार का मतलब खुशी और विश्‍वास होता है। रिश्तों पर लेबल लगाने की जल्दबाजी हानिकारक हो सकती है क्योंकि टीनएजर अक्सर ज्‍यादा उम्मीदें लगाते हैं, जो जरूरी नहीं कि वास्तविकता में बदल जाएं।

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