दंगों को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का होता है इस्तेमाल।
इंसान के लिए घातक है ये गैस।
आंख और त्वचा होती है प्रभावित।
संपर्क में आने पर मुंह और नाक को ढंकें।
राज एक्सप्रेस। किसानों का दिल्ली चलो आंदालेन उग्र रूप ले रहा है। किसानों ने दिल्ली को घेरने की तैयारी कर ली है। बता दें कि 20221 की तरह ही किसान अपनी तमाम मांगों को लेकर सड़क पर उतरे हैं। दिल्ली की तरफ आगे बढ़ रहे किसानों को रोकने के लिए पुलिस आंसू गैस का इस्तेमाल कर रही है। इसे टियर गैस भी कहते हैं। यह कोई मामूली गैस नहीं है। इसका उपयोग किसी की जान काे तक जोखिम में डाल सकता है। ये गैस इतनी खतरनाक है कि कुल 20 सैकंड के अंदर अपना असर दिखाना शुरू कर देती है। गलती से कोई इंसान इसकी चपेट में आ जाए, तो इंसान बस तड़पता ही रहता है। इससे आंखों में भयंकर जलन होती है और आंसू निकलने लगते हैं। बता दें कि दंगाें और भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस द्वारा इस गैस का उपयोग किया जाता है। इसका धुंआ इतना भयंकर होता है कि लोगों को कुछ नजर नहीं आता और उन्हें वहां से भागना पड़ता है। तो आइए जानते हैं क्या होती है आंसू गैस, क्यों इतनी खतरनाक है ये।
आंसू गैस कई सारे केमिकल्स का कलेक्शन है, जो त्वचा, आंख और सांसों में जलन पैदा करता है। इसे हथगोले, ग्रेनेड या फिर स्प्रे के तौर पर यूज किया जाता है। इसका नाम भले ही गैस हो, लेकिन असल में ये कोई गैस नहीं है। यह एक क्रिस्टलीय पाउडर है । इसे स्प्रे में बदला जाता है और छोटे विस्फोटक के साथ ग्रेनेड में भरा जाता है। जैसे ही ग्रेनेड फेंकते हैं, गैस बाहर निकलती है। आंसू गैस का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला रूप 2-क्लोरो बेंज़ाल मैलोनोनिट्राइल (सीएस गैस) है। इसकी खोज पहली बार 1928 में दो अमेरिकी वैज्ञानिकों ने की थी और अमेरिकी सेना ने 1959 में दंगों को नियंत्रित करने के लिए इसे अपनाया था।
आंसू गैस का सबसे ज्यादा असर सांस की नली , आंखों और त्वचा पर होता है। कई बार जलन के साथ दर्द भी होता है। आंसू गैस में मौजूद टीआरपीए1 और टीआरपीवी1 नामक दो दर्द रिसेप्टर्स हैं। आंसू गैस इनमें से किसी एक को एक्टिव कर देती है। दर्द और जलन इतनी भयंकर होती है कि इंसान अंधेपन का शिकार भी हो सकता है। बार-बार छींक या खांसी आना, उल्टी जैसा महसूस होना, दम घुटने लगना जैसे लक्षणों को इस दौरान महसूस किया जा सकता है। इसके ज्यादा देर तक संपर्क में रहने से फेफड़े खराब हो जाते हैं। खासतौर से गर्भवती महिलाओं के लिए यह बहुत खतरनाक है। इससे मिसकैरेज की संभावना बढ़ जाती है।
फिजिशियन फॉर हयूमन राइटस के अनुसार, लंबे समय तक या बार-बार आंसू गैस के संपर्क में रहने से पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इतना ही नहीं हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर के लिए भी ये बड़ा खतरा है। जिन लोगों काे पहले से हृदय संबंधी समस्या है, तो इससे कार्डियक अरेस्ट या मौत हो सकती है।
अगर आपको लगता है कि आप टियर गैस की चपेट में आ गए हैं, तो मुंह को पूरी तरह से कवर कर लें।
गैस के संपर्क में आने के तुरंत बाद ताजी हवा लें।
त्वचा कहीं से भी, खुली न रहे।
अपनी नाक और मुंह पर स्कार्फ बांधें।
चश्मा पहनने से आपकी आंखों की सुरक्षा में मदद मिल सकती है।
अस्थमा वाले लोग इससे दूर रहे। चपेट में आने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
आंसू गैस का हमला होने पर आंख बंद कर लें।
आंसू गैस से वाष्प जमीन पर जम जाता है, इसलिए यदि संभव हो तो ऊंची जगह की तलाश करें।
धुआं नाक या मुंह में जाए, तो तुरंत एक कपड़ा गीला करके मुंह और नाक पर रख लें।
आंखों में जलन होने पर प्याज को दो हिस्सों में काटकर आंखों पर रखें। थोड़ा आराम मिलेगा।
कुछ आंसू गैस में मिर्च पाउडर होता है, इसलिए हमेशा पानी से आंख साफ करना सही नहीं होता। वरना जलन बढ़ सकती है।
आंसू गैस का असर खत्म हो जाए, तो शॉवर के नीचे 15-20 मिनट तक खड़े रहें।
आमतौर पर आंसू गैस को दंगों से निपटने का कम जोखिम वाला तरीका माना गया है, लेकिन इसका इस्तेमाल कब किया जाना चाहिए, इस पर अभी भी बहस चल रही है। अगर आप आंसू गैस के संपर्क में आते हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें।
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