Breast Cancer Awareness Month
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Breast Cancer Awareness Month : क्‍या कीमोथेरेपी से बच सकती है मेटास्टेटिक ब्रेस्‍ट कैंसर के मरीज की जान

अक्टूबर माह को 'ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ 2023' के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में ब्रेस्‍ट कैंसर के प्रति जागस्‍कता बढ़ाना है। यहां मेटास्टेटिक ब्रेस्‍ट कैंसर के बारे में बताया गया है
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हाइलाइट्स :

  • मेटास्टेटिक, ब्रेस्‍ट कैंसर की आखिरी स्‍टेज।

  • लक्षणों पर ध्‍यान देना जरूरी।

  • आखिरी स्‍टेज पर कीमोथेरेपी नहीं झेल पाता मरीज।

  • सांस लेने में तकलीफ कीमोथेरेपी का मुख्‍य साइड इफेक्‍ट।

Breast Cancer Awareness Month : कुछ दिनों पहले मैं अपनी एक परिचित के संपर्क में आई, जिन्‍हें मेटास्‍टेटिक ब्रेस्‍ट कैंसर का निदान किया गया। दो से तीन दिन में उनकी पहली कीमोथेरेपी शुरू कराई गई। थेरेपी के बाद उन्‍हें आराम नहीं मिला और उनकी मौत हो गई। यह इकलौता मामला नहीं है और भी ऐसे बहुत से लोग हैं, जो कीमोथेरेपी के बाद अपनी जान गंवा देते हैं। तो क्‍या इसका मतलब यह है कि कीमोथेरेपी किसी की जान ले सकती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कीमोथेरेपी से मौत नहीं होती। लेकिन ये कुछ लोगों के लिए साइड इफेक्ट पैदा करती है। कीमोथेरेपी एक उपचार है, जिसका उपयोग कई तरह के कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। यह कैंसर और ओरल टैबलेट के रूप में आता है, जो कैंसर सेल्‍स को नष्‍ट करता है। मेटास्टेटिक कैंसर के मामले में कीमो के बाद भी मरीज का बचना थोड़ा मुश्किल मुश्किल होता है। तो आइए जानते हैं आखिर क्‍या है मेटास्टेटिक ब्रेस्‍ट कैंसर और क्‍यों कीमो के बाद भी नहीं रहती जान की गारंटी।

मेटास्टेटिक ब्रेस्‍ट कैंसर एक डरावनी स्‍टेज

भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सौरभ दीक्षित के अनुसार, ब्रेस्‍ट कैंसर एक माइक्रो मेटास्टेटिक डिजीज है। इसका मतलब है कि ब्रेस्‍ट कैंसर केवल ब्रेस्‍ट में ही नहीं है, बल्कि यह ब्रेस्‍ट या इसके आसपास के हिस्‍से जैसे किडनी, चेस्‍ट ब्रेन, लंग्‍स में फैल चुका है। यानी ये अपनी चौथे स्‍टेज में पहुंच चुका है। ब्रेस्‍ट कैंसर की जर्नी में इस तरह का कैंसर एक डरावनी स्‍टेज है। इस स्‍टेज तक आते-आते मरीज काफी कमजोर हो जाता है और उसकी कीमो झेलने की क्षमता कम हो जाती है।

मेटास्टेटिक ब्रेस्‍ट कैंसर के लक्षण

  • हड्डियां, जोड़ों, कमर या पेडू में दर्द हो सकता है।

  • ब्रेस्‍ट के अलावा शरीर के कई हिस्‍सों में भी गांठ महसूस हो सकती है।

  • सांस लेने में तकलीफ के साथ ही छाती में दर्द हो सकता है।

  • वजन कम होना और भूख न लगना।

  • थकान और कमजोरी बने रहना।

लास्‍ट स्‍टेज में कितने दिन जिंदा रहता है मरीज

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण लास्‍ट स्‍टेज तक पहुंचकर काफी गंभीर हो जाते हैं। इसलिए कीमो होने के बाद भी जिंदा रहने की संभावना काफी कम होती है। cancer.net के मुताबिक कैंसर अगर ब्रेस्‍ट सेल्‍स में ही है, तो 90 प्रतिशत से ज्‍यादा मरीज 5 साल तक जिंदा रह सकते हैं। वहीं 10 साल तक इसकी सर्वाइवल रेट 84 प्रतिशत है। डॉक्‍टर सौरभ बताते हैं कि स्‍टेज 4 में बहुत अच्‍छा सर्वाइवल नहीं है। मान लीजिए अगर किसी के ब्रेन में छोटा सा मेटास्टेटिस है, कीमो के द्वारा उसे निकाल दिया गया, तो मरीज को कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन ये दिमाग के ऐसे हिस्‍से में पहुंच गया जहां सास या हार्ट का कंट्रोल है या जहां से इसे निकालना संभव नहीं है। उस मामले में मरीज ज्‍यादा से ज्‍यादा दो साल तक ही जी सकता है।

कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट

लास्‍ट स्‍टेज कैंसर में कीमोथेरेपी कराने के बाद कुछ मरीजों में साइड इफेक्ट देखने को मिलते हैं-

  • उल्‍टी और चक्‍कर आना

  • मुंह के स्‍वाद में बदलाव

  • थकान

  • सांस लेने में तकलीफ

  • भूख न लगना

  • बालों का झड़ना

मेटास्टेटिक ब्रेस्‍ट कैंसर के रिस्‍क को कैसे कम किया जा सकता है

सबसे अच्‍छा तरीका है कि आप अपनी ओवरऑल हेल्‍थ पर नजर बनाएं रखें और लक्षणों की पहचान करते रहें। हालांकि कीमोथेरेपी का उपचार मेटास्टैटिक कैंसर को ठीक नहीं कर सकता है, लेकिन कुछ मरीजों में यह इसे धीमा जरूर कर सकता है।

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