भारत में हर साल 1 करोड़ लोग हो रहे हैं डायबिटीक
भारत में हर साल 1 करोड़ लोग हो रहे हैं डायबिटीकSyed Dabeer Hussain - RE

भारत में हर साल 1 करोड़ लोग हो रहे हैं डायबिटीक, बच्‍चों पर भी पड़ता है असर, ऐसे रखें उनका ध्‍यान

मध्‍यप्रदेश में डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह बच्‍चों को भी प्रभावित करेगी। ऐसे में उनकी लाइफस्‍टाइल में बदलाव कर टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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राज एक्सप्रेस। क्‍या आप जानते हैं कि भारत में 101.3 मिलियन लोग डायबिटीज के साथ जी रहे हैं। वहीं 136 मिलियन लोग प्री डायबिटीक हैं। आईसीएमआर द्वारा की गई स्‍टडी और सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। यह स्‍टडी द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित की गई है। नए आंकड़ों के अनुसार, भारत की लगभग 11 प्रतिशत आबादी डायबिटिक है। बात अगर बड़े शहरों की करें, तो यहां लगभग 15.4 प्रतिशत लोग प्री डायबिटिक स्‍टेज में पहुंच चुके हैं। जो आने वाले समय में बहुत जल्‍दी डायबिटीज की गिरफ़्त में आ सकते हैं। वहीं मध्‍यप्रदेश में भी डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भोपाल के इंपल्‍स मल्‍टीकेयर हॉस्पिटल के डायरेक्‍टर और जनरल फिजिशियन डॉ.आरिफ खान के अनुसार, डायबिटीज बच्‍चों को भी प्रभावित करती है। इससे उनमें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। आजकल 6-7 वर्ष के बच्‍चों में भी डायबिटीज के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में हर माता-पिता के लिए इसके शुरुआती संकेतों को समझना और उनकी लाइफस्‍टाइल में बदलाव करना जरूरी है। यहां हमने बच्‍चों की लाइफस्टाइल से जुड़े कुछ ऐसे बदलावों के बारे में बताया गया है, जिन्‍हें ध्‍यान में रखकर टाइप 2 डायबिटिज के जोखिम को कम किया जा सकता है।

बच्‍चों में प्री डायबिटीज के लक्षण

एक्‍सपर्ट के अनुसार, प्री डायबिटीज वाले बच्‍चों में बार-बार प्‍यास लगना, जल्‍दी जल्‍दी पेशाब आना, वजन घटना , थकान, चिड़चिड़ापन और बार-बार संक्रमण होने का अनुभव हो सकता है। जीवनशैली में बदलाव बच्‍चों में टाइप 2 डायबिटीज को रोकने में मदद कर सकता है। बता दें कि यह उन बच्‍चों को प्रभावित करती है, जिनकी खाने की आदतें खराब हैं और जो कम एक्‍सरसाइज करते हैं।

ओवरइटिंग रोकें

बच्‍चों की उन आदतों पर रोक लगाना जरूरी है, जो उन्‍हें इस बीमारी की ओर ले जा रही हैं। बच्‍चों को थाली में, मेज पर और बिना टीवी देखे खाने के लिए कहें। इससे ओवरइटिंग की समस्‍या काफी हद तक कम हो जाएगी।

एक्सरसाइज जरूरी है

टाइप 2 डायबिटीज की समस्‍या शुरू न हो, इसके लिए बच्‍चों को नियमित रूप से व्‍यायाम करना चाहिए। कोशिश करें कि बच्‍चे हर रोज एक घंटे दौड़े, रस्‍सी कूदें और बाइक चलाएं। इससे इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है।

फूड पोर्शन कंट्रोल करें

बच्‍चों का वजन बढ़ने से रोकने के लिए फूड पोर्शन कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा बच्‍चों को एक समय में बहुत ज्‍यादा खाने न दें। भोजन परोसने के लिए उन्‍हें बड़ी के बजाय छोटी छोटी प्‍लेटों का इस्‍तेमाल करने के लिए कहें।

संतुलित आहार दें

बच्‍चों को फास्‍ट और जंक फूड के बजाय फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार दें।

मीठे पेय पदार्थों से दूरी बनाएं

बच्‍चों को सोडा और अन्‍य मीठे पेय पदार्थों से परहेज करना चाहिए। इनकी न्‍यूट्रिशनल वैल्‍यू न के बराबर होती है और कैलोरी बहुत ज्‍यादा। आहार में लो फैट डेयरी प्रोडक्‍ट़स को शामिल करने से बच्‍चों काे टाइप 2 डायबिटीज के खतरे से बचाया जा सकता है।

स्‍क्रीन टाइम घटाएं

बच्‍चों का स्क्रीन टाइम घटाएं। बच्चाें के फोन या कंप्यूटर पर, वीडियो गेम खेलने और टीवी देखने के समय को सीमित करें। विशेषज्ञ दिनभर में बच्‍चों को दो घंटे या उससे भी कम समय के लिए फोन, टीवी का यूज करने की सलाह देते हैं।

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