Diwali 2022 : दीप पर्व की खुशियों से सराबोर प्रदेश, आज होगा महालक्ष्मी पूजन
राज एक्सप्रेस। पांच दिवसीय दीपपर्व का सबसे अहम दिन कार्तिक अमावस का रहता है, जिस दिन धन की देवी लक्ष्मी का पूजन होता है। माता लक्ष्मी की अगवानी में लोग कई दिन पहले से जुटे हुए हैं। रंगाई-पुताई, खरीदी के साथ ही पर्व के तीसरे दिन सोमवार को लक्ष्मी पूजन होगा। सोमवार को चौदस शाम पांच बजकर 29 मिनिट तक रहेगी। इसके बाद कार्तिक अमावस्या प्रारंभ होगी। इसके बाद महालक्ष्मी का पूजन प्रारंभ हो जाएगा।
सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य व धन की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी के पूजन की शुभ घड़ी आ गई है। सोमवार को प्रदोष काल में महालव्य योग में दीपावली पूजन का सर्वश्रेष्ठ योग रहेगा। घरों तथा प्रतिष्ठानों में समृद्धि के दीप जलेंगे, खुशियों की आतिशबाजी भी की जाएगी। ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार सुबह रूप चौदस तथा शाम को दीपाली मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार महालक्ष्मी पूजा में योगों का विशेष महत्व रहता है। ज्योतिष शास्त्र में पंच महापुरुष योगों का अनुक्रम बनता है। महालक्ष्मी की पूजा के समय इनमें से दो योग भी शुभ व केंद्रकारी हों तो पर्वकाल को विशेष बना देता है। इसी क्रम में शुक्र का केंद्र गत होकर तुला राशि में होना तथा शनि का मकर राशि में होना क्रमश: मालव्य व शश योग का निर्माण करता है। इस योग में माता लक्ष्मी की पूजा से सुख,समृद्धि की प्राप्ति होती है।
चतुर्गही योग दिलाएगा समृद्धि व विशेष लाभ :
दीपावली पर तुला राशि में चंद्र, सूर्य, शुक्र व केतु की चतुग्र्रही युति बन रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुला राशि में चंद्र, सूर्य व शुक्र की युति विशेष शुभ मानी जाती है। इस बार तीन ग्रहों के साथ केतु भी मौजूद है, इससे यह चतुर्गही युति बन रही है। केतु का स्वभाव शुक्र के जैसा होता है, इस दृष्टि से इस युति योग में महालक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों को समृद्धि तथा विशेष लाभ की प्राप्ति होगी।
इस बार धनतेरस का पर्व शनिवार व रविवार को मनाया गया है। इसी तरह से रूप चौदस का पर्व भी रविवार को ही मनाया जा रहा है। रूप चौदस रविवार सायं 4:45 से शुरू होकर सोमवार को शाम पांच बजकर 29 मिनिट तक रहेगी। इसके बाद कार्तिक अमावस्या प्रारंभ होगी। इसके बाद महालक्ष्मी का पूजन प्रारंभ हो जाएगा। मंगलवार को सूर्य ग्रहण होने का सूतक 12 घंटे पहले लग जाता है। इसलिए सूतक चार बजे से लगेगा। इसलिए मंदिर के पट रात में बंद होने के बाद बुधवार को खुलेंगे। इसलिए गोर्वधन पूजन व अन्नकूट का आयोजन भी बुधवार को किया जाएगा। हवन पूजन में शुभ मुहुर्त का विशेष महत्व रहता है। इसलिये हवन पूजन शुभ लग्न व मुहुर्त करना ही विशेष फलदायी होता है।
पूजन के लिए चौघड़िया मुहूर्त :
अमृत - सुबह 06:00 बजे ,से 07:30 बजे तक
शुभ - सुबह 09:00 से 10.30 बजे तक
चर - दोपहर 01:30 से 03:00 बजे तक
लाभ - दोपहर 03:00 से 04:30 बजे तक
लग्न अनुसार शुभ मुहूर्त :
वृषभ लग्न - सुबह 08:34 से 09:11 मिनिट तक
सिंह लग्न - मध्यरात्रि 01:42 मिनिट से 03:57 तक
वृश्चिक लग्न - सुबह 08:34 से 10:51 तक
कुंभ लग्न - दोपहर 02:38 से 04:08 तक
गोधूलि प्रदोष बेला - शाम 05:58 से रात्रि 08:32 तक
सूर्य ग्रहण 4 ग्रहों के दुर्लभ योग में :
हर साल दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है, क्योंकि 25 अक्टूबर की शाम आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। दीपावली और गोवर्धन पूजन के बीच सूर्य ग्रहण और बुध, गुरु, शुक्र, शनि का अपनी-अपनी राशि में होना, ऐसा योग पिछले 1300 सालों में नहीं बना है। ये ग्रहण भारत के अधिकतर हिस्सों में दिखेगा। इस कारण इसका सूतक रहेगा, सभी धार्मिक मान्यताओं का पालन किया जाएगा। दिवाली की रात पूजन के बाद लक्ष्मी जी की चौकी सूतक लगने से पहले हटा लें या 25 अक्टूबर की शाम ग्रहण खत्म होने के बाद हटाएं। 24 अक्टूबर को दीपावली पूजन के पश्चात मध्य रात्रि 01:47 से 03:57 सिंह लग्न में पूजन उपरांत मां लक्ष्मी का पाटा उठाया जा सकता है। 25 अक्टूबर को शाम 7 बजे के बाद (ग्रहण के मोक्ष उपरांत) देव पूजन करें।
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