परीक्षा के दिनों में जागते रहने में मदद करती हैं एंटी स्लीप पिल्स।
स्टूडेंट करते हैं सिरप और टेबलेट का उपयोग।
स्लीपिंग साइकिल होती है डिस्टर्ब।
कैफीन के साथ न लें एंटी स्लीप पिल्स।
राज एक्सप्रेस। भारत के उत्तर प्रदेश में कक्षा 10 वीं की बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रही एक छात्रा को एंटी स्लीप लेना भारी पड़ गया। दवा की ज्यादा मात्रा के कारण मस्तिष्क में खून का थक्का जम गया, जिसके बाद उसे बड़ी सर्जरी करानी पड़ी। रिपोट़र्स के अनुसार, छात्रा काफी समय से एंटी स्लीप गोलियां ले रही थी, जिससे नर्व्स में सूजन आ गई और उसे बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया। एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, परीक्षाओं के दौरान, कई छात्र देर तक जागने और पढ़ाई करने के लिए एंटी स्लीप मेडिसिन का सहारा ले रहे हैं, जिससे उनकी स्लीपिंग साइकिल डिस्टर्ब हो रही है। अनहेल्दी लाइफस्टाइल उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है, जिससे अब इन दवाओं की वैधता पर सवाल उठने लगे हैं। तो आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कितनी खतरनाक हैं एंटी स्लीप पिल्स।
भोपाल के भोपाल मेमोरियल हॉस्पीटल के न्यूरोसर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सौरभ दीक्षित कहते हैं कि आज छात्र एंटी स्लीप पिल्स ले रहे हैं जो उन्हें परीक्षाओं के दौरान जागते रहने में मदद करती हैं। इन दवाओं के खतरनाक साइडइफेक्ट हो सकते हैं। क्याेंकि सोना हमारी लाइफ का जरूरी पार्ट है। अगर आप ये दवाएं लेते हैं, तो इनके यूज से कुछ समय तक परफॉर्मेंस अच्छा रह सकता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है। क्योंकि जरूरत से ज्यादा जागने पर शरीर में थकान होती है। बॉडी की नेचुरल बायोलॉजिकल क्लॉक से छेड़छाड़ करके व्यक्ति स्ट्रेस, डिप्रेशन या फिर इंसोमनिया का शिकार हो सकता है।
ये गलियां मोडाफिनिल के अलग-अलग रूप हैं, जिन्हें प्रोविजील के नाम से बेचा जाता है। ये याददाश्त, सतर्कता और संज्ञानात्मक क्षमताओं में सुधार करने के लिए जानी जाती हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से नार्कोलेप्सी और शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर जैसे डिसऑडर्स के इलाज के लिए किया जाता है। ये दवाएं लगातार 40 घंटे या उससे ज्यादा तक जागते रहने में मदद करती हैं। हालांकि, एक बार जब दवा का असर ख़त्म हो जाता है, तो इसके साइड इफेक्ट को कम करने के लिए कुछ समय की अच्छी नींद जरूर लेनी चाहिए।
एंटी स्लीप पिल्स स्कूल और कॉलेज स्टूडेंट़स के बीच काफी पॉपुलर हैं। क्योंकि इससे उन्होंने जो याद किया है उसे बरकरार रखने में मदद मिलती है। छात्रों पर दबाव को देखते हुए, आमतौर पर माता-पिता ही ऐसी दवाएं खरीदते हैं। केमिस्ट निकिता गुप्ता कहती हैं कि देर रात तक जागने के लिए कई आयुर्वेदिक औषधियां भी आती हैं, इनका कोई साइड-इफेक्ट नहीं होता और आम तौर पर इनकी बिक्री फरवरी में ज्यादा होती है।
वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ.कमलेश उदैनिया ने पैरेंट के साथ-साथ छात्रों के लिए भी सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी स्लीप साइकिल को ठीक रखना चाहिए। हर व्यक्ति के लिए 6 से 8 घंटे की नींद जरूरी है। जब आप थकते हैं, तो नेचुरल स्लीप साइकिल डिस्टर्ब नहीं होती। लेकिन दवा लेने के बाद जब नींद नहीं आती, तो अलर्टनेस कम हो जाती है। इससे बेहतर है कि खान-पान पर ध्यान दें। अगर बच्चे को उचित आहार और नींद मिले तो उसे तनाव कम होगा और उसकी एकाग्रता में सुधार होगा।
रात में ज्यादा खाने से बचें।
दोपहर में अच्छी छोटी झपकी लें।
रात में पढ़ने के लिए पहले अच्छी नींद ले लें।
लाइट जलाकर रखें।
बेड पर लेटकर पढ़ाई न करें।
रात को अपना फेवरेट टॉपिक या सब्जेक्ट पढ़ें।
बोल बोलकर पढ़ने से नींद नहीं आती।
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