गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी से, तिथि की घट बढ़ के चलते नवरात्रि पूरे नौ दिनों की
इंदौर, मध्यप्रदेश। माघी गुप्त नवरात्र का आरम्भ बुधवार से बुधादित्य महायोग में हो रहा है। तिथियों की घट बढ़ के चलते नवरात्र पूरे नौ दिनों के है। द्वितीया तिथि का क्षय है तो अष्टमी तिथि की वृद्धि। दो फरवरी बुधवार को नवरात्रि की घटस्थापना शुभ मुहूर्त में होगी। प्रतिपदा व द्वितीया दोनों एक ही दिन होने से माँ शैलपुत्री व ब्रह्मचारिणी देवी के साथ ही दश महाविद्या की साधना के साथ माघी नवरात्रि का आरंभ होगा।
आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया कि कुम्भ राशि के चंद्रमा के साथ ही मकर राशि मे बुधादित्य महायोग व सूर्य शनि की युति देवी आराधना के पर्व को कुछ खास बना रहे हैं।प्रतिपदा तिथि प्रात: 8 बजकर 31 मिनिट तक है बाद में द्वितीया प्रारंभ होगी जो दूसरे दिन रात्रि (प्रात:) 6 बजकर 15 मिनिट तक रहेगी। इसी प्रकार महाअष्टमी का पर्व दो दिन 8 व 9 फरवरी को मनाया जाएगा। यह संकेत देश के लिए अच्छा व रोग नाशक भी है।
वर्ष में कुल चार नवरात्रियां :
माँ की कृपा से कोरोना के नए स्वरूप में कमी आएगी व कुम्भ राशि के चंद्रमा व शनि प्रधान मकर राशि मे सूर्य शनि की युति से न्याय के देवता शनि की भी कृपा प्राप्त होगी। शनि नए वायरस का भय कम करेंगे। वर्ष में कुल चार नवरात्र होते हैं, दो गुप्त व दो उजागर। चैत्र व आश्विन माह की नवरात्रियां उजागर नवरात्रि कहलाती आषाढ़ व माघ माह की नवरात्र गुप्त नवरात्र के नाम से प्रसिद्ध है,ये तंत्र,मन्त्र व यन्त्र साधना का सर्वश्रेष्ठ काल मानी जाती है। माघ माह की नवरात्रि दस महाविद्या की साधना के साथ ही विद्या की देवी मां सरस्वती की साधना हेतु भी श्रेष्ठ है। बुधादित्य योग विद्यार्थियो हेतु भगवती दुर्गा के साथ माँ शारदा उपासना हेतु भी सर्वश्रेष्ठ है। 10 फरवरी गुरुवार को गुप्त नवरात्रि का समापन पूर्ण रवियोग व मिथुन राशि के चन्द्रमा में होगा।
गुप्त नवरात्र में गौरी तृतीया, बसन्त पंचमी,नर्मदा जयंती,अचला आरोग्य सप्तमी, भिमाष्टमी व देवनारायण जयंती के पर्व भी कुछ खास योग निर्मित कर पर्व की शोभा बढ़ा रहे है। गुप्त नवरात्रि में घटस्थापना, उपवास व दुर्गा सप्तशती के सात सौ महामंत्रों के साथ माँ की प्रसन्नता हेतु आहुतियां भी दी जाती है। गुप्त नवरात्रि में सभी देवी मंदिरों में होती है घटस्थापना व साधना। आचार्य पण्डित रामचन्द्र शर्मा वैदिक ने बताया कि कोरोना के नए स्वरूप में गुप्त नवरात्रि में बन रहे विशेष ज्योतिषीय योगों के चलते कमी आएगी व कुम्भ राशि के चंद्रमा व शनि प्रधान मकर राशि मे सूर्य शनि की युति से न्याय के देवता शनि की कृपा प्राप्त होगी। शनि नए वायरस का भय व संक्रमण कम करेंगे। गुप्त नवरात्र में गौरी तृतीया, बसन्त पंचमी, नर्मदा जयंती,अचला आरोग्य सप्तमी, भिमाष्टमी व देवनारायण जयंती के पर्व भी प्रमुखता से मनेंगे गुप्त नवरात्रि में देवी मंदिरों में घटस्थापना, उपवास वअष्टमी व नवमी को दुर्गा सप्तशती के सात सौ महामंत्रों के साथ माँ की प्रसन्नता हेतु आहुतियां भी दी जाती है। नव कन्याओं के पूजन के साथ ही पर्व का समापन होता है।
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