संत कबीर जयंती 2022 : कबीर दास के दोहे जो जिंदगी को देते हैं नई दिशा
राज एक्सप्रेस। कबीर दास का नाम हिंदी साहित्य में ऐसे कवि के रूप में विद्यमान है जिनके दोहे किसी भी आम इंसान की जीवन दिशा को बदल सकते हैं। वे एक ऐसे कवि रहे है जिन्होंने समाज की बुराइयों को दूर भगाने के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। संत कबीर दास की जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। उनके दोहे सरल भाषा में और प्रेरणा से भरे हुए हैं। यही वजह है कि आज भी लोग जीवन में नई दिशा के लिए उनके दोहों को मानते हैं। चलिए आज आपको बताते हैं कबीर के वे दोहे जो आपकी जिंदगी बदल सकते हैं।
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब॥
अर्थ - जो काम कल करना है उसे आज ही करो, और जो आज करना है उसे अभी करो, क्योंकि वक्त का कोई भरोसा नहीं कब खत्म हो जाए।
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय।।
अर्थ - दुःख में व्यक्ति भगवान को याद करता है लेकिन सुख में भूल जाता है। अगर वह सुख में भी भगवान को याद करे तो दुःख होगा ही नहीं।
तन को जोगी सब करें, मन को बिरला कोई।
सब सिद्धि सहजे पाइए, जे मन जोगी होइ।।
अर्थ - शरीर पर भगवा धारण करना सरल है लेकिन मन को योगी बनाना बिरले ही व्यक्तियों का काम है। अगर मन ही योगी हो जाए तो सिद्धियाँ तो मिल ही जाएंगी।
बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।।
अर्थ - कबीर कहते हैं खजूर की तरह लम्बा पेड़ होने का कोई लाभ नहीं है, जो किसी को छांव भी नहीं दे सकता और उसके फल भी बहुत दूर हैं।
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय।।
अर्थ - गुरु और भगवान दोनों सामने खड़े हैं, पहले किसके चरण स्पर्श करूं। पहले गुरु को ही प्रणाम करूंगा क्योंकि उन्होंने ही भगवान से मिलाया है।
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