फाल्गुन पूर्णिमा आज, जानें बुराई पर अच्छाई के पावन पर्व होलिका दहन का क्या है शुभ मुहूर्त...
Holika Dahan 2023: होलिका दहन भारत का एक प्रमुख पर्व है, जो हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और इस दिन होली का त्योहार भी मनाया जाता है। यह पर्व पुराने समय से ही मनाया जाता है और इसके पीछे कई रोचक कथाएं भी जुड़ी हैं। होलिका दहन का महत्व हिंदू धर्म में बहुत ऊँचा माना जाता है। इस दिन पूरे देश में लोग होली का उत्सव मनाते हैं, जिसमें रंगों से खेलते हैं, प्रसाद बाटते हैं और अपने प्रियजनों के साथ खुशी मनाते हैं। तो आइये आज 7 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन का शुभ मुहूर्त जान लेते है।
आज इस मुहूर्त में जलाएं होली :
बुराई पर अच्छाई के पावन पर्व होलिका दहन का शुभ मुहूर्त यह है, इस शुभ मुहूर्त के अनुसार ही सभी होली जलाएं- होलिका दहन मुहूर्त- शाम 06.31 सेसे रात 08.58 बजे तक का है।
होलिका दहन 2023 रात्रि का चौघड़िया मुहूर्त-
लाभ (उन्नति मुहूर्त) - शाम 07:56 बजे से रात 09:28 (7 मार्च 2023)
शुभ (उत्तम मुहूर्त) - 7 मार्च, रात 11:00 बजे - 8 मार्च, सुबह 12:32
अमृत (सर्वोत्तम मुहूर्त) - 8 मार्च 2023, तड़के 12:32 - प्रात: 02:04
चर (सामान्य मुहूर्त) - 8 मार्च 2023, तड़के 02:04 - प्रात: 03:36
होलिका दहन का इतिहास :
होलिका दहन का इतिहास हिंदू धर्म के वेद पुराणों में मिलता है। इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य दुष्टता और असत्य को नष्ट करना होता है। तो वहीं, विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में यह उल्लेख किया गया है कि, इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी ख़ुशी में गोपियों ने उनके साथ होली खेली थी।
त्योहार का महत्व :
जबकि इस त्योहार के पीछे की कथा भक्तप्रहलाद और उसकी बुआ होलिका के बीच की है। होलिका के पास एक वरदान था जो उसे अग्नि से बचाता था। होलिका ने उस वरदान का लाभ उठाकर भक्तप्रहलाद को उसकी मां की अनुमति के बिना अग्नि में डालने की कोशिश की, लेकिन भक्तप्रहलाद के ईश्वर के शरण में होने के कारण वह कुछ भी नहीं हुआ। होलिका जलकर मर गई, जबकि भक्तप्रहलाद सुरक्षित रहा। इस त्योहार के दिन, लोग बुआ होलिका को याद करते हुए उसे दहन करते हैं, जो उसके दुष्ट इच्छाओं को नष्ट करता है। होलिका दहन के समय, लोग एकता और समानता के साथ एक साथ आते हैं और उनके बीच एक उत्साहजनक वातावरण होता है। इस त्योहार का महत्व भी धर्मिक और सामाजिक दोनों होता है।
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