देवशयनी एकादशी पर चार माह के लिए सोए देव
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। रविवार को देवशयनी एकादशी थी। सुबह से ही मंदिरों में पूजा पाठ का सिलसिला शुरु हो गया था। भगवान विष्णु को पकवानों का भोग लगाया गया। रविवार से मांगलिक कार्य जैसे-शादी, विवाह, गृह प्रवेश, यगोपवित, मुंडन आदि पर अगले चार माह के लिए विराम लग गया है। आज से सन्यासी लोगों का चातुर्मास व्रत भी आरंभ होगा।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश सोनी के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन तीन योग बन रहे हैं। इस दिन रवि योग, शुभ योग और शुक्ल योग बन रहे हैं। शुभ योग सुबह से देर रात तक 12.45 तक रहेगा। इसके बाद शुक्ल योग शुरू होगा तथा रवि योग सुबह 5.31 से शुरू होकर सुबह 9. 55 तक रहेगा। चातुर्मास 10 जुलाई से प्रारंभ होकर 4 नवंबर तक रहेगा। इस पूरे चातुर्मास में 17 सोमवार के व्रत एवं पूजा जप द्वारा भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया जा सकेगा। धार्मिक दृष्टि से यह चार माह भगवान विष्णु के रहते हैं। वे योग निद्रा से ही सृष्टि का संचालन करते हैं। डॉ. सतीश सोनी के अनुसार धार्मिक दृष्टि से यह चार महीने भगवान विष्णु के योग निद्रा काल के रहते हैं। वहीं चिकित्सा विज्ञान में इस दौरान सूर्य, चंद्रमा का तेज पृथ्वी पर कम पहुंचता है। जल की मात्रा अधिक हो जाती है। वातावरण में अनेक जीव जंतु उत्पन्न हो जाते हैं। जो अनेक रोगों का कारण बनते हैं। इसलिए साधु, संत, तपस्वी इस काल में एक ही स्थान पर रहकर तप, साधना, स्वाध्याय व प्रवचन आदि करते हैं। इन दिनों केवल ब्रज की यात्रा की जाती है। क्योंकि इन महीनों में भू-मंडल के समस्त तीर्थ ब्रज में आकर निवास करते हैं।
अब 24 नवम्बर से शुरू होंगे मांगलिक कार्य :
डॉ. सतीश सोनी के अनुसार शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्यक्रम ग्रह नक्षत्रों की स्थिति को देखकर ही निश्चित किये जाते है। अगर गुरु तारा और शुक्र तारा अस्त है तो कोई भी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त नहीं निकलता। पंचांग के अनुसार 24 नवंबर से मांगलिक कार्य आरंभ होकर 16 दिसंबर तक रहेंगे। इस दौरान शादी विवाह के कुल 12 लगन हैं। 16 दिसंबर के बाद अगले साल 14 जनवरी 2023 के बाद विवाह मुहूर्त आरंभ होंगे।
सनातनधर्म मन्दिर में देवशयनी श्रद्धाभाव के साथ मनाई गई :
सनातन धर्म मन्दिर में देवशयनी एकादशी रविवार को श्रद्धाभाव के साथ मनाई गई। रविवार सुबह भगवान चक्रधर के पट खुलने के साथ ही दर्शन करने वाले भक्त श्रद्धालुओं के मन्दिर आने का क्रम आरम्भ हो गया। मुख्य पुजारी रमाकांत शास्त्री ने भक्तवृन्द को देवशयनी एकादशी की व्रत कथा सुनाई। इस अवसर पर मुख्य पुजारी रमाकांत शास्त्री ने भगवान श्री चक्रधर का मनमोहक विशेष श्रृंगार किया। गुलाबी वस्त्रों के साथ सुनहरी पगड़ी, मोरपंख, तुलसी दल माला, मोंगरे की माला धारण कराई, इत्र सुगन्ध अर्पित किया। भक्तों ने भजन कीर्तन किये। रात्रि 9 बजे भगवान चक्रधर विष्णु के शयन कक्ष में शैया लगाई गई एवं बिहारी जी के नैनों में नींद भर आई गाकर शयन आरती हुई।शयन के साथ ही अब भगवान विष्णु कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी तक विश्राम में रहेंगे ऐसी शास्त्रोक्त मान्यता है। इस अवसर पर वृन्दावन से पधारे भगवताचार्य पूज्य डॉ. संजय कृष्ण सलिल, प्रधानमंत्री महेश नीखरा, राजेश गर्ग, अजय गुप्ता, बृजेश भुजंग, राधेश्याम मंगल,पाठक, संतोष गुप्ता आदि उपस्थित रहे। आरती के उपरांत भक्तों में प्रसाद वितरण हुआ।
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