पहली बार रखने जा रहे हैं 16 सोमवार के व्रत, जान लें इसका महत्व और नियमों के बारे में
राज एक्सप्रेस। सावन का पवित्र महीना 4 जुलाई से शुरू हो रहा है। सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है। सावन के महीने में सोमवार के दिन मंदिरों में भी खूब भीड़ होती है। इस समय कई लोग सावन सोमवार तो कई 16 सोमवार का व्रत शुरू करते हैं। यह व्रत हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित सबसे लोकप्रिय व्रत है। खासतौर से इस व्रत को अविवाहित लड़कियां और महिलाएं करती हैं। लोगों का मानना है कि सावन में 16 सोमवार करने से लड़कियों को सुयोग्य वर मिलता है, वहीं महिलाओं के पति की आयु लंबी होती है। लेकिन इस व्रत के अपने कुछ नियम है, जिसका पालन करने पर ही मनोकामना पूरी होती है। अगर आप भी पहली बार 16 सोमवार का व्रत करने जा रहे हैं, तो हम यहां बता रहे हैं इस व्रत का महत्व, विधि और इससे जुड़े नियमों के बारे में।
सावन में 16 सोमवार व्रत का महत्व
सोमवार को भगवान शिव का शुभ दिन कहा जाता है। इस दिन भक्त भगवान से आशीर्वाद और वरदान पाने के लिए शिव मंदिरों में जाते हैं। बता दें कि भगवान शिव को भक्तों के जीवन से बड़ी कठिनाइयों को दूर करने के लिए जाना जाता है। अविवाहित महिलाएं भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए 16 सोमवार व्रत रखती हैं, ताकि उन्हें भगवान शिव जैसा ही जीवनसाथी मिले। साथ ही जिन लड़कियों की शादी में देरी होती है, उन्हें भी यह व्रत करते देखा गया है। यह व्रत सावन के पहले सोमवार से शुरू होता है , जो 16 सप्ताह तक चलता है। इन दिनों में लोग सोमवार को व्रत रखते हैं, पाठ करते हैं, कथा सुनते हैं।
कैसे करें 16 सोमवार व्रत
16 सोमवार का व्रत करना बहुत आसान है। सोमवार के दिन जल्दी उठें और स्नान कर साफ सुथरे कपड़े पहनें। इस दिन सफेद रंग के कपड़े पहनेंगे, तो अच्छा है। यह रंग भोलेनाथ का प्रिय है।
मंदिर या पूजा कक्षा में जाकर भगवान शिव की मूर्ती या शिवलिंग की पूजा शुरू करें।
अदरक के तेल से दीपक जलाएं। मूर्ति या चित्र को साफ कर चंदन लगाएं और फूलों से सजाएं। भगवान शिव के नाम का जाप करें और भगवान शिव को फूल चढ़ाएं।
अब बेलपत्र को हाथ में लेकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद नियमित रूप से 16 सोमवार तक व्रत करें।
अब अपने हाथ में जल, अक्षत, पान, सिक्का और एक सुपारी लेकर भगवान शिव के मंत्र का जाप करते हुए संकल्प लें और पंचामृत अर्पित करें।
व्रत के नियमानुसार, व्रत को प्रदोष काल में करना है।
पूजा के अंत में पान के पत्ते, मेवे, नारियल, फल और मिठाई अर्पित करें।
16 सोमवार व्रत कथा पढ़ें, कपूर जलाएं और वेदी के सामने साष्टांग प्रणाम करके पूजा समाप्त करें।
ध्यान रखें कि पूजा के बाद आपको पूरे दिन उपवास रखना होगा। आप अपने रोजाना के काम कर सकते हैं। अगर आप कामकाजी महिला हैं, तो पूजा के बाद ऑफिस जा सकती हैं।
शाम के समय मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और भगवान शिव को कुछ प्रसाद चढ़ाएं। शाम की पूजा के बाद आप चाहें तो प्रसाद और कुछ फल ग्रहण कर सकते हैं।
16 सोमवार व्रत के नियम
इस व्रत का पहला नियम है कि व्रत करने वाले का हृदय शुद्ध और भक्ति भाव से भरा होना चाहिए।
व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। स्नान वाले पानी में थोड़े से काले तिल डाल लें।
शिवलिंग का अभिषेक कर रहे हैं, तो जल में शहद दही , दूध मिला लेना चाहिए।
हर सोमवार को पूजा का समय एक ही रखना है।
अभिषेक करने के दौरान महामृत्युंजय का जाप करते रहें।
16 सोमवार के व्रत में प्रसाद पहले ही सोमवार को बना कर रख लें और इसे 16 सोमवार तक चलाएं। प्रसाद में कोई बदलाव नहीं करना।
नोट- 16 सोमवार व्रत की विधि सभी के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। आपके घर में यह व्रत कैसे होता है, आप वैसे कर सकते हैं। यहां बताए नियम आपके लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं।
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