राष्ट्रपति शासन क्या होता है?
राष्ट्रपति शासन क्या होता है?Syed Dabeer Hussain - RE

जानिए राष्ट्रपति शासन क्या होता है? और यह किन परिस्थितियों में लगाया जाता है?

झारखंड राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की बात सामने आ रही है। राज्य के हेल्थ मिनिस्टर ने भी बयान दिया है कि, ‘राज्यपाल में दम है तो राष्ट्रपति शासन लागू करें।’ तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।
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राज एक्सप्रेस। खनन लीज घोटाले को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर कुर्सी को लेकर अभी तक सस्पेंस बना हुआ है। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस किसी भी समय अपना फैसला ले सकते हैं। वैसे चुनाव आयोग ने राज्यपाल को की गई अपनी सिफारिश में सोरेन की विधायकी खत्म करने की बात कही है। ऐसे में झारखंड का सियासी भविष्य अब राज्यपाल के हाथों में है। वैसे इस बीच झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की बात भी सामने आ रही है। राज्य के हेल्थ मिनिस्टर बन्ना गुप्ता ने भी बयान दिया है कि, ‘राज्यपाल में दम है तो राष्ट्रपति शासन लागू करें।’

राष्ट्रपति शासन क्या होता है?

दरअसल संविधान के आर्टिकल 356 के तहत ही किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। राज्य में राष्ट्रपति शासन दो तरीकों से लगाया जा सकता है। पहला यह कि जब राज्य में किसी भी दल के पास बहुमत ना हो और गठबंधन की सरकार भी ना चल पा रही हो या फिर राज्य की सरकार संविधान के अनुरूप काम नही कर पा रही हो तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा कर सकता है। इसके अलावा राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से विफल होने की स्थिति में केंद्र सरकार भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकती है।

कैसे लागू होता है राष्ट्रपति शासन?

राष्ट्रपति कैबिनेट की सहमति से किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला करता है, लेकिन राष्ट्रपति शासन लगने के 2 महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) द्वारा इसका अनुमोदन किया जाना जरूरी है। अगर उस समय लोकसभा भंग होती है, तो राज्यसभा में इसका अनुमोदन किया जाता है और फिर लोकसभा गठन होने के एक महीने में भीतर वहां भी अनुमोदन किया जाना जरूरी है। दोनों सदनों द्वारा अनुमोदन करने पर 6 माह तक राष्ट्रपति शासन रहता है। इसे 6-6 महीने करके 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

राष्ट्रपति शासन में क्या बदलता है?

राष्ट्रपति शासन लगने पर मंत्रिपरिषद को भंग कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति में राज्य की समस्त शक्तियां राष्ट्रपति के पास आ जाती हैं। राष्ट्रपति के आदेश पर राज्यपाल राज्य के मुख्य सचिव और अन्य सलाहकारों या प्रशासकों की मदद से कामकाज संभालता है। इसके अलावा राष्ट्रपति चाहे तो यह भी घोषणा कर सकता है कि राज्य विधायिका की शक्तियों का प्रयोग संसद करेगी। ऐसी स्थिति में संसद ही राज्य के विधेयक और बजट प्रस्ताव को पारित करती है।

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