नहीं आते समय पर पीरियड, तो हो सकता है इस बीमारी का खतरा
नहीं आते समय पर पीरियड, तो हो सकता है इस बीमारी का खतराSyed Dabeer Hussain - RE

आपको भी नहीं आते समय पर पीरियड, तो हो सकता है इस बीमारी का खतरा

अनियमित पीरियड भी लिवर डिजीज का कारण बन सकता है। एक शोध के अनुसार मिस्‍ड और अनियमित पीरियड का आपस में गहरा कनेक्‍शन है। इसलिए महिलाओं को सर्तक रहना चाहिए और समय रहते उपाय कर लेने चाहिए।
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राज एक्सप्रेस। पीरियड हर महिला के लिए अहम होता है। लेकिन कभी-कभी बेवजह के तनाव, खराब खानपान और वर्कआउट में कमी के चलते नियमित रूप से पीरियड नहीं आते। भारत की लगभग हर महिला इससे परेशान है। वैसे तो डेट पर पीरियड न आना सामान्‍य है, लेकिन हर बार ज्‍यादा गैप होना चिंता की बात है। क्‍योंकि, अनियमित पीरियड के चलते शरीर में कई तरह की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं पैदा हो जाती हैं। अगर आपको भी समय पर पीरियड नहीं आ रहे हैं , तो इसे हल्‍के में ना लें। क्योंकि अनियमित पीरियड कहीं न कहीं लिवर डिजीज का संकेत है। एंडोक्राइन सोसायटी जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित एक नई स्‍टडी में इसका खुलासा हुआ है। स्‍टडी के अनुसार, लगभग 24% अमेरिकी वयस्क नॉन अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) से जूझ रहे हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लीवर में फैट जमा होने लगता है। इर्रेगुलर पीरियड्स वाली महिलाओं को लीवर डिजीज के जोखिम को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए। तो आइए जानते हैं अनियमित पीरियड से क्‍यों प्रभावित होता है लिवर और क्‍या हैं इससे बचने के उपाय।

क्‍यों होते हैं इर्रेगुलर पीरियड

विशेषज्ञों की मानें तो हार्मोनल इंबैलेंस के कारण पीरियड इर्रेगुलर हो जाते हैं। हालांकि, इसकी कोई एक वजह नहीं है, और भी कई वजहों के चलते पीरियड लेट या जल्‍दी आ सकते हैं। जैसे -

  • बर्थ कंट्रोल पिल्‍स का यूज।

  • ओवेरियन कैंसर।

  • पोलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्‍या।

  • गर्भाशय में कॉपर टी जैसे अंदरूनी डिवाइस का इस्‍तेमाल।

  • यूट्रस में फाइब्रॉइड।

  • कई बार ज्‍यादा एक्‍सरसाइज करने से भी पीरियड अनियमित हो जाते हैं।

इर्रेगुलर पीरियड्स से NAFD का खतरा क्‍यों

फैटी लिवर की समस्‍या या तो शराब के सेवन या फिर एक्‍स्‍ट्रा फैट सेल के कारण होती है। जिससे हार्मोन इंबैलेंस हो जाते हैं। परिणाम, एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन में असंतुलन होता है, जिससे हैवी मेंस्ट्रुअल ब्‍लीडिंग के साथ मिस्ड पीरियड्स की समस्‍या भी पैदा हो सकती है। बता दें कि फैटी लिवर और अनियमित पीरियड्स अक्सर साथ-साथ चलते हैं। इसलिए, अगर किसी महिला को पीरियड्स में कोई भी बदलाव नजर आए तो डॉक्‍टर से कंसल्‍ट जरूर करना चाहिए।

किन महिलाओं को NAFD का जाेखिम ज्‍यादा

मिस्‍ड या इर्रेगुलर पीरियड के चलते NAFLD का खतरा उन महिलाओं को ज्‍यादा होता है, जो ओवरवेट या मोटी होती हैं। दुनिया की लगभग 25 प्रतिशत आबादी इससे जूझ रही है। हालांकि, प्राइमरी स्‍टेज में महिलाएं इससे अंजान होती हैं, लेकिन स्‍टेज बढ़ने के साथ लिवर इस हद तक डैमेज हो जाता है कि ठीक से काम करना भी बंद कर देता है और उपचार के विकल्‍प भी बहुत कम बचते हैं।

इर्रेगुलर पीरियड होने पर क्‍या करें

  • इर्रेगुलर पीरियड्स होने पर जीवनशैली में बदलाव जरूरी है। लाइफस्‍टाइल में फिजिकल एक्टिविटी को शामिल करना, पौष्टिक आहार खाना और शराब के सेवन को सीमित करना जरूरी है।

  • इर्रेगुलर पीरियड से जूझ रही महिलाओं को रिप्रोडक्टिव एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। वे सबसे पहले उनके लिवर फक्‍शन और हार्मोन लेवल का आकलन करेंगे।

  • आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम करने से फैटी लिवर डिजीज के खतरे को कम किया जा सकता है। कार्ब्स को पूरी तरह अवॉइड करने के बजाय प्रोसेस्‍ड कार्ब्स से बच सकते हैं।

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