Kartik Purnima 2020 : कार्तिक पूर्णिमा और चन्द्र ग्रहण का बन रहा है संयोग

Kartik Purnima 2020 : 149 वर्षों बाद विशेष ग्रह, नक्षत्र में वर्ष का अंतिम ग्रहण। स्नान, दान, पुण्य का दोहरा लाभ, रात्रि में दीपदान से लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त होगी।
Kartik Purnima 2020
Kartik Purnima 2020Raj Express
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Kartik Purnima 2020। 30 नवंबर सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के साथ वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण भी है। यह मांद्य (उपच्छाया) चन्द्र ग्रहण है। इस ग्रहण का हमारे यहां कोई धार्मिक प्रभाव नहीं होने से न सूतक लगेगा न मंदिरों के पट बंद होंगें। भारतीय समयानुसार इस ग्रहण का स्पर्श दोपहर 1:03 बजे होगा, मध्य 3:13 बजे व मोक्ष शाम 5:23 बजे होगा।

यह ग्रहण भारत मे कारगिल, उत्तर काशी, लैंस डाउन, बरेली, अम्बेडकर नगर, कानपुर, चित्रकूट, रीवा, श्री काकूलम, इन नगरों से पूर्व के सभी नगरों में दृश्य होगा। दक्षिण,पश्चिमी भारत मे दिखायी नही देगा।शेष भारत के उत्तर पूर्वी, मध्य पूर्वी भारत मे जहां चंद्रोदय शाम 5:23 बजे से पहिले होगा वहां उपच्छाया ग्रस्तोदय रूप में दिखाई देगी।

क्या है उपच्छाया चन्द्र ग्रहण ?

आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा वैदिक, अध्यक्ष, मध्यप्रदेश ज्योतिष व विद्वत परिषद, इंदौर ने उक्त जानकारी देते हुए आगे बताया कि सही मायने में यह चन्द्र ग्रहण नहीं होता। चंद्रग्रहण होने से पूर्व चन्द्र पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश अवश्य करता है जिसे चन्द्र मालिन्य कहा जाता है। इसके पश्चात ही वह पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है। उपच्छाया चंद्रग्रहण में ग्रहण की अवधि में चंद्रमा की चांदनी में कुछ धुन्दला पन आ जाता है। विज्ञान ग्रहण को खगोलीय घटना मात्र मानता है किन्तु धार्मिक व ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से ग्रहण को अशुभ ही माना जाता है जिसके व्यापक प्रभाव देखे गए है। इस ग्रहण का वृषभ राशि पर विशेष देखने को मिलेगा।इस प्रकार का ग्रहण पूर्व में शनि,राहु व केतु के साथ धनु राशि मे पड़ा था। ज्योतिर्वज्ञान कि मान्यता है कि जो दिखाई दे वह ग्रहण है। यह चौथा ग्रहण है पूर्व में 10 जनवरी, 5/6 जून, 5 जुलाई व 30 नवम्बर 2020 को ग्रहण हो चुके है। सोमवार को घटित हो रहे तृतीय उपच्छाया ग्रहण इंग्लैंड, आयरलैंड, नार्वे, उत्तर स्वीडन, उत्तरी फिनलैंड, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका व प्रसांत महासागर में दृश्य होगा।

कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहे हैं विशेष ज्योतिषीय संयोग :

इस वर्ष 30 नवंबर सोमवार कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहे है विशेष ज्योतिषीय संयोग। सोमवार, अहर्निश रोहिणी नक्षत्र, शिव योग,वर्धमान योग, सर्वार्थसिद्धि योग, शनि, गुरु की युति के साथ ही मांद्य चन्द्र ग्रहण का विशेष योग निर्मित हो रहा है। इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 29 नवंबर रविवार को दोपहर 12:47 बजे से प्रारंभ होकर सोमवार 30 नवंबर को दोपहर 2:59 बजे तक रहेगी। जो स्नान, दान पुण्य के लिए विशेष फलदायी रहेगी। यह तिथि अपने आप मे फल प्रदान करने वाली है। आज के दिन ही प्रजा के पालक विष्णु भगवान ने मत्स्य अवतार धारण कर पृथ्वी की फिर से रचना की थी। आज के दिन गोधूलि बेला व प्रदोषकाल में दीपदान करने से महालक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है। आज कार्तिक स्नान का समापन होता है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। आज भगवान विष्णु के साथ शिवजी की भी कृपा का दिन माना जाता है। आज के दिन रोहिणी नक्षत्र के सहयोग होने से कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व बढ़ जाता है।पवित्र नदियों में स्नान कर दीपदान करने से विष्णु भगवान के साथ शिवजी की कृपा भी प्राप्त होती है। काशी में इस दिन देव दीपावली मनाने की परंपरा है। पुराण आदि धर्मशास्त्रों की मान्यता है कि देवदीपावली पर पवित्र स्थलों पर दीपदान करने से वर्षभर समृद्धि बनी रहती है। कार्तिक पूर्णिमा पर चन्द्र ग्रहण के संयोग से स्नान, दान, पुण्य, जप, तप व शुभ कर्मों का अनन्त पुण्य फल प्राप्त होता है।

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