श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व
राज एक्सप्रेस। इस वर्ष श्रावण मास 14 जुलाई से शुरू हो रहा है, जिसका समापन 12 अगस्त श्रावण पूर्णिमा को होगा। इस मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व होता है। श्रावण मास के सोमवार को शिवलिंग में जलाभिषेक, दूधाभिषेक के साथ भोलेनाथ की पूजा करना काफी लाभकारी माना जाता है। इसके साथ ही श्रावण मास में कांवड़ यात्रा करना भी शिव की आराधना में शामिल है। ऐसा माना जाता है कि सावन माह में भगवान शिव की पूजा करने से तुरंत फलों की प्राप्ति होती है। शहर में स्थित शिव मंदिरों में श्रावण मास को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है।
श्रावण को शिवत्व के अनुरूप वर्ष का सबसे पवित्र महीना माना जाता है, तथा साप्ताहिक दिन सोमवार को शिव की उपासना का दिन माना गया है। इस प्रकार श्रावण माह के सोमवार की महत्ता और भी अधिक हो जाती है। श्रावण को साधारण बोल-चाल की भाषा मे सावन कहा जाता है, अत: सावन के सोमवार भगवान शिव के सबसे प्रिय दिन माने जाते हैं।
श्रावण मास के योग :
वैधृति योग : 13 जुलाई दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से 14 जुलाई सुबह 08 बजकर 27 मिनट तक।
विष्कुम्भ योग : 14 जुलाई सुबह 8 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 15 जुलाई सुबह 04 बजकर 16 मिनट तक।
प्रीति योग : 15 जुलाई सुबह 04 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 16 जुलाई सुबह 12 बजकर 21 मिनट तक।
सोमवार की तिथियां :
सावन सोमवार व्रत - 18 जुलाई, 25 जुलाई, 01 अगस्त, 08 अगस्त
सावन मास का अंतिम दिन - 12 अगस्त
ये चढ़ाने से होंगे शिव प्रसन्न :
श्रावण मास में भगवान शिव की विभिन्न तरह से पूजा की जाती है। माना जाता है कि श्रावण मास में शिवलिंग का आभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। भगवान शिव और शिवलिंग की पूजा करते समय कमल, बेलपत्र, दूर्वा, हरसिंगार, दुपहरिया, कनेर, बेला, चमेली, शमी, मदार का फूल, धतूरा आदि अवश्य चढ़ाएं, इससे भगवान शिव प्रसन्न होंगे और कृपा करेंगे।
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