हाइपरटेंशन लाइफस्टाइल डिजीज है।
5 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में हाई बीपी की समस्या।
20 सप्ताह से 1 ग्राम कैल्शियम लें महिलाएं।
नमक का सेवन कम करें।
राज एक्सप्रेस। गर्भावस्था में महिलाएं कई पड़ावों का सामना करती हैं। इस दौरान उनकेे शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। इनमें से एक है हाइपरटेंशन। इसमें शरीर में ब्लड की मात्रा बढ़ जाती है। 5% गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था से पहले या इस दौरान हाइपरटेंशन जैसी कंडीशन का सामना करना पड़ता है। जो मां और गर्भ में पल रहे शिशु के लिए खतरनाक है। दरअसल, कम ब्लड फ्लो प्लेसेंटा तक पहुंचकर भ्रूण को मिलने वाली ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। जिससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। WHO के अनुसार, स्वस्थ और संतुलित आहार से प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को कम किया जा सकता है। यहां कुछ ऐसे पोषक तत्वों के बारे में बताया गया है, जो गर्भावस्था में हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने के लिए जाने जाते हैं।
जर्नल न्यूट्रिएंट्स से पता चलता है कि कम कैल्शियम का सेवन कुछ तरह के हार्मोन रिलीज करता है, जो हाइपरटेंशन का कारण बनते हैं । इनसे ब्लड वेसेल्स में संकुचन और फिर ब्लड प्रेशर बढ़ता है। डिलीवरी तक 20 सप्ताह से हर दिन गर्भवती को 1 ग्राम कैल्शियम की डोज लेने की सलाह दी जाती है। इस पोषक तत्व की कमी को पूरा करने के लिए पनीर, दही, मलाई जैसे डेयरी प्रोडक्ट का सेवन भी अच्छा है।
शरीर में विटामिन डी की कमी ब्लड में ग्लूकोज लेवल बढ़ा देती है, जिससे मां को डायबिटीज का खतरा हो सकता है। विटामिन डी की कमी के कारण प्रेगनेंसी में ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है। प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को कम करने के लिए रोजाना 10 से 25 माइक्रोग्राम के विटामिन डी सप्लीमेंट लेना चाहिए।
85% स्टडीज बताती हैं कि प्रीक्लेम्पसिया वाली गर्भवती महिलाओं में अमीनो एसिड होमोसिस्टीन की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए, जब फोलेट कम होता है, तो होमोसिस्टीन का कंसन्ट्रेशन बढ़ जाता है। बदले में, फोलेट ब्लड प्रेशर और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है। एक सुरक्षित उपाय के रूप में गर्भवती पहली तिमाही के दौरान हर दिन 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड का सेवन कर सकती है। इसके अलावा हरे रंग की सब्जियों से भी अच्छी मात्रा में फोलिक एसिड मिल सकता है।
कुछ रिसर्च में पाया गया है कि जिन गर्भवती महिलाओं ने 100 मिलीग्राम ओमेगा-3एस, डीएचए और ईपीए का सेवन किया, उनमें प्रीक्लेम्पसिया के खतरे की संभावना कम होती है। ओमेगा 3 फैटी एसिड की कमी को मछली खाकर पूरा किया जा सकता है। हालांकि, मछली में ओमेगा-3 के अलावा, एंटीहाइपरटेन्सिव, एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी के साथ बायोएक्टिव पेप्टाइड भी होते हैं। इस न्यूट्रिएंट की मदद से हाई ब्लड प्रेशर को काबू में किया जा सकता है।
प्रीक्लेम्पसिया वाली गर्भवती महिलाओं में कई बार ट्राइग्लिसराइड्स और बैड एलडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। स्टडीज के मुताबिक डायट्री फाइबर इन्हें कम करने का अच्छा तरीका है। विशेषज्ञ गर्भावस्था के दौरान गर्भवती को हर दिन 27 से 30 ग्राम तक फाइबर का सेवन बढ़ाने की सलाह देते हैं। साबुत अनाज, साबुत फल, सब्जियां और अन्य हरी सब्जियां भी फाइबर के अच्छे सोर्स हैं।
बहुत ज्यादा सोडियम और बहुत कम पोटेशियम ब्लड प्रेशर पर असर डालते हैं। इसलिए, प्रेग्नेंसी में या तो नमक का सेवन कम या फिर बंद कर देना चाहिए। साथ ही ऐसे प्रोसेस्ड फूड भी खोने से बचना चाहिए, जिनमें नमक की मात्रा जरूरत से ज्यादा होती है। अगर नमक की कमी हो, तो पोटेशियम से भरपूर फलों और सब्जियों का सेवन बढ़ाना अच्छा विकल्प है।
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