बच्चों में मोटापे की समस्या घातक।
2030 तक भारत में 2.7 करोड़ बच्चे होंगे मोटापे के शिकार।
मोटापा बढ़ाता है क्रॉनिक डिजीज का खतरा।
स्क्रीन टाइम घटाएं, फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं।
Childhood Obesity : मोटापा किसी भी उम्र में हो, सेहत के लिए नुकसानदायक है। ज्यादा वजन क्रॉनिक बीमारियों का खतरा बढ़ाता है, जिससे आजकल पेरेंट्स परेशान हैं। माता-पिता इन दिनों बच्चों में मोटापे को लेकर चिंतित हैं। कई मेडिकल रिपोर्ट में तो चाइल्डहुड ओबेसिटी को महामारी बताया गया है। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से हुई एक स्टडी के अनुसार, पिछले एक दशक में चाइल्डहुड ओबेसिटी के मामलों में 25% की वृद्धि हुई है। वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस 2022 के मुताबिक 2030 तक भारत में 2.7 करोड़ बच्चे मोटापे से पीड़ित होंगे। ऐसे में डॉक्टर्स कम उम्र से ही स्वस्थ वजन बनाए रखने की सलाह देते हैं। बच्चों में मोटापे के कई कारण हैं, जैसे पौष्टिक आहार न लेना, जंक फूड का लगातार सेवन, अच्छी नींद न लेना और एक्सरसाइज की कमी। सेडेंटरी लाइफस्टाइल के कारण बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। अगर समय रहते इसे कंट्रोल नहीं किया जाए, तो कम उम्र में ही बच्चा डायबिटीज, हृदय रोग और लिवर से संबंधित बीमारियां का शिकार हो सकता है। अगर आपके बच्चे को भी मोटापे की समस्या है, तो CDC ने चाइल्ड ओबेसिटी को कंट्रोल करने के कुछ टिप्स बताए हैं। इन्हें बच्चों के डेली रूटीन में शामिल करना चाहिए।
बच्चों में प्रोसेस्ड फूड की डिमांड उनका वजन बढ़ा रही है। मगर ज्यादातर पेरेंट्स का ध्यान इस बात पर नहीं जाता। अगर आपके बच्चे का वजन उसकी उम्र के अनुसार ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि उसके खाने-पीने की गलत आदतों पर रोक लगानी चाहिए। अनहेल्दी फूड आइटम , प्रोसेस्ड फूड , हाई शुगर फूड से परहेज करने के लिए कहें। उनके आहार में फल, सब्जी और साबुत अनाज को शामिल करें।
जरूरत से ज्यादा स्क्रीन टाइम ने बच्चाें की सोने की आदत बिगाड़ दी है। इससे उनके बाहर जाकर खेलने कूदने का समय घट जाता है और बैठे -बैठे वजन बढ़ता है। स्क्रीन टाइम कर कंट्रोल करके न बच्चा केवल अच्छी नींद ले सकता है,बल्कि उसे फैमिली के साथ समय बिताने का भी वक्त मिल जाता है।
स्क्रीन टाइम और स्कूल बर्डन के साथ बच्चों का बाहर जाकर फिजिकल एक्टिविटी करने का समय नहीं मिल पाता। दिनभर एक ही जगह बैठकर पढ़ने या मोबाइल या टीवी देखने से वजन में वृद्धि हो सकती है। CDC के अनुसार, 3-5 वर्ष की उम्र के बच्चों को पूरे दिन शारीरिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए। 6-17 वर्ष की उम्र के बच्चों को रोजाना कम से कम 60 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी की जरूरत होती है। वॉकिंग, जॉगिंग, साइकिलिंग, स्वीमिंग या फिर केवल कुछ देर चलने से ही बच्चों की कैलोरी बर्न होती है। इससे उनका वजन मेंटेन रहता है और हड्डियों में भी ताकत आती है।
नींद की कमी चाइल्डहुड ओबेसिटी का मुख्य कारण है। एक्सपर्ट मानते हैं कि बेहतर नींद लेने से बच्चे डायबिटीज, ओबेसिटी, इंज्यूरीज , ध्यान और व्यवहार संबंधी समस्याओं से बचे रह सकते हैं। CDC के अनुसार, प्रीस्कूलर्स को कम से कम 11-13 घंटे की नींद लेनी चाहिए। 6-12 साल के बच्चों को रात में 9-12 घंटे की नींद की जरूरत होती है और 13-18 साल के युवाओं को 8-10 घंटे सोना ही चाहिए।
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