Ramayan Epic Series
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Ramayan Epic Series: आइए जानते हैं इंडोनेशिया और म्यांमार में रामायण के संस्करणों के बारे में...

Ramayan Epic Series: चलिए आज जानते है दो देश इंडोनेशिया और म्यांमार जिसे पहले बर्मा भी कहा जाता था, उनके रामायण के संस्करण के बारे में...
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राज एक्सप्रेस। हमारी रामायण महाकाव्य श्रृंखला का यह दूसरा भाग है, जिसमे हम आज आपको दो और देशों में रामायण के संस्करण की जानकारी देंगे जो शायद ही किसी भारतीय व्यक्ति को पता होगी। वैसे तो जिस देश में भी रामायण की कहानी पहुंची है, उनमें कहानी नाम और जगहों को लेकर कई बदलाव किए गए हैं, लेकिन आज जो हम आपको दो देशों की रामायण की कहानी बताएंगे वो ऋषि वाल्मीकि जी रामायण से कम और रामायण पर आधारित अन्य हिंदू धार्मिक पुस्तकों, कविताओं आदि पर ज्यादा आधारित है।

गौरतलब है कि इन दोनों देशों की रामायण में भी उन देशों की संस्कृति और समाज के अनुरूप कई बदलाव किए गए हैं, लेकिन मूल कहानी को समान ही रखा गया है। तो चलिए जानते है उन दो देशों और उनकी रामायण के बारे में...

इंडोनेशिया– काकविन रामायण (Kakawin Ramayan)

इंडोनेशिया देश में रामायण का एक ऐसा संस्करण या हम कहे एक ऐसा रूप प्रचलित है जो शायद हमारे ऋषि वाल्मीकि जितना ही सुंदर और मधुर है जिसे 'काकविन रामायण' कहा जाता है। 'काकविन रामायण' का अर्थ है- वह रामायण जो इंडोनेशिया, बाली और सुमात्रा देशों की प्राचीन भाषा जावनी और संस्कृत भाषा के मिश्रण के माध्यम से काव्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह रामायण ऋषि वाल्मीकि जी की रामायण से नहीं बल्कि सातवीं शताब्दी में लिखी गई ओवी भट्टी की कविता भट्टीकाव्य से प्रेरित है, जिसमे रावण के वध का वर्णन किया गया है। इस रामायण का पहला भाग तो सामान्य रामायण के अनुरूप है, लेकिन इसके दूसरे भाग को बहुत से भारतीय विद्वानों द्वारा समझा नहीं जा सका है। इंडोनेशिया में रामायण को पुस्तक द्वारा कम पढ़ा जाता है, इसके अतिरिक्त रामायण को थियेटर में नाटक, कविताएं, भजन एवं गाने, विभिन्न प्रकार के नाच और कठपुतली के द्वारा जन-जन तक पहुंचाया एवं दिखाया जाता है। वायंग कठपुतली शो इंडोनेशिया का सबसे पुराना कठपुतली खेल शो है जिसमें रामायण की कहानियां होती है।

काकविन रामायण
काकविन रामायणSocial Media

केकक और योग्यकर्ता नाम के नृत्य के द्वारा भी रामायण की कहानियों को दर्शकों तक पहुंचाया जाता है। इस रामायण में मां सीता का नाम बदलकर सिंटा कर दिया है, बाकी सभी किरदार और व्यक्तियों के नाम समान है। हालांकि एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि जैसे भारतीय रामायण मां सीता को एक कोमल, सुंदर, और धैर्यवान महिला के रूप में चित्रित करती है वहीं काकाविन रामायण उन्हें बोल्ड, मजबूत के रूप में चित्रित करती है, और प्रभु राम की प्रतीक्षा करने के बजाय रावण की लंका में असुरों से लड़ती हुई दिखाई देती है।

घटनाएं, पत्र और कहानी में बदलाव:

  • काकविन रामायण का दूसरा भाग, रामायण के सभी संस्करणों से अलग है।

  • काकविन रामायण में, कुछ जावनी (Javanese) भगवानों को जगह दी गई है। जैसे कि जावा सेमर धयाना और पुकोवाना।

म्यांमार/बर्मा– यामा जतदाव (Yama Zatdaw)

भारत का पड़ोसी देश म्यांमार जिसे पहले बर्मा भी कहा जाता था, वहां 11वीं शताब्दी से ही मौखिक रूप से रामायण वाचन का चलन था। 13वीं शताब्दी के आने के बाद ही बर्मी भाषा में इसे पुस्तक का रूप दिया गया था जिसे 'यामा जतदाव' कहा गया, लेकिन 16वीं शताब्दी तक मुख्यतः इसे मौखिक रूप से ही लोगों तक पहुंचाया गया। 16वीं शताब्दी के अंत से लेकर 18वीं शताब्दी तक ही इसे पुस्तक के रूप में संग्रहित कर लेखन कार्य किया गया, जिसमे नाटकीय ढंग से छंद को बौद्ध संतो द्वारा लिखा गया था, उन्होंने बर्मा (म्यांमार) की सांस्कृतिक और साहित्यिक मूल्यों को रामायण में शामिल तो किया लेकिन उसे पूरी तरह से नहीं बदला।

हालांकि पहली लिखित बर्मी रामायण संस्करण 1775 में 'यू आंग फियोन' द्वारा लिखी गई थी, जिसका नाम था "रामा थागिन" जिसका अर्थ होता होता है प्रभु राम के गाने। 18वीं से 19वीं शताब्दी तक बर्मा के राज दरबारी के रामायण आधारित नाटक और गानों को पेश किया जाता था और आगे जाकर वह राज दरबारी में मनोरंजन का मुख्य पात्र बना था। वैसे तो म्यांमार में भी मुस्लिम शासन रहा था, लेकिन उसके प्रतिकूल रामायण आधारित नाटक, नृत्य और संगीत राज दरबारों में पेश किया जाता था।

यामा जतदाव
यामा जतदावSocial Media

बर्मी रामायण यामा जतदाव में महज़ पात्रों के नाम में किया गया बदलाव

  • प्रभु राम – यामा

  • मां सीता – थिडा

  • लक्ष्मण – लटखन

  • भगवान परशुराम – पशुयामा

  • रावण – दथागिरी

  • विभीषण – बिबिथना

दो लेखों के द्वारा हमने आपको 4 देशों की रामायण की जानकारी दी जिसमे उन देशों में से कुछ ने अपनी अलग रामायण लिखी या नए पात्रों को जोड़ा या रामायण को पुस्तक से अलग नाटकीय तौर पर दर्शकों और आम लोगों तक पहुंचाया, जिससे यह बात भी साबित होता है कि प्रभु राम और मां सीता का नाम भारत से बाहर भी है और हमेशा अमर ही रहेगा। इस विषय पर हमारे और भी लेख आते रहेंगे क्योंकि प्रभु राम, बहुत से देश के लोगों के दिलों पर राज कर रहे है।

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