अक़ीदत के साथ मस्जिदों मे अदा हुई ईद उल अज़हा की नमाज़
अक़ीदत के साथ मस्जिदों मे अदा हुई ईद उल अज़हा की नमाज़Raj Express

अक़ीदत के साथ मस्जिदों मे अदा हुई ईद उल अज़हा की नमाज़, राहे खुदा मे क़ुरबान हुए बकरे और दुम्बे

प्रयागराज के ईदगाह सहित सभी छोटी बड़ी मस्जिदों में अक़ीदत के साथ ईद उल अज़हा की विशेष नमाज़ सुबह तय समय पर शान्ति और सदभाव के साथ अदा हुई। सभी ने एक दूसरे से गले लग कर ईद उल अज़हा की मुबारकबाद पेश की।
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राज एक्सप्रेस। प्रयागराज के ईदगाह सहित सभी छोटी बड़ी मस्जिदों में अक़ीदत के साथ ईद उल अज़हा की विशेष नमाज़ सुबह 7 बजे से लेकर 10:30 बजे तक तय समय पर शान्ति और सदभाव के साथ अदा हुई। सभी ने एक दूसरे से गले लग कर ईद उल अज़हा की मुबारकबाद पेश की। हज़रत इब्राहीम और हज़रत इसमाईल की सुन्नत पर अमल करते हुए घरों में जहां बकरों, भेड़ो व दुम्बे को राहे खुदा में क़ुरबान किया। वहीं बड़े जानवरों की क़ुरबानी निर्धारित जगहों पर की गई। क़ुरबानी के गोश्त का हिस्सा लगा कर गरीबों मिस्कीनो और ज़रुरतमंदों में तक़सीम किया गया, वहीं कुछ हिस्से पास पड़ोस व रिश्तेदारों के घरों में भी पहुँचाए गए।

चौक जामा मस्जिद में दो बार जमात का इन्तेज़ाम किया गया ताकि सड़कों पर नमाज़ न हो और सभी नमाज़ अदा कर सकें। वहीं चक शिया जामा मस्जिद में इमाम ए जुमा वल जमात सय्यद हसन रज़ा ज़ैदी तो शाह वसीउल्ला मस्जिद में मौलाना अहमद मकीन की क़यादत में हज़ारों लोगों ने सजदा ए माबूद में सर झुकाया। दायरा शाह अजमल की खानकाह मस्जिद में मौलाना शमशेर आज़म की इमामत में नमाज़ अदा की गई। वहीं मस्जिद क़ाज़ी साहब बख्शी बाज़ार में मौलाना सैय्यद शज़ान हैदर रिज़वी की क़यादत में नमाज़ ए ईदुल अज़हा अदा की गई। करैली वीआईपी कालोनी में हौज़ाए इलमिया जमीयतुल अब्बास में मौलाना कल्बे अब्बास साहब की क़यादत में नमाज़ अदा की गई। मस्जिद गदा हुसैन मस्जिद इमाम हुसैन, मस्जिद मौला अली, मस्जिद अबुबकर, मस्जिद ए मोहम्मदी, मस्जिद बीबी खदीजा सहित सभी छोटी बड़ी मस्जिदों में तय समय पर नमाज़ शान्ति और सदभाव के साथ अदा हुई।

राहे खुदा में अपनी सबसे अज़ीज़ चीज क़ुरबान करने के जज्बे का नाम है ईद उल अज़हा :

ईद उल अज़हा यानि ईद ए क़ुरबां यह वह दिन है जब हम सब जो बा हैसियत हैं उन पर फर्ज़ है क़ुरबानी। मौलाना सैय्यद शज़ान हैदर ने अपने खुत्बे में ईद ए क़ुरबाँ की फज़ीलत बयान की कहा पैग़म्बर हज़रत इब्राहीम ने ख्वाब में देखा की वह अपने बेटे हज़रत इसमाईल को राहे खुदा में ज़िब्हा कर रहे हैं उन्होने अपने फर्ज़न्द से सारा वाक़ेया सुनाया। बेटे ने कहा बाबाजान आप ने जो ख्वाब देखा है उसे अमल में लाएं। हज़रत इब्राहीम ने अपनी आँखों पर पट्टी बाँध कर बेटे को तैयार कर मेना की पहाड़ी के पास ले जाकर जब बेटे की गरदन पर छूरी फेरनी चाही तो खुदा ने बेटे हज़रत इसमाईल के स्थान पर एक दुम्बा भेज दिया और जब आँख पर से हज़रत इब्राहीम ने पट्टी हटाई तो सामने दुम्बे को ज़िब्हा पाया। तब से आज तक दुनिया भर में मुस्लमान ईद उल अज़हा पर बकरे दुम्बे भेड़ आदि की क़ुरबानी करते चले आ रहे हैं।

क़ुरबानी कराने को चिकवों के बढ़े भाव - दिन भर जानवरों को ज़िब्हा कराने को लोग चिकवों की मान मनव्वल करते रहे :

ईद उल अज़हा पर जानवरों को जल्द से जल्द ज़िब्हा करवाने को हर कोई जल्दबाज़ी ज़िब्हा रहा वहीं चिकवों के भाव बढ़े रहे। दिन भर लोग चिकवों की मान मनव्वल करते रहे। वहीं जानवरों की खाल को मदरसों में पहुँचाया गया जिसको बेच कर मदरसे द्वारा ग़रीबों व मिस्कीनो की मदद के साथ ज़रुरतमंदों की बेटीयों की पढ़ाई और शादी ज़िब्हा मदद की जा सके।

उम्मुल बनीन सोसाईटी के महासचिव सैय्यद मोहम्मद अस्करी, शिया सुन्नी इत्तेहाद कमेटी के किताब अली ऐडवोकेट, हसनी हुसैनी फाउंडेशन के सरबराह वज़ीर खाँ, समाजसेवी शाहिद प्रधान आदि ने ईद उल अज़हा के शान्तिपूर्वक सम्पन्न होने पर शासन प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया।

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