कोरोना काल में नए रोग का कहर- अब उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के मिले इतने केस

उत्तराखंड की सरकार ने भी अन्‍य राज्‍यों की सरकार की तरह ब्लैक फंगस को एक महामारी यानी गंभीर रोग घोषित कर दिया है, यहां ब्लैक फंगस के इतने मरीजों की पुष्टि हुई है।
कोरोना काल में नए रोग का कहर- अब उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के मिले इतने केस
कोरोना काल में नए रोग का कहर- अब उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के मिले इतने केसSyed Dabeer Hussain - RE
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उत्तराखंड, भारत। देशभर में महामारी कोरोना ने पहले ही परेशान कर रखा था और इसी बीच देशभर में अब ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) का कहर बढ़ रहा है। अब तक कई राज्यों से इसके कुछ एक मामलें सामने आ चुके हैं और इस दौरान कई राज्यों की सरकारें ब्लैक फंगस को महामारी यानी गंभीर रोग घोषित कर दिया है। इसी कड़ी में अब उत्तराखंड की सरकार ने भी ब्लैक फंगस को एक महामारी घोषित कर दिया है। यहां कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं।

उत्तराखंड में ब्लैक फंगस और कोरोना के केस :

उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग की ओर से सामने आई जानकारी के अनुसार, ''उत्तराखंड में ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के कुल 65 मरीजों का पता चला है और यह भी बताया गया है कि, 65 मरीजों में से 61 मरीज एम्स ऋषिकेश में भर्ती हैं।''

20 दिनों में 1,22,949 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं, उत्तराखंड जैसी स्टेट के हिसाब से यह आंकड़ा बहुत ज्यादा है।

उत्तराखंड राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी

इन राज्‍यों में ब्लैक फंगस को महामारी का दर्जा :

दरअसल, देश में धीरे-धीरे अपने पैर पसारते हुए ब्लैक फंगस अब कई राज्यों में राज कर रहा है, जिसके चलते अभी तक इन राज्‍यों हरियाणा, राजस्‍थान, बिहार और उत्तराखंड की सरकार ने ब्लैक फंगस को एक महामारी का दर्जा दे दिया है। तो वहीं, उत्तराखंड राज्य में कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस के मरीज की तादाद बढ़ती ही रही हैं। इसी बीच प्रदेश की तीरथ सरकार द्वारा बीते दिन शनिवार को ही इसे महामारी घोषित कर दिया है।

केंद्र सरकार को ब्लैक फंगस की दवा की डिमांड :

बता दें कि, उत्तराखंड सरकार ब्लैक फंगस दवा के संकट से जूझ रही है, सरकार की उम्मीदें फिलहाल राज्य में दवा उत्पादन पर टिकी हैं। केंद्र सरकार की टीम राज्य में दौरा करके चली गई है। इस बीच सरकार ने केंद्र सरकार को ब्लैक फंगस की दवा की डिमांड भेजी है।

जानकारी के लिए बताते चलें कि, यदि किसी भी बीमारी को अधिसूचित या नोटिफाइड डिजीज घोषित कर दिया जाता है। तो, उस बीमारी से जुड़ी जानकारी और सूचनाओं को एकत्रित करने में आसानी हो जाती है और अधिकारियों को उस बीमारी से ग्रसित मरीजों की निगरानी करने और प्रारंभिक चेतावनियां सेट करने में मदद मिल जाती है।

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