भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थान है काशी विश्वनाथ
भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थान है काशी विश्वनाथSyed Dabeer Hussain - RE

भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थान है काशी विश्वनाथ, जानिए इसकी मान्यता और महत्व?

काशी विश्वनाथ भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थान है और यहां दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति के सभी पाप दूर हो जाते हैं और आत्मा शुद्ध होती है।
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राज एक्सप्रेस। हमारे देश में भगवान शिव की पूजा तो हर राज्य में की जाती है। भोलेनाथ के ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही भक्तों के दुःख दूर हो जाते हैं। भारत के अलग-अलग देशों में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थित हैं। ऐसा माना जाता है कि इन सभी जगहों पर खुद भगवान शिव प्रकट हुए थे। इस कारण ही यहां जाकर दर्शन और पूजा करने से भक्तों के सभी पाप खत्म होते हैं और उन्हें सुख की प्राप्ति होती है। आज हम आपको इन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ के बारे में बताने वाले हैं। जिसे भोलेनाथ का सबसे प्रिय स्थल भी माना जाता है।

क्या है काशी विश्वनाथ की मान्यता?

पुराणों में इस कथा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि भगवान अपनी शादी के बाद माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर निवास किया करते थे। तब एक दिन माता ने शिवजी से कहा कि सभी देवताओं के पास उनके घर हैं लेकिन हमारे पास कुछ नहीं है। हमें भी अपने घर के बारे में विचार करना चाहिए। तब भोलेनाथ का मन राजा दिवोदास की नगरी काशी पर आ गया। उनके एक भक्त निकुंभ ने अपने भगवान के लिए काशी को मनुष्यों से मुक्त भी किया, लेकिन यह बात राजा को पसंद नहीं आई और उन्होंने ब्रह्माजी की तपस्या करना शुरू कर दी। ब्रह्माजी के प्रकट होने पर राजा से कहा कि मनुष्यों के लिए पृथ्वी को छोड़ दिया जाए और देवता स्वर्ग में रहें।

तब ब्रह्माजी के कहने पर भगवान शिव काशी छोड़ मंदराचल पर्वत पर चले गए। लेकिन तब भगवान विष्णु ने राजा को आदेश दिया कि वे तपोवन में चले जाए। विष्णुजी के कहे अनुसार राजा तपोवन में चले गए और काशी फिर एक बार शिवजी का निवास बना गया। यहां भोलेनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए।

क्या है काशी का महत्व?

भारत के सबसे पुराने शहर के नाम से मशहूर काशी गंगा के तट पर बना हुआ है। साथ ही इसे भगवान शिव का सबसे प्रिय भी कहा जाता है। कहते हैं कि काशी विश्वनाथ मंदिर आने से सारे पाप मिट जाते हैं और आत्मा शुद्ध होती है। यहां काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ अन्नपूर्णा देवी मंदिर, गंगा घाट, भैरव मंदिर आदि भी स्थापित हैं।

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