राज एक्सप्रेस। परिवार हर व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व रखता है। भारत में प्राचीन काल से ही लोग संयुक्त परिवारों में रहते आए हैं। संयुक्त परिवार एक अविभाजित परिवार होता है जिसमें एक ही घर में एक से ज्यादा पीढ़ी साथ मिल जुलकर रहती है। संयुक्त परिवार में आपस में सम्पूर्ण प्यार होता है। संयुक्त परिवार में एक दूसरे के बीच प्रेम, सौहार्द, सम्मान की भावना बनी रहे, इसके लिए जरूरी है माता-पिता द्वारा कुछ सतत प्रयास किए जाएं ताकि कम जगह में भी परिवार खुशहाल रहे। परिवार एक एकल इकाई है, जहां पेरैंट्स और बच्चे एकसाथ रहते हैं। इन्हें प्रेम, करुणा, आनंद और शांति का भाव एकसूत्र में बांधता है। यही उन्हें जुड़ाव का एहसास प्रदान करता है। उन्हें मूल्यों की जानकारी बचपन से ही दी जाती है, जिस का पालन उन्हें करना पड़ता है।
जो बच्चे संयुक्त परिवार के स्वस्थ और समरसतापूर्ण रिश्ते की अहमियत समझते हैं, वे काफी हद तक एकसाथ रहने में कामयाब हो जाते हैं। बच्चों के साथ जुड़ाव और बेहतरीन समय बिताने से हंसी ठिठोली, लाड़ प्यार और मनोरंजक गतिविधियों की संभावना काफी बढ़ जाती है। इस से न सिर्फ सुहानी यादें जन्म लेती हैं बल्कि एक स्वस्थ पारिवारिक विरासत का निर्माण भी होता है। इस का मतलब यह नहीं है कि हमेशा ही सबकुछ ठीक रहता है। एक से अधिक बच्चों वाले घर में भाई-बहनों का प्यार और उन की प्रतिद्वंद्विता स्वाभाविक है। कई बार स्थितियां माता-पिता को उलझन में डाल देती हैं और वे अपने स्तर पर स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं तथा घर में शांतिपूर्ण स्थिति का माहौल बनाते हैं।
ऐसे रहेगा परिवार का प्यार बरकरार-
व्यक्तिगत स्वतंत्रता की व्यवस्था - प्रत्येक बच्चे के लिए एक कमरे में व्यक्तिगत आजादी का प्रबंध करने से उन में व्यक्तिगत जुड़ाव की भावना का संचार होता है। प्रत्येक बच्चे के सामान यानी खिलौनों को उसके नाम से अलग रखें और उस की अनुमति के बिना कोई छू न सके। बच्चों में स्वामित्व की भावना परिवार से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है जिससे अनेक सकारात्मक परिवर्तन होते हैं। कमरे को शेयर करने के विचार को दोनों के बीच आकर्षक बनाएं।
नकारात्मक स्थितियों से बचाएं- बच्चो को नकारात्मक स्थितियों से बचाये क्योकि बच्चो में दृष्टिकोण के अंतर के कारण आपस में झगड़े होते हैं।इसके कारण वे निराशाजन्य को दूर करने के लिए कठिनाई महसूस करते हैं और किसी भी स्थिति में नियंत्रण स्थापित करने के लिए झगड़ते रहते हैं, आप अपने बच्चों को ऐसे समय इस स्थिति से दूर रहने के लिए गाइड करें। हमें अपने बच्चों को झगड़े की स्थिति को पहचानने में सहायता करनी चाहिए और इसे शुरू होने के पहले ही समाप्त करने के तरीके बताने चाहिए।
बच्चे की उचित प्रशंसा करे - यदि कोई बच्चा समस्या के समाधान की पहल करता है और नकारात्मक स्थिति से बाहर निकलने की कोशिश करता है तो उसकी प्रशंसा करें। समस्या के समाधान के सकारात्मक नजरिए को सम्मान प्रदान करें, क्योंकि इससे उसका बेहतर विकास होगा और वह परिपक्वता की दिशा में आगे बढ़ेगा। प्रोत्साहन मिलने से हम अपने लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं। इससे बच्चों को अपनी सफलता पर गर्व का एहसास होगा और वे इस स्वभाव को दीर्घकालिक रूप से आगे बढ़ाएंगे।
व्यक्तिगत सम्मान की शिक्षा दें- प्रत्येक व्यक्ति का अपना खुद का शारीरिक और भावनात्मक स्थान होता है, जिसकी एक सीमा होती है, व्यक्तिगत सम्मान की शिक्षा के द्वारा सभी का समान किया जाना चाहिए। बच्चों को समर्थन दे कर उन की सीमाओं को मजबूत करें। उन्हें दूसरे बच्चों की दिनचर्या और जीवनशैली का सम्मान करने की शिक्षा भी दें।
क्षतिपूर्ति सुनिश्चित करें- कभी ऐसा भी समय आता है, जब एक बच्चा दूसरे बच्चे की किसी चीज़ को नुकसान पहुंचा देता है या उस से जबरन ले लेता है। ऐसे में पेरैंट्स को देखना चाहिए कि जिस बच्चे की चीज ली गई है उस बच्चे की भावनाओं का ख्याल रख कर उस के लिए नई वस्तु का प्रबंध करें और गलत काम करने वाले बच्चे को उसकी गलती का एहसास करवाएं। इस से परिवार में अनुशासन और ईमानदारी सुनिश्चित होगी। इस से भाई- बहनों को भी यह एहसास होता है कि पेरैंट्स उन का ख्याल रखते हैं।
चरित्र निर्माण में सहयोग- एक दूसरे के नजदीक रहने से दूसरे के आचार व्यवहार पर निगरानी बनी रहती है। किसी की अवांछनीय गतिविधि पर अंकुश लगा रहता है। यानी कि बच्चा चरित्रवान बना रहता है। किसी परेशानी के समय दूसरा व्यक्ति उस का साथ देते है तो उन पर सामूहिक दबाव भी पड़ता है और बच्चा गलत कार्य नहीं कर पाता। संयुक्त परिवार बच्चों के विकास के लिए एक अनुकुल वातावरण उपलब्ध कराता है। संयुक्त परिवार व्यक्ति को बेहतर बनने में सहायता करता है।
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