दिल की सेहत का पता लगाने के लिए कराने चाहिए टेस्ट।
दिल की धड़कन का पता लगाता है इकोकार्डियोग्राम।
अटैक को लेकर सतर्क करता है ईसीजी।
कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज का पता लगाता है सीटी स्कैन।
राज एक्सप्रेस। हार्ट डिसीज इन दिनों एक कॉमन प्रॉब्लम है। पहले यह बीमारी बुजुर्गों में देखी जाती थी, वहीं अब ये कम उम्र के लोगों को भी अपना शिकार बना रही है। भले ही आप बाहर से फिट और हेल्दी क्यों न हो, अगर हार्ट में कोई परेशानी है, तो तुंरत कार्डियोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए। वह आपको कई तरह के टेस्ट करने की सलाह देगा, जिससे आपके दिल का सही हाल पता चल पाता है। आमतौर पर हम ईसीजी, सीटी स्कैन और एमआरआई के बारे में ही जानते हैं, लेकिन इसके अलावा और भी कई जरूरी टेस्ट हैं, जिनकी लोगों को जानकारी नहीं है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बाद भी लोग इन टेस्ट को अवॉइड करते हैं। तो आइए जानते हैं किस टेस्ट का क्या है मतलब और क्यों इतने जरूरी हैं ये।
यह हार्ट के लिए एक नॉर्मल टेस्ट है। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर जान सकता है कि आपका दिल कैसे धड़क रहा है और आपका ब्लड कैसे फलो हो रहा है। इकोकार्डियोग्राम की इमेज का उपयोग हृदय की मांसपेशियों और वाल्वों में अलग-अलग असामान्यताओं की पहचान करने के लिए किया जाता है।
हृदय वाल्व की फंक्शनिंग के बारे में जानना।
हार्ट के ओवरऑल फंक्शन को मॉनिटर करना।
यह टेस्ट कराने से डॉक्टर को यह जानने में मदद मिलती है कि इलेक्ट्रिक वेव आपके हार्ट से गुजरने में कितना समय लेती हैं। यह पता चल जाए, तो ये जानना आसान हो जाता है कि इलेक्ट्रिक एक्टिविटी सामान्य है धीमी है तेज है या अनियमित।
हार्ट रिदम में होने वाले बदलाव की जानकारी।
पता चलता है कि हार्ट अटैक पड़ा है या नहीं।
यह पता चलता है कि हार्ट अटैक पड़ने वाला है।
एमआरआई को मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग कहते हैं। यह आपके शरीर के अंदर आर्गन और स्ट्रक्चर्स की इमेज बनाने के लिए मैग्नेटिक फील्ड और रेडियो फ्रीक्वेंसी वेव का उपयोग करता है। इसका उपयोग आपके हृदय और ब्लड वेसेल्स की जांच करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा स्ट्रोक आने से मास्तिष्क का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है, यह जानने में मदद मिलती है।
हार्ट स्ट्रक्चर के बारे में पता चलता है।
हार्ट वाल्व कैसे काम कर रहे हैं, यह देखा जाता है।
यह एक एक्स-रे इमेजिंग तकनीक है, जो आपके दिल की क्रॉस-सेक्शनल इमेज बनाने के लिए कंप्यूटर का यूज करती है। इसे कार्डियक कंप्यूटेड टोमोग्राफी, कम्प्यूटराइज्ड एक्सियल टोमोग्राफी या सीएटी स्कैन के नाम से भी जाना जाता है। यह टेस्ट आपके हृदय और ब्लड वेसेल्स चैक करने के लिए किया जा सकता है।
हार्ट स्ट्रक्चर की मॉनिटरिंग करने।
पता लगाने कि क्या कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज है।
इसे एक्सरसाइज टॉलरेंस टेस्ट भी कहते हैं। यह टेस्ट दर्शाता है कि आपके हृदय में ब्लड पर्याप्त मात्रा में पहुंच रहा है या नहीं। इसके अलावा ट्रेडमिल और स्टेशनरी साइकिल पर एक्सरसाइज के दौरान आपके हृदय की रिदम सामान्य है या नहीं, यह भी पता लगाया जा सकता है। टेस्ट एक्सरसाइज करते समय यह टेस्ट आपकी थकान, हार्ट रेट, ब्रीदिंग, ब्लड प्रेशर और हार्ट एक्टिविटी लेवल मॉनिटर करता है।
सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और कमजोरी का कारण पता करने।
हार्ट हेल्थ की जानकारी लेना।
यह टेस्ट आमतौर पर यह जानने के लिए किया जाता है कि आपको बेहोशी या चक्कर क्यों आते हैं। टेस्ट मापता है कि आपका ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट ग्रेविटेशनल फोर्स पर कैसे रिएक्ट करते हैं।
चक्कर आना या बेहोशी का आकलन करना।
हार्ट रिदम में होने वाले बदलावों को जानना।
कोरोनरी एंजियोग्राम एक तरह का एक्स रे है। इसका उपयोग कोरोनरी आर्टरीज की जांच करने के लिए किया जाता है। इसमें कैथेटर के जरिए स्पेशल डाई और एक्सरे का उपयोग करके देखा जाता है कि आपके दिल में आर्टरीज के जरिए ब्लड कैसे फ्लो हो रहा है।
कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज को पहचानने।
हृदय के अंदर दबाव का पता लगाने।
यहां हार्ट के लिए बताए गए टेस्ट के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करें। इन्हें कराने से कम उम्र में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का खतरा काफी हद तक टल जाएगा।
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