डिप्रेशन से जुड़े इन मिथकों को सच मान बैठे हैं लोग, आप भी जानें क्या है सच
राज एक्सप्रेस। आज डिप्रेशन की समस्या बहुत आम हो गई है। लेकिन दुनियाभर में डिप्रेशन के बढ़ते मामले चिंता का विषय बन गए हैं। क्योंकि, कई बार तो यह हम पर इतना हावी हो जाता है, कि मन में सुसाइड जैसे ख्याल आने लगते हैं। लोग डिप्रेशन को तनाव, एंजाइटी और चिंता का ही एक प्रकार मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन इस पर अगर ध्यान न दिया जाए, तो ये आपकी जिन्दगी को बदतर बना सकता है। इसके आवेश में आकर आप अपनी जान भी ले सकते हैं।
WHO के मुताबिक भारत में 20 करोड़ लोग डिप्रेशन सहित अन्य मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं। इसके अनुसार, दुनियाभर में युवाओं की मौत की तीसरी सबसे बड़ी वजह डिप्रेशन है। जिस तरह इस बीमारी को दूर करना जरूरी है, उसी तरह इसके बारे में लोगों के बीच फैले भ्रमों को दूर किया जाना चाहिए। तो आइए हम यहां आपको डिप्रेशन से जुड़े मिथक और तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। इसमें हमारी मदद की है भोपाल की साइकोलॉजिस्ट अदिति सक्सेना ने।
मिथक-1 : अवसाद का मतलब उदासी महसूस करना है
यह उदासी से भी बढ़कर एक गंभीर मानसिक स्थिति है, जो लंबे समय तक चलती है। अगर आपको डिप्रेशन है, तो यह बीमारी आपके काम, विचार और भावना को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। ठीक न होने पर यह मानसिक विकलांगता का कारण भी बन सकती है।
मिथक-2 : एंग्जाइटी और डिप्रेशन एक ही है
यह लोगों में सबसे बड़ा भ्रम है, जिसे दूर करना बेहद जरूरी है कि चिंता और अवसाद एक ही हैं। ऐसा नहीं है। दोनों एक दूसरे से संबंधित हैं, लेकिन ये दो अलग-अलग स्थितियां हैं। चिंता की स्थिति में व्यक्ति भविष्य को लेकर नकारात्मक सोच बना लेता है, लेकिन अवसाद होने पर हम उस घटना की सोच में डूबे रहते हैं।
मिथक-3 : डिप्रेशन समय के साथ दूर हो जाता है
चिंता कुछ समय बाद दूर हो सकती है, लेकिन अवसाद से पीड़ित मरीज को ठीक होने में महीनों लग जाते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जो खुद ब खुद ठीक नहीं होती, इसके लिए किसी प्रोफेशनल की मदद लेनी पड़ती है।
मिथक-4 : डिप्रेशन वयस्कों की समस्या है
ज्यादातर लोगों का ऐसा मानना है कि डिप्रेशन वयस्कों की बीमारी है। लेकिन यह सही नहीं है। डिप्रेशन कभी भी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है।
मिथक -5 : डिप्रेशन का इलाज करना कठिन है
यह सच नहीं है। वास्तविकता यह है कि ज्यादातर लोग जो अपने अवसाद को दूर करने के लिए कदम उठाते हैं, वे जल्दी बेहतर हो जाते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ की एक स्टडी के अनुसार, 70% लोग दवाओं के की मदद से ठीक हो जाते हैं। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि दवा और टॉक थेरेपी का संयोजन डिप्रेशन का सबसे अच्छा इलाज है।
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