Chaitra Navratri 2022 : घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां, नौ दिन के होंगे नवरात्रे
राज एक्सप्रेस। चैत्र माह का आरंभ हो चुका है। हर वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नौ दिनों तक चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। वैसे तो साल भर में चार नवरात्रि आती हैं, जिसमें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि और होती हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 2 अप्रैल से हो रहा है। प्रत्येक नवरात्रि में दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं और विदाई के समय माता रानी का वाहन अलग होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि में धाता योग रेवती नक्षत्र में माता का आवागमन घोड़े पर होगा, क्योंकि नवरात्रि का आरंभ शनिवार को हो रहा है।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश सोनी के अनुसार इस बार किसी तिथि का क्षय नहीं होने से नवरात्रि महोत्सव पूरे नौ दिनों तक चलेगा। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होगी। मां दुर्गा को सुख समृद्धि और धन की देवी माना जाता है। चैत्र नवरात्रि में मकर राशि में शनि देव मंगल के साथ रहेंगे, जो पराक्रम में वृद्धि करेंगे। शनिवार से नवरात्रि का प्रारंभ शनिदेव का स्वयं की राशि में मकर में मंगल के साथ रहना सिद्धि कारक होगा। माता के भक्तों को इस दौरान कार्यो में विशेष सफलता के साथ मनोकामना की पूर्ति तथा साधना में सिद्धि मिलेगी। चैत्र नवरात्रि में कुंभ राशि में गुरु शुक्र के साथ रहेंगे। मीन राशि में सूर्य के साथ बुध होने से सूर्य बुध आदित्य योग का निर्माण होगा। चंद्रमा मेष, राहु वृषभ में तथा वृश्चिक में केतु विराजमान रहेंगे।
नवरात्रि में बनेंगे शुभ योग :
नवरात्रि में रवि पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, नवरात्रि के प्रभाव को और बढ़ाएंगे। सर्वसिद्धि योग का संबंध लक्ष्मी से है। इस योग में कार्य करने से कार्यों की सिद्धि होती है। वहीं रवि योग समस्त दोषों को नष्ट करने वाला माना जाता है। इसमें किया गया कार्य हमेशा फलीभूत होता है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व :
चैत्र नवरात्रि संवत्सर की पहली नवरात्रि होती हैं। ब्रह्म पुराण में नवरात्रि के पहले दिन आधा शक्ति प्रकट हुई थी और देवी के आदेश पर ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को सृष्टि के निर्माण की शुरुआत की थी। इसी दिन से नया संवत 2079 प्रारंभ होगा। वहीं मत्स्य पुराण में चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसके बाद विष्णु ने भगवान राम के रूप में अपना सातवां अवतार भी चैत्र नवरात्रि में ही लिया था, इसलिए चैत्र नवरात्रि का अपना एक विशेष महत्व है।
घट स्थापना मुहूर्त :
2 अप्रैल सुबह 6:10 से 8:31 तक यानी 2 घंटा 21 मिनट का समय घटस्थापना के लिए शुभ व श्रेष्ठ रहेगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 से लेकर 12:50 तक होगा।
9 दिन दुर्गा के नौ रूपों की पूजा :
02 अप्रैल - मां शैलपुत्री की पूजा
03 अप्रैल - मां ब्रह्मचारिणी का पूजन
04 अप्रैल - जगदंबा चंद्रघंटा की पूजा
05 अप्रैल - कुसमुंडा माता का पूजन
06 अप्रैल - स्कंदमाता का पूजा
07 अप्रैल - देवी कात्यायनी का पूजन
08 अप्रैल - भवानी कालरात्रि की पूजा
09 अप्रैल - देवी महागौरी का पूजन
10 अप्रैल - भगवती सिद्धिदात्री का पूजन
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