World Diabetes Day : 30 से 40 आयु वर्ग के युवाओं को डायबिटीज होना चिंताजनक, समय रहते करें नियंत्रण
भोपाल मध्यप्रदेश। राजधानी में डायबिटीज के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। हालात यह हैं कि 30 से 40 आयु वर्ग के युवा भी मधुमेह से ग्रसित हो रहे हैं। इसकी वजह है खराब दिनचर्या और खानपान, जिसके कारण मोटापा बढ़ता है और मोटापा डायबिटीज का सबसे प्रमुख कारण है। इसके कारण हार्ट, लीवर, किडनी और आंखों के रोगों के होने के संभावना दो गुना बढ़ जाती है यह कहना है शहर के वरिष्ठ चिकित्सकों का। वर्ल्ड डायबटीज डे के मौके पर राज एक्सप्रेस से बात करते हुए डाक्टरों ने चिंता जताई है कि कम उम्र में डायबिटीज (मधुमेह) होना बेहद गंभीर विषय हैं। उन्होंने बताया कि संयमित डाइट और जीवनशैली अपनाकर डायबटीज के साथ ही कई गंभीर बीमरियों से भी बचा जा सकता है। डाइबिटीज हो भी गई है तो भी इसे मेंटेन किया जा सकता है। वरिष्ठ चिकित्सकों ने बताया कि डायबिटीज गंभीर रूप ले सकती है, इसलिए इससे बचाव या नियंत्रण कर अन्य रोगों की संभावना को भी कम किया जा सकता है। उनकी सलाह है कि पहला उपाय है बचाव और दूसरा शुगर होने पर घर बैठै सोशल मीडिया के नुस्खों और लोगों के बताए तरीकों से इलाज ना करें। डाक्टर से परामर्श ले कर शुगर को नियंत्रित रखें।
डायबिटीज के मरीजों को हृदय रोग होने की संभावना दो गुना :50 प्रतिशत मरीज दवाएं नहीं लेते
मेरे अनुभव के अनुसार बीते 5 साल में शुगर के मरीजों की संख्या में 25 प्रतिशत की बढ़ेात्तरी हुई है। युवाओं में डायबिटीज होना चिंता का विषय है। समस्या यह है कि इसके प्रति लोग सजग नहीं हैं, वहीं जिन्हें पता है वो भी इसे हल्के में लेते हैं। डायबिटीज के मरीजों को हृदय रोग होने की संभावना दो गुना बढ़ जाती है। इन मरीजों में बल्ड का संचार करने वाली धमनियों में टिशू डिसीज हो जाती है, हार्ट ब्लॉकेज ज्यादा और लंबे होते हैं। हार्ट की मसल्स शुगर की वजह से कमजोर हो जाती हैं। बड़ी धमनी और मसल्स के बीच में मौजूद बारीक कैपिलरी (केशिकाएं) उसकी भी बीमारी हो जाती है।
डॉ. राघवेन्द्र सिंह मीना, एसोसिएट प्रोफेसर कार्डिलॉजी, हमीदिया हॉस्पिटल
50 प्रतिशत मरीज दवाएं नहीं लेते :
मैं 21 साल से शहर में डायबिटीज स्पेशलिस्ट के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहा हूं। मेरे पास आने वाले ज्यादातर मरीजों की उम्र 30 से 40 के आसपास है यह चिंता की बात है। कम उम्र में डायबिटीज होने से इसके साथ जीना कठिन हो जाता है। 50 प्रतिशत डायबिटीक मरीज दवाएं नहीं ले रहे हैं और 80 प्रतिशत मरीजों की (एचबीए-1 सी) शुगर कंट्रोल में नहीं है। लोगों में अवेयरनेस की बहुत कमी है, उन्हें ये नहीं पता कि शुगर कंट्रोल क्यों करना है? लोग इसे बहुत हल्के में ले रहे हैं, अपनी मर्जी से वाट्सएप या दूसरी जगहों से इलाज कर रहे हैं। इसके परिणाम घातक हो रहे हैं और बीमारी बढ़ने पर लोग इलाज कराने पहुंच रहे हैं। इसलिए जागरूकता की बहुत ज्यादा जरुरत है।
डॉ. सचिन कुमार गुप्ता, कंसल्टेंट डायबेटोलॉजिस्ट भोपाल
डायबिटीज और बल्ड प्रेशर 91 प्रतिशत केस में किडनी फेल होने का कारण :
35 से अधिक उम्र के किडनी के ज्यादातर मरीजों में डायबिटीज की समस्या पाई जाती है। डायबिटीज और बल्ड प्रेशर किडनी रोग किडनी फेल्यिर का एक सबसे बड़ा कारण है, यह 91 प्रतिशत केस में किडनी फेल होने का कारण बनता है। इसके कारण बीमारी पर निंयत्रण करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए हम रोगियों का बीपी, शुगर कंट्रोल में रखते हैं।
डॉ. हिमांशु शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर नेफ्रोलॉजीश्, जीएमसी भोपाल
40 फीसदी नेत्र रोगी डायबिटीक :
डायबिटीज का नेत्र रोगों पर बहुत ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ता है। हमारे यहां आने वाले मरीजों में से 40 फीसदी मरीज डायबिटीक होते हैं। दुनिया में आंख खोने का तीसरा सबसे बड़ा कारण डायबिटीक रेटिनोपैथी है, इस रोग से ग्रसित व्यक्ति की आंख बचाना मुश्किल हो जाता है, इसलिए बचाव ही इसका इजाल है। डायबिटीक मरीज को आंखों की जांच कराते रहना चाहिए। वहीं कोविड के बाद 50-60 डायबिटीक मरीजों का शुगर कंट्रोल में नहीं था। वहीं नए डायबिटीक मरीजों की संख्या में 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
डॉ. प्रतीक गुर्जर, डायरेक्टर सुदर्शन नेत्रालय भोपाल
डायबिटीज हौवा नहीं :
डायबिटीज हौवा नहीं है, इससे डरने की नहीं बल्कि इसे समझने की जरुरत है। समझ की कमी के कारण लोग सही इलाज लेने से कतराते हैं और ठगे भी जाते हैं। सजग रहे और डाक्टर के परामर्श पर डायबिटीज कंट्रोल रखें।
डॉ. सचिन चित्तावर, हार्मोन और डायबिटीज रोग विशेषज्ञ
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