नवरात्रि का पांचवां दिन : अद्भुत है स्कंदमाता की महिमा, साथ में जानिए 6 खास शक्तिपीठों के बारे में
राज एक्सप्रेस। देशभर में नवरात्रि धूमधाम से मनाई जा रही है। आज शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन है और आज के दिन मंदिरों और पंडालों में माता के रूप मां स्कंदमाता का विधि विधान के साथ पूजन किया जाता है। मान्यता है कि सच्चे मन से माता स्कंदमाता की पूजा करने से संतान का सुख प्राप्त होता है और मोक्ष मिलता है। चलिए बताते हैं आपको स्कंदमाता की पूजा विधि और मंत्र के बारे में।
माता का रूप और पूजन विधि :
शास्त्रों के अनुसार स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। उनके दो हाथ में कमल है, एक हाथ में कार्तिकेय बैठे हैं, जबकि एक हाथ में से वे आशीर्वाद दे रही हैं। उनका वाहन शेर है। स्कंदमाता की पूजा करने के लिए सबसे पहले कलश का पूजन करें। अब माता की पूजा शुरू करते हुए उन्हें फूल और माला चढ़ाएं। अब माता को सिंदूर, कुमकुम, अक्षत लगाकर उनके समक्ष पान, सुपारी, इलायची, बताशा, लौंग आदि रखें। इसके पश्चात मिठाई चढ़ाकर जल अर्पित करें। अब माता के मन्त्र का जाप करते हुए दिया जलाएं और आरती करें।
स्कंदमाता का मंत्र :
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
माता की शक्तिपीठ के रूप :
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव सती के मृत शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने उनका क्रोध शांत करने के लिए सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को टुकड़े कर दिए दिए थे। सती के शरीर के अंग और आभूषण जहां भी गिरे, वहां शक्तिपीठ बन गए। जानते हैं कुछ के बारे में :
जयदुर्गा शक्तिपीठ :
झारखंड के देवघर स्थित वैद्यनाथधाम में माता का हृदय गिरा था।
महामाया शक्तिपीठ :
नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के समीप माता के दोनों घुटने गिरे थे।
दाक्षायनी शक्तिपीठ :
तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर के मानसा के समीप माता का दायां हाथ गिरा था।
विमला शक्तिपीठ :
उड़ीसा के विराज में उत्कल नाम जगह पर माता की नाभि गिरी थी।
गण्डकी चण्डी शक्तिपीठ :
नेपाल की गंडकी नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर में माता का मस्तक गिरा था।
देवी बाहुला शक्तिपीठ :
पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिला के कटुआ केतुग्राम के समीप माता का बायां हाथ गिरा था।
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