बस मैदा के नुकसान ही जानते होंगे आप, पर क्या पता है इसके बारे में ये बातें भी
राज एक्सप्रेस। मैदा से बने व्यंजन बहुत लजीज लगते हैं। फास्ट फूड हो या स्नैक्स सभी मैदा से ही बनाए जाते हैं। इससे बनी कोई भी चीज एकदम सफेद और मुलायम होती है। यही वजह है कि मैदा से बने आइटम बच्चे से लेकर बूढ़ों तक के फेवरेट हैं। लेकिन आपने कई लोगों को कहते सुना होगी कि मैदा सेहत के लिए सीधा जहर है। यह शरीर को नुकसान पहुंचाती है। यह न केवल हड्डियों से कैल्शियम को सोखती है, बल्कि इससे कोलेस्ट्रॉल और एसिडिटी का खतरा भी बढ़ जाता है। आमतौर पर हम मैदा के बारे में इतना ही जानते हैं। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि मैदा के बारे में ऐसा और भी कुछ है, जो इसके नुकसान से परे काफी दिलचस्प है, तो। आज हम आपको मैदा के उन पहलुओं से परिचित कराने जा रहे हैं, जिसके बारे में अब तक आपने न सुना होगा और न ही कहीं पढ़ा होगा। मैदान के बारे में कुछ तथ्य जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे।
गेहूं से ही बनती है मैदा
कुछ लोगों के मन में मैदा के बनने को लेकर कई सवाल हैं । कुछ को लगता है कि इसे साबूदाना बनाते समय बनाया जाता है, वहीं कोई अनुमान लगाता है कि इसमें सिंथेटिक प्रोडक्ट है। लेकिन जनाब आपको बता दें कि जिस गेहूं की रोटी खाते हैं, बस उसी गेहूं से मैदा भी बनती है। लेकिन, मैदा गेहूं को प्रोसेस और ब्लीच करके तैयार की जाती है। जिससे गेहूं में शामिल फाइबर नष्ट हो जाता है और यह सेहत के लिए नुकसानदायक बन जाती है।
अन्य देशों में बैन है मैदा
मैदा का उपयोग केवल भारत में ही हो रहा है। बाकी यूरोपियन देशों के साथ चीन ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। स्वास्थ्य के लिए इसके नुकसानों को देखते हुए और कई देशों में भी मैदा का उपयोग करने की इजाजत नहीं है।
इंडियन शब्द नहीं है मैदा
बता दें कि मैदा भारतीय शब्द नहीं है। इसे अंग्रेजी शब्द “मेड” से लिया गया है। जब ब्रिटिशर्स हमारे देश में आए तो वे पोस्टर्स के जरिए अपने प्रोडक्ट को लांच करना चाहते थे। उन्होंने पोस्टरों को दीवार पर लगाने के लिए मैदा का यूज किया था। वे कलर पैंट, बूट पॉलिश के साथ चिपकाने वाले इंग्रीडिएंट के रूप में मैदा का इस्तेमाल करते थे।
मोटापा और डायबिटीज के लिए जिम्मेदार
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जो लोग अक्सर मैदे से बने आइटम्स का सेवन करते हैं, वे मोटापे, मधुमेह, कब्ज और पाचन तंत्र से संबंधित समस्याओं से पीड़ित होते हैं। दरअसल, गेहूं के आटे में ग्लाइडीन होता है। इससे बार-बार भूख लगती है और ज्यादा कैलोरी खर्च होती है। इससे कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड लेवल भी बढ़ जाता है । यह पूरी प्रक्रिया एक व्यक्ति का वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।
कोलन कैंसर का खतरा
बता दें कि मैदा में फाइबर नहीं होने से एक्टिवनेस कम हो जाती है और ऐसे लोग कब्ज से पीड़ित रहते हैं। बॉडी में फाइबर की कमी कोलन कैंसर की वजह भी बन सकती है। फाइबर और प्रोटीन की कमी से गैस्ट्रिक अल्सर और गॉल ब्लैडर के रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
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