Vaishno Devi : उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थल एवं हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल वैष्णो देवी धाम है, इस पवित्र स्थान पर तो साल में कभी भी माँ वैष्णो देवी के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते-जाते रहते हैं, लेकिन नवरात्र के पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। अभी शारदीय नवरात्रि का पर्व है, ऐसे में मां वैष्णो देवी के नवरात्र के पावन पर्व के पहले दिन 20 हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
पहाड़ी से कटरा का दृश्य अत्यंत सुंदर :
आस्था के इस पावन स्थल, जम्मू-कश्मीर की पहाड़ी पर स्थित है। कहते हैं माँ वैष्णो देवी के इस सच्चे दरबार में जो भक्त सच्चे दिल से आता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है। माँ वैष्णो धाम में सभी भक्त अपनी मन्नतें लेकर आते हैं। इस पवित्र स्थल पर बहुत दूर-दूर से लाखों-करोड़ो श्रद्धालु माँ के दर्शन करने आते हैं। पहाड़ी से कटरा का दृश्य भी अत्यंत सुंदर नजर आता है, माँ की पवित्र गुफा जम्मू के उत्तर में 61 km की दुरी पर समुद्र तट से 5,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार वैष्णो देवी, शक्ति के अवतार वैष्णवी को समर्पित है।
रोशनी से जगमगा रहा कटरा व मां का दरबार :
हालांकि, अभी देशभर में महामारी कोरोना का संक्रमण फैला है, जिसके चलते मंदिरों में कोविड को लेकर के खास इंतजाम भी किए गए हैं। साथ ही नौ दिवसीय त्यौहार के लिए इस बार माता के दरबार को बेहद सुंदर साज सजावट की गई है। कटरा कस्बे और आसपास के इलाकों में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम हैं। मंदिर के रास्ते में किए जाने वाले हर रास्ते पर सुंदर सजावट की गई है। कटरा रोशनी से जगमगा रहा है, फूलों की सजावट है और हर तरफ फैली रंग-बिरंगी रोशनी मन मोह रही है।
!! चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है !!
ऐसी मान्यता है कि, माँ वैष्णो देवी अपने भक्तों को अपनी मर्जी पर दर्शन कराने बुलाती है, इसे माँ का बुलावा कह कर पुकारा जाता है और यह यात्रा अति सुखदायी होती हैं। माता रानी का बुलावा आने पर भक्त किसी न किसी बहाने उनके दरबार में दर्शन के लिए पहुँच ही जाते हैं। एक खास बात ओर, मां वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए उनके दरबार में हर समय हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, लेकिन नवरात्र के पर्व पर श्रद्धालुओं की संख्या में काफी उछाल देखने को मिलता है यानी नवरात्री के दिनों में काफी श्रद्धालु वैष्णो देवी धाम पहुंचते हैं।
माता वैष्णों की यात्रा के बारे में :
माता वैष्णो की यात्रा करने के लिए पहले आपको जम्मू जाना होगा, जम्मू पहुंचने के लिये आप बस-टैक्सी, ट्रैन या फिर हवाई जहाज के द्वारा जम्मू पहुंच सकते हैं। जम्मू पहुंचने के लिए आपको उत्तर भारत के कई प्रमुख शहरों से साधन मिल जाएंगे, जिससे आपको जम्मू जाने में कोई परेशानी नहीं होगी।
वैष्णो देवी यात्रा की शुरुआत :
वैष्णो देवी यात्रा की शुरुआत कटरा से होती है, जम्मू पहुंचने के बाद आप जम्मू रेलवे स्टेशन से बस टैक्सी या ट्रैन द्वारा कटरा पहुँच सकते हैं। जम्मू से करीब 2 घंटे में आप आसानी से कटरा पहुँच जाएंगे। कटरा जम्मू जिले का एक गाँव है और जम्मू से कटरा तक की दूरी लगभग 50 कि.मी. है। कटरा पहुंचने के बाद आप थोड़ी देर आराम करके या फिर पूरे दिन में कभी भी वैष्णो देवी की चढ़ाई शुरू कर सकते हैं।
“ यात्रा पर्ची “ जरूर लें :
चढ़ाई करने से पहले आपकों कटरा से ही माता के दर्शन के लिए नि:शुल्क “ यात्रा पर्ची “ मिलती है, यह पर्ची लेना सुविधाजनक एवं अनिवार्य होता है। इसके बाद आपको इस पर्ची की, 'बाण गंगा' चैक पॉइंट पर इंट्री करानी होगी, वहाँ आपके सभी सामानों की चैकिंग होने के बाद ही आप माँ वैष्णो के दरबार तक की चढ़ाई प्रारंभ कर सकते हैं। यात्रा प्रारंभ करते समय यात्रियों के लिए जगह-जगह पर खाने-पीने का सामान, चाय-पानी-काफी वगैरह की सुविधा उपलब्ध हैं।
माता रानी के भवन के चारों ओर हरियाली :
जैसे-जैसे माता का भवन नजदीक आता है भक्तों का उत्साह बढ़ जाता है। माता रानी के भवन के चारों ओर हरियाली का सुंदर नजारा और प्राकृतिक दृश्यों को देख सभी लोग अपनी थकान भूल जाते हैं। वैष्णो देवी की यात्रा करते वक्त भक्त सबसे पहले कटरा में बाणगंगा नदी में स्नान करते हैं, बाणगंगा के बाद अगले पड़ाव पर माता के चरणों के निशान हैं, जिसे चरण पादुका कहा जाता है। यहाँ पर माता रानी के पद चिन्ह है। इसके आगे अर्ध कुवारी है और इस गुफा में माता रानी ने 9 मास तक गुफा में रह कर तपस्या की थी। माता वैष्णो के दरबार में पहुँच कर भक्त धन्य हो जाते हैं। पवित्र तीर्थ की यात्रा के दौरान अर्धकुंवारी मंदिर की गुफा में अवश्य जाना चाहिए, क्योंकि कहा जाता है इस मंदिर के दर्शन किए बिना मां वैष्णो देवी की तीर्थ यात्रा अधूरी होती है।
!!माँ वैष्णो देवी!! मंदिर का नजारा
कटरा की पहाड़ियों में बसी मां वैष्णो देवी के दरबार का नजारा बिल्कुल स्वर्ग जैसा नजारा है। इस स्थान पर दाएँ तरफ मां काली जी, बाएँ ओर मां सरस्वती जी और मध्य में मां लक्ष्मी जी एक पिंडी के रूप में गुफा में विराजित है। इन तीनों के सम्मिलित रूप को ही मां वैष्णो देवी का रूप कहा जाता है।
भैरोनाथ मंदिर :
माता वैष्णो देवी (Vaishno Devi) के भवन से कुछ ऊपर भैरोघाटी स्थित है भैरवनाथ का वध करने पर उसका शीश भवन से 8 किमी दूर जिस स्थान पर गिरा, आज उस स्थान को ' भैरोनाथ के मंदिर ' के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि, भैरवनाथ ने मां से युद्द किया था, लेकिन बाद में क्षमा मांगी थी तो मां वैष्णो ने भैरव को माफ करते हुये यह आशीष दिया था कि मेरे किसी भी भक्त की पूजा जब तक पूरी नहीं होगी जब तक वह मेरे दर्शन के बाद तेरे दर्शन न कर लें। इसलिये ये कहा जाता है कि, भैरोबाबा के दर्शन के बिना वैष्णो देवी की यात्रा अधूरी होती है। माता की पवित्र गुफा के दर्शन करने के बाद भक्त भैरोबाबा जी के दर्शन करने को जरूर जाते हैं।
बता दें कि, माता वैष्णो देवी के भवन में पहुँचने वाले यात्रियों के लिए जम्मू, कटरा, भवन के आसपास आदि स्थानों पर माँ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की कई धर्मशालाएँ और होटल हैं, ये धर्मशालाए माँ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की है। यहाँ पर कुछ प्राइवेट होटल भी उपलब्ध है, इनमे एडवांस बुकिंग की व्यवस्था भी रहती है, यहां पर यात्री रुक भी सकते हैं।
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