गुरु पूर्णिमा 2022 : गुरु की एक सीख ने चोर को बना दिया राजकुमार
राज एक्सप्रेस। हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन गुरुओं की पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने का विशेष महत्व होता है। गुरुओं का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है। हिंदू धर्म से जुड़े शास्त्रों में गुरु को ईश्वर से भी बड़ा स्थान दिया गया है। गुरु के महत्व से जुड़ी ऐसी ही एक लोक कथा काफी प्रचलित है, जिससे हमें प्रेरणा मिलती है कि कैसे गुरु की एक सीख से चोर का पूरा जीवन ही बदल गया।
लोक कथा है कि किसी समय एक विद्वान संत के पास एक चोर आया और उनसे कहा कि आज से आप मेरे गुरु हैं। मैं आपकी सारी बात मानूंगा, लेकिन मैं चोरी करना नहीं छोड़ सकता। इस पर गुरु ने कहा कि मैं तुझे अपना शिष्य बनाता हूँ, लेकिन तू हमेशा महिलाओं का सम्मान करना और उन्हें मां व बहन की नज़रों से देखना।
संत और चोर जिस राज्य में रहते थे, उस राज्य के राजा ने संतान ना होने से दुखी होकर अपनी पत्नी को अलग महल में रहने के लिए भेज दिया था। एक बार चोर रानी के महल में चोरी करने के लिए पहुंच गया। रानी और चौकीदारों ने उस चोर को देख लिया और चौकीदारों ने तुरंत राजा को वहां बुला लिया।
दूसरी तरफ रानी ने उस चोर से कहा कि अगर तुम मेरी एक इच्छा पूरी कर दो तो मैं तुम्हे सोने और चांदी से लाद दूंगी। इस पर चोर ने कहा कि आप मेरी मां समान हैं। मुझे पुत्र समझकर अपनी परेशानी बताएं। अगर मेरे बस में हुआ तो मैं आपकी इच्छा अवश्य पूरी करूंगा। चोर और रानी की बातें राजा ने सुन ली थी।
राजा ने चोर को दरबार में बुलाया और उसकी विनम्रता से खुश होकर उससे कुछ मांगने के लिए कहा। इस पर चोर ने राजा से रानी से माफ़ी मांगकर उन्हें वापस महल में लाने के लिए कहा। राजा ने बिल्कुल ऐसा ही किया। राजा और रानी दोनों चोर से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने चोर को अपना बेटा बना लिया और उसे राज्य का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?
गुरु के जीवन में आने से किसी के भी जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकता है। इसलिए गुरु के उपदेशों का सदैव मान करें और उन्हें जीवन में उतारें।
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