UP STF : कौन है विनोद उपाध्याय, कैसे बना कुख्यात माफिया, यूपी STF ने क्यों किया एनकाउंटर, पढ़िए पूरी रिपोर्ट
हाइलाइट्स :
यूपी एसटीएफ ने गैंगस्टर विनोद उपाध्याय का किया एनकाउंटर।
आरोपी को क्राइम ब्रांच और उत्तरप्रदेश पुलिस 7 महीनों से तलाश कर रही थी।
2004 में थप्पड़ का बदला विनोद उपाध्याय ने 2005 में मर्डर से लिया था।
उत्तरप्रदेश। उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले के कुख्यात गैंगस्टर विनोद उपाध्याय को यूपी STF की टीम ने शुक्रवार की सुबह हुई मुठभेड़ में एनकाउंटर कर दिया है। विनोद उपाध्याय के सर पर 1 लाख रूपए का इनाम रखा गया था। यूपी पुलिस को बदमाश के सुल्तानपुर में होने का इनपुट मिला था। बता दें कि विनोद उपाध्याय ने साल 2004 में गोरखपुर की जेल में जीतनारायण नाम के अपराधी ने विनोद को थप्पड़ जड़ दिया था जिसके बाद विनोद जब 2005 में जेल से बाहर निकला तो उसने जीतनारायण की हत्या कर दी थी।
कौन है पंकज उपाध्याय ?
पंकज उपाध्याय ने 2002 में चुनाव लड़ने की बजाय अपने ही साथी को चुनाव लड़वाया। गोरखपुर यूनिवर्सिटी का अध्यक्ष पद उसके खेमे में गया। उसके बाद विनोद ने राजनीति में अपने पैर पसारना शुरू कर दिया। गोरखपुर यूनिवर्सिटी से 10 साल जुड़े रहने के कारण उसने छात्रों की एक गैंग बना ली थी। उस वक़्त खेल जातिवाद का था, हरिशंकर तिवारी ब्राह्मणों के मुखिया हुआ करते थे और विनोद उनके ख़ास आदमी हुआ करते थे। 1997 में एक बाहुबली ठाकुर को गोलियों से भून दिया गया। विनोद का उस वक़्त अपराध जगत में नाम नहीं था। इस घटना के बाद वह अपराध की दुनिया में एक्टिव हो गया।
इसके बाद दिसंबर 2004 आया। नेपाल के भैरहवा का शातिर अपराधी जीतनारायण मिश्र ने विनोद को गोरखपुर जेल के अंदर थप्पड़ जड़ दिया था। जिसके बाद जीतनारायण को बस्ती जेल में भेज दिया गया। उसे 7 अगस्त 2007 को जमानत मिल गई। जीतनारायण अपने बहनोई के साथ बखीरा जाने के जीप पर बैठा तो उसे बदमाशों ने घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। 2 मिनट के अंदर की बहनोई और साले को मार दिया गया था। इस घटना को विनोद उपाध्याय ने ही अंजाम दिया था।
2007 में राजनीति में रखा कदम
विनोद उपाध्याय ने अपनी राजनीति बसपा के जरिए शुरू की थी। 2007 में बसपा ने गोरखपुर सीट से विनोद को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन नतीजे आए तो विनोद चौथे नंबर पर थे। बीजेपी ने इस सीट पर अपना कब्ज़ा जमाया था।
पीडब्ल्यूडी कांड
साल 2007 तक विनोद पर 9 मुकदमें दर्ज हो चुके थे। 2007 में सिविल लाइन्स इलाके में विनोद गैंग और लाल बहादुर गैंग के बीच जमकर फायरिंग हुई थी। विनोद गैंग के प्रमुख रिपुंजय राय और सत्येंद्र मारे गए थे। जिसके बाद 6 लोगों पर केस दर्ज किया गया था, लेकिन लाल बहादुर को आरोपी नहीं बनाया गया था। साल बदले लेकिन विनोद ने बदला लेना नहीं भूला। मई 2014 में में लाल बहादुर यादव गोरखपुर यूनिवर्सिटी आए तो गेट के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई। विनोद ने अपने साथियों की मौत का बदला पूरा कर लिया था। गोरखपुर कैंट पुलिस ने विनोद सहित 14 लोगों पर केस दर्ज किया था।
साल बदले पर नहीं बदला विनोद
विनोद उपाध्याय पर 2014 में आर्म्स एक्ट और गैंगस्टर एक्ट के तहत मुक़दमा दर्ज हुआ। 2020 तक विनोद पर अलग - अलग धाराओं में 25 केस दर्ज हुए। जमानत पर छूटा लेकिन फरार हो गया। पुलिस ने 25 हज़ार का इनाम घोषित किया था।
साल महीनों से तलाश रही थी पुलिस
विनोद उपाध्याय को 7 महीनों से यूपी एसटीएफ और गोरखपुर क्राइम ब्रांच की टीमें लगातार ढूंढ रही थी। विनोद यूपी के माफियाओं की टॉप 10 लिस्ट में शामिल था। विनोद उपाध्याय अयोध्या जिले के पुरवा का रहने वाला था और बीते साल सितंबर महीने में यूपी पुलिस ने उस पर 1 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था।
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