Uttar Pradesh : अतीक की हत्या की जांच सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से कराने की बहन की गुहार
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के पूर्व सांसद अतीक अहमद और अन्य की पुलिस हिरासत में हत्या की जांच एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कराने की मांग को लेकर अतीक अहमद की बहन ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
मेरठ की निवासी बहन आयशा नूरी ने अपने भाई अतीक, मोहम्मद अशरफ और अन्य की पुलिस हिरासत में 'हत्या' मामले की व्यापक जांच शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले आयोग से कराने की गुहार लगाई है। नूरी ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार पर बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया।
उनकी याचिका में राज्य में मुठभेड़ों, हत्याओं, गिरफ्तारियों और अपने परिवार के उत्पीड़न के राज्य सरकार के कथित अभियानों की एक स्वतंत्र जांच का आदेश देने की मांग की गई है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का हवाला देते हुए व्यापक जांच की गुहार लगाई गई है।
अतीक की बहन ने अपनी याचिका यह भी तर्क दिया कि गवाह उमेश पाल की हत्या के संबंध में दर्ज की गई प्राथमिकी में जिन छह लोगों को आरोपी के रूप में नामित किया गया है, उनमें से सभी को उत्तर प्रदेश पुलिस ने कथित 'मुठभेड़ों में मार दिया है' या 'पुलिस हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई है।'
याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसे हालात में यह अनुमान लगाने के लिए पर्याप्त तथ्य हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार खुद को उमेश पाल हत्याकांड में न्यायाधीश और निष्पादक के रूप में अपनी भूमिका मान रही है।
याचिका में अपनी मांग के संदर्भ में कहा गया है, "इस तरह की जांच का उद्देश्य संविधान के तहत नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की गारंटी के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है और यह सुनिश्चित करना है कि जहां भी राज्य के अधिकारी/ प्रतिनिधि और निकाय हिरासत में किसी भी मामले में शामिल हों, उन्हें उनके पद की परवाह किए बगैर घटना के लिए जवाबदेह ठहराया जाए।"
याचिकाकर्ता नूरी ने दावा किया कि उसके परिवार के सदस्यों - अतीक अहमद, खालिद अजीम उर्फ अशरफ और अतीक के बेटे असद और उनके सहयोगियों की मौतें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 'मौतों का बदला लेने के लिए किए गए शातिर और गैरकानूनी अभियान' का हिस्सा हैं।
फूलपुर के पूर्व सांसद अतीक और उनके पूर्व विधायक भाई की 15 अप्रैल को पुलिस हिरासत में तीन शूटरों मीडिया कर्मियों की मौजूदगी में करीब से उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब उन्हें मेडिकल जांच के लिए प्रयागराज के एक अस्पताल ले जाया जा रहा था। इससे ठीक दो दिन पहले 13 अप्रैल को अतीक के बेटे असद को भी उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की टीम ने झांसी में 'मुठभेड़' के दौरान मार गिराया था।
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