25 जुलाई को ही शपथ क्यों लेते है राष्ट्रपति? जानिए कारण
राज एक्सप्रेस। द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति बन चुकी हैं। आज सुबह चीफ जस्टिस एन.वी रमना ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलवाई। इस दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई मंत्री और नेता राष्ट्रपति भवन में मौजूद थे। द्रौपदी मुर्मू भारत की 10वीं राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ ली है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत के राष्ट्रपति 25 जुलाई को ही शपथ क्यों लेते हैं? आइये जानते हैं।
क्या कहता है संविधान?
दरअसल भारत में राष्ट्रपति का पद सबसे महत्वपूर्ण पद होता है। भारत के इतिहास में ऐसा कोई दिन नहीं बीता होगा, जब देश के राष्ट्रपति के पद पर कोई व्यक्ति ना रहा हो। राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने के तुरंत बाद नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाई जाती है। हालांकि संविधान में राष्ट्रपति के शपथ लेने की तारीख का कोई उल्लेख नहीं है।
25 जुलाई ही क्यों?
दरअसल इमरजेंसी के बाद जब देश में राष्ट्रपति चुनाव हुए तो नीलम संजीव रेड्डी चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बने। रेड्डी पहले राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 25 जुलाई को इस पद की शपथ ली थी। 25 जुलाई को शपथ लेने वाले राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल इसी दिन खत्म हो जाता है और इसलिए अगला राष्ट्रपति भी 25 जुलाई को ही शपथ लेता है, ताकि राष्ट्रपति का पद एक दिन भी खाली ना रहे। रेड्डी के बाद भारत का कोई राष्ट्रपति ऐसा नहीं हुआ, जिसने अपना कार्यकाल पूरा ना किया हो।
किन-किन राष्ट्रपतियों ने ली शपथ?
द्रौपदी मुर्मू सहित भारत में अब तक 10 लोग 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ ले चुके हैं। इनमें नीलम संजीव रेड्डी, ज्ञानी जैल सिंह, रामास्वामी वेंकटरमन, शंकर दयाल शर्मा, केआर नारायनन, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी, रामनाथ कोविंद और द्रौपदी मुर्मू का नाम शामिल है।
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