बिलकिस बानो गैंगरेप केस
बिलकिस बानो गैंगरेप केसNaval Patel - RE

रेप आरोपियों को रिहा किए जाने के बाद पीड़िता के पास होते हैं क्या ऑप्शन? चलिए जानते हैं

रेप आरोपियों को रिहा किए जाने के बाद भी पीड़िता के पास कुछ ऐसे ऑप्शन होते हैं, जिनके तहत यदि वह चाहे तो आरोपी को फिर से जेल की सलाखों के पीछे भेज सकती है। लेकिन कैसे? चलिए जानते हैं।
Published on

राज एक्सप्रेस। कुछ दिनों पहले ही गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में आरोपियों को 15 साल की जेल के बाद रिहा किया गया है। जिसके बाद देश भर में कोर्ट के इस फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यही नहीं अब सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया गया है। कोर्ट ने सरकार से इस पूरे मामले को लेकर जवाब तलब करने के लिए कहा है। लेकिन इस बीच एक सवाल लोगों के मन में उठ रहा है कि अगर रेप के दोषी रिहा हो जाते हैं तो क्या पीड़िता उन्हें दोबारा जेल भेज सकती है? चलिए इस बारे में बात करते हैं।

रेप पीड़िता क्या कर सकती है?

देश की दंड संहिता के अंतर्गत रेप के आरोपियों के लिए सजा का प्रावधान है। यदि कोई रेप पीड़िता उक्त आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज करवाती है। तो इसके बाद उक्त व्यक्ति पर केस चलेगा। जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी और फिर सजा दी जाएगी।

  1. यदि 18 वर्ष से अधिक उम्र की लड़की के साथ रेप होता है तो 20 साल की सजा का प्रावधान है।

  2. यदि गैंग रेप होता है तो 20 साल की सजा के साथ आजीवन कारावास का प्रावधान है।

  3. यदि 12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ रेप होता है तो Pocso Act के अंतर्गत आरोपी को आजीवन जेल और फांसी की सजा का प्रावधान है।

  4. रेप के बाद मर्डर पर फांसी की सजा का प्रावधान है।

रेप आरोपी को रिहा करने के फैसले को चुनौती :

यदि रेप पीड़िता चाहे तो अदालत के इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती है। पीड़िता के पास केस को चैलेंज किए जाने के लिए तीन ऑप्शन होते हैं।

पहला आप्शन : जनहित याचिका

यह मुकदमेबाजी का एक ऐसा रूप है जिसे किसी भी व्यक्ति या संस्था के द्वारा दायर किया जा सकता है। इसके तहत मौलिक और धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर समाधान के लिए मांग हो सकती है। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के द्वारा अनुच्छेद 226 और अनुच्छेद 32 को ध्यान में रखते हुए इस जनहित याचिका पर विचार किया जा सकता है।

दूसरा आप्शन : पुनर्विचार याचिका

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले पर फिर से विचार करने के लिए यह याचिका दायर की जाती है। इसमें अनुच्छेद 137 के मुताबिक पीड़िता कोर्ट से आग्रह कर सकती है कि फैसले पर पुनर्विचार किया जाए। इस याचिका को फैसला किए जाने के 30 दिन के भीतर दायर करना जरुरी है।

तीसरा आप्शन : क्यूरेटिव पिटीशन

जब किसी अपराधी की दया याचिका को राष्ट्रपति के पास पहुंचाते हैं तब यह याचिका दायर होती है। इसके तहत आरोपी उसके लिए तय की गई सजा से बचने के लिए गुहार लगा सकता है। लेकिन यदि क्यूरेटिव पिटीशन में कोई फैसला हो गया तो वह अंतिम फैसला होता है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com