नवरात्रि का सातवां दिन
नवरात्रि का सातवां दिनSyed Dabeer Hussain - RE

नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि के रूप में दर्शन देती हैं माँ, जानिए शक्तिपीठ की महिमा

शारदीय नवरात्रि की धूम पूरे देश में देखने को मिल रही है। पंडालों और मंदिरों में माता के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है। हर दिन माता के अलग रूप की पूजा की जाती है।
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राज एक्सप्रेस। इन दिनों भारत वर्ष में शारदीय नवरात्रि को धूमधाम से मनाया जा रहा है। नवरात्रि के हर दिन माता के अलग रूप की पूजा की जाती है और मंगल कामना की जाती है। आज नवरात्रि का सातवां दिन और आज के लिए माता दुर्गा के सातवें स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा और अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि माता के इस रूप की सच्चे मन से पूजा करने से मंगल होता है और आसुरिक शक्तियों का प्रकोप कम होता है। चलिए जानते हैं माता के कालरात्रि रूप और शक्तिपीठ के बारे में।

कैसा है माता कालरात्रि का रूप?

हिंदू शास्त्रों के अनुसार माता का रंग काला है। उनके बाल बिखरे हुए है और गले में माला है। माता के तीन नेत्र और चार हाथ हैं। इन हाथों में तलवार, लौह अस्त्र, अभयमुद्रा और वरमुद्रा लिए हैं। माता का वाहन गधा है।

माता का मंत्र :

एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।

वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।

शक्तिपीठ की महिमा :

जब भगवान शिव सती के मृत शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने उनका क्रोध शांत करने के लिए सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए थे। सती के शरीर के अंग और आभूषण जहां भी गिरे, वहां शक्तिपीठ बन गए।

जयंती शक्तिपीठ :

बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के कालाजोर के खासी पर्वत पर माता की बायीं जंघा गिरी थी।

भूतधात्री शक्तिपीठ :

पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के खीरग्राम स्थित युगाद्या में माता दायें पैर का अंगूठा गिरा था।

कालिका शक्तिपीठ :

कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अनूठा गिरा था।

विमला देवी शक्तिपीठ :

पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिला के लालबाग कोर्ट रोड स्टेशन के किरीटकोण ग्राम के समीप माता का मुकुट गिरा था।

विशालाक्षी‍ मणिकर्णी शक्तिपीठ :

उत्तरप्रदेश के काशी में मणि‍कर्णिक घाट पर माता के कान के कुंडल गिरे थे।

कन्याश्रम शक्तिपीठ :

तमिलनाडु के कन्याश्रम में माता का पृष्ठ भाग गिरा था।

सावित्री शक्तिपीठ :

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी गिरी थी।

गायत्री शक्तिपीठ :

अजमेर के निकट पुष्कर के मणिबंध स्थान के गायत्री पर्वत पर माता के दो मणिबंध गिरे थे।

श्रीशैल शक्तिपीठ :

बांग्लादेश के शैल नामक स्थान पर माता का गला गिरा था।

देवगर्भा शक्तिपीठ :

पश्चिम बंगाल के कोपई नदी तट पर कांची स्थान पर माता की अस्थि गिरी थी।

कालमाधव शक्तिपीठ :

मध्यप्रदेश के सोन नदी तट के पास माता का बायां नितंब गिरा था।

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