क्या हैं रक्षा सूत्र, जीवन में खुशियां ही नहीं, बीमारियों को भी दूर भगाती है हाथ पर बांधी जाने वाली ये डोर
हाइलाइट्स :
केवल बहन ही भाई को बांध सकती है राखी।
देवी लक्ष्मी ने अपने पति की रक्षा के लिए राजा बलि के हाथों में बांधा था रक्षा सूत्र।
शादीशुदा महिलाएं बाएं हाथ में बंधवाएं कलावा।
कलावा पहनने और उतारने के लिए मंगलवार व शनिवार शुभ दिन।
राज एक्सप्रेस। भारत में कई जगह ऐसी हैं, जहां जन्माष्टमी तक राखी बांधी जाती है। मतलब कि अगर कोई बहन किसी कारण से रक्षाबंधन पर भाई को राखी नहीं बांध पाती, तो जन्माष्टमी तक किसी भी दिन अपने भाई को स्नेह और रक्षा का धागा बांध सकती है। हालांकि , कई लोग राखी को रक्षा सूत्र भी कहते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। राखी रक्षाबंधन के दिन केवल बहन द्वारा भाई की कलाई पर बांधी जाने वाली डोर है। इसके बाद भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का वचन देता है। जबकि रक्षा सूत्र का इतिहास काफी पुराना है। कहते हैं भगवान विष्णु के वामन अवतार ने राजा बलि की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था। इसके अलावा देवी लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बांधा था। जिसे आगे चलकर राखी कहा जाने लगा। रक्षा सूत्र को रक्षाबंधन का प्रतीक माना जाता है, लेकिन यह राखी से एकदम अलग है। तो चलिए जानते हैं क्या है रक्षा सूत्र , इसका महत्व, उपयोग और नियमों के बारे में।
क्या है रक्षा सूत्र और इसका महत्व
रक्षा सूत्र भी कलाई पर बांधा जाने वाली डोर है। इसे कलावा या मौली भी कहते हैं। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान इसके बिना पूरा नहीं होता। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते हुए या कोई नई चीज खरीदने पर हिंदू संस्कृति में कलावा बांधने का नियम है। यह हमारे जीवन को शुभ बनाने का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कलाई पर इसे बांधने से जीवन में खुशियां आती हैं।
किस हाथ में बांधना चाहिए कलावा
शास्त्रों के अनुसार, पुरुष और अविवाहित लड़कियों को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। जबकि शादीशुदा महिलाओं के बाएं हाथ पर कलावा बांधने का विधान है।
कलावा कैसे बंधवाना चाहिए
कलावा बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी को बंद रखें और दूसरा हाथ सिर पर रखें। कलावा या मौली आप जहां भी बांधे, एक बात का ध्यान रखें कि इसे सिर्फ 3 बार ही लपेटा जाना चाहिए।
रक्षा सूत्र को बदलने और उतारने का नियम
पूजा पाठ में तो कलावा बांधते ही हैं। लेकिन अगर अन्य किसी दिन कलावा बांधना चाहते हैं, तो इसके लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है।
मंगलवार और शनिवार को ही कलावे को बदलने का नियम है।
एक बार बांधा हुआ कलावा सप्ताह भर से ज्यादा नहीं पहनना चाहिए। इसे बदल लें।
पुराना कलावा यूं ही नहीं फेंकना चाहिए। इसे या तो पीपल के पेड़ के नीचे रखें या फिर मिट्टी में गाढ़ दें।
तीन रंग का कलावा सबसे शुभ
वैसे तो रक्षा सूत्र दो तरह का होता है। तीन धागों वाला और पांच धागों वाला। पांच धागे वाला कलावा या रक्षा सूत्र को पंचदेव कलावा कहा जाता है। अगर आपके पास कलावा तीनों रंग यानी पीला, लाल और हरा तो इसे सबसे शुभ माना जाता है।
कौन कौन सी बीमारी दूर करता है रक्षा सूत्र
वैज्ञानिक तौर पर कहते हैं कि रक्षा सूत्र डायबिटीज और हार्ट अटैक जैसे रोगों से बचाता है।
कलाई पर कलावा बांधने से नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है।
कलावा ब्लड प्रेशर और लकवा जैसे रोगों में बहुत हितकारी माना गया है।
कलाई पर कलावा बांधने के मनोवैज्ञानिक लाभ भी है। इसे पहनने से व्यक्ति के मन में बुरे विचार नहीं आते और वह नकारात्मकता से दूर रहता है।
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