डियर फादर, आप भी हो सकते हैं पोस्टपार्टम डिप्रेशन के शिकार, उभरने के लिए अपनाएं ये तरीके
हाइलाइट्स :
मां की तरह पिता भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन के शिकार।
पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी इसका मुख्य कारण।
पुरुषों में जल्दी नहीं होता इस स्थिति का निदान।
मूड को बेहतर करने के लिए आराम करें।
राज एक्सप्रेस। बच्चे के जन्म के बाद हर मां के जीवन में बदलाव आता है। अलग-अलग तरह के अनुभव होते हैं। नई जिम्मेदारियों के चलते जब महिलाओं में चिंता और अवसाद की स्थिति बनने लगे, तो इसे जिसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है। यह एक मानसिक बीमारी है, जो किसी भी महिला के सोचने और कार्य करने के तरीके को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। लेकिन हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस शिकागो द्वारा हुई नई रिसर्च से पता चला है कि मां की तरह ही पिता भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन से जूझते हैं। क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार 15 प्रतिशत पिता में इस स्थिति का निदान किया जाता है। रिसर्चर्स के अनुसार, पुरुषों को इस बात की चिंता सताती है कि उन्हें काम और पिता बनने की जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने में काफी संघर्ष करना पड़ेगा। आइए जानते हैं पिता में पोस्टपार्टम डिप्रेशन और इससे बचने के उपायों के बारे में।
हार्मोन में बदलाव मुख्य कारण
कई स्टडीज बताती हैं कि प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के दौरान पुरुषों में मौजूद मेल हार्मोन में बदलाव होते हैं, जो डिप्रेशन की रिस्क को बढ़ाते हैं। पुरुषों में इस दौरान खासतौर से टेस्टोस्टेरोन में बहुत कमी पाई जाती है। इसके अलावा एस्ट्रोजन, कोर्टिसोल, वैसोप्रेसिन और प्रोलैक्टिन हार्मोन में भी बदलाव देखे जाते हैं। एक पिता को इसका अनुभव बहुत जल्दी नहीं होता, जबकि महिलाओं को बच्चे को जन्म देने के पहले महीने के भीतर पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण नजर आने लगते हैं।
पुरुषों में पोस्टपार्टम डिप्रेशन कितना कॉमन है ?
पोस्टपार्टम डिप्रेशन 8-10% पुरुषों को प्रभावित करता है लेकिन अन्य सर्वे के अनुसार, यह संख्या 25% तक हो सकती है।
मेल पोस्टपार्टम डिप्रेशन का प्रतिशत पहले साल में बढ़ जाता है।
इसकी भावना उन पुरुषों में 24-50% है, जिनकी पत्नी भी डिप्रेशन में हैं।
एक साल तक अवसाद का अनुभव
पुरुषों में पोस्टपार्टम डिप्रेशन का अक्सर निदान नहीं हो पाता। लेकिन ये बच्चे के जन्म के तीन से छह महीने बाद होता है। मां की तरह पिता को भी करीबन एक साल तक डिप्रेशन की समस्या रहती है। इस दौरान 25 फीसदी पिता हल्के डिप्रेशन के लक्षणों का सामना करते हैं, वहीं लगभग 10 से 12 फीसदी में डिप्रेशन का निदान किया जाता है।
पोस्ट पार्टम डिप्रेशन से कैसे उभरें
खुद को ब्रेक दें
माता-पिता बनना आसान नहीं है। यह समय सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की भावनाएं लेकर आ सकता है। इसलिए खुद को दोष देना बंद करें और पूरी ईमानदारी से माता-पिता बने का यह सफर एन्जॉय करें।
अन्य पिताओं से कनेक्ट हों
आप कई और अपने दोस्तों से मिल सकते हैं, जिन्होंने पहले पिता बनने का अनुभव किया हो। इससे आपको कई समस्याओं से निपटने के आसान तरीकों के बारे में पता चलेगा।
एक्सरसाइज करें
एक्सरसाइज मूड को बेहतर बनाने और तनाव, अवसाद और चिंता से निपटने के लिए एक बेहतरीन उपाय है। सप्ताह में कुछ दिन लगभग एक घंटे तक एक्सरसाइज करने का समय निकालें। आपको पहले से बेहतर महसूस होगा। यह आपके शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
अपने साथी से बात करें
एक पत्नी के तनाव में होने पर पुरुषों में डिप्रेशन की संभावना बढ़ती है। इसलिए अपनी साथी से खुलकर बातचीत करें। यदि संभव हो, तो हर सप्ताह साथ समय बिताने के लिए डेट नाइट प्लान करना बढ़िया तरीका है। इस समय का उपयोग यह जानने के लिए कर सकते हैं कि आप दोनों ही कैसा महसूस कर रहे हैं।
स्वस्थ आहार लें
स्वस्थ खाने की आदत अपनाने से डिप्रेशन को अच्छे से डील किया जा सकता है। अपने आहार में फल, सब्जियां, प्रोटीन, साबुत अनाज, कार्बोहाइड्रेट और हेल्दी फैट का सेवन करना जरूरी है। जबकि सिगरेट पीना, शराब पीना और बड़ी मात्रा में कैफीन का सेवन अवसाद और चिंता को और बदतर बना देता है।
एक नए पिता के तौर पर पोस्टपार्टम डिप्रेशन से निपटना मुश्किल है। लेकिन इस स्थिति से जूझने वाले आप अकेले नहीं हैं। खुद की देखभाल को प्राथमिकता देने से आपको बेहतर महसूस हो सकता है। बता दें कि यह लंबे वक्त तक चलने वाली स्थिति नहीं है, इसलिए यहां बताए गए उपायों की मदद से इस स्थिति से उभरने में बहुत मदद मिलेगी।
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