राजनाथ सिंह
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हमने PM विश्वकर्मा योजना के माध्यम से आपको पहचान पत्र देने की एक पहल की है: राजनाथ सिंह

यूपी के लखनऊ में आज 'पीएम विश्वकर्मा' योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, PM विश्वकर्मा योजना के तहत आपको सम्मान भी मिलेगा, पहचान भी मिलेगी और पहचान पत्र भी मिलेगा।
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उत्‍तर प्रदेश, भारत। भगवान विश्वकर्मा जयंती के पावन अवसर पर यूपी के लखनऊ में आज रविवार को 'पीएम विश्वकर्मा' योजना का शुभारंभ कार्यक्रम आयोजित हुआ। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पीएम विश्वकर्मा योजना लॉन्‍च की जा रही है।

पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए और कार्यक्रम को संबोधित कर कहा- भारत की उस संपन्नता और अमीरी के पीछे वैसे तो बहुत कारण थे। उनमें एक महत्वपूर्ण कारण हमारे कारीगर और शिल्पकार थे। लोहे का काम करने वाले हमारे लोहार बंधु, लकड़ी का काम करने वाले हमारे बढ़ई बंधु, जैसे अनेक अलग-अलग क्षेत्रों के कारीगरों ने अपनी प्रतिभा से अपनी जरूरत पूरी की। जो भारत अपने हस्तशिल्पियों की वजह से जाना जाता था, जो भारत अपने कारीगरों की वजह से जाना जाता था, जो भारत अपने बुनकरों की वजह से जाना जाता था, उस भारत में हमारे इन कामगार बंधुओ को भारत का अतीत कहा जाने लगा। 2014 में जब हमें आप सबका आशीर्वाद मिला, तो हमने सरकार में आने के साथ ही यह सुनिश्चित किया कि हम भारत की इस विरासत और परंपरा को समृद्ध बनाने की दिशा में काम करेंगे। हम इसका Revival करेंगे।

हमने हुनर हाट और उस्ताद योजना जैसे अनेक प्रयासों के माध्यम से आपकी विरासत को न सिर्फ संरक्षित करने का काम किया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि आप जो सामान बनाएं उसकी भारत तथा देश-दुनिया के मार्केट में डिमांड भी बढ़े। मैं आपको यह भी बताना चाहता हूं कि हमने DEFENCE SECTOR में भी मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही भारतीय सेना के उपयोग में लाए जाने वाली वस्तुओ को बनाने की ओर ध्यान दिया है। आज हमारी सेना के प्रयोग के लिए लगभग सारे हथियार fighter jet, tanks इत्यादि भारत में ही बन रहे हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

  • एक लाख करोड़ रुपए का साजो सामान हम अब अपने देश में ही तैयार कर रहे हैं। जो अब तक का भारत का record है। सेना की जरूरत के साजो-सामान हम सिर्फ बना ही नहीं रहे बल्कि हम बाहर के देशों को Export भी कर रहे हैं। डिफेंस एक्सपोर्ट के क्षेत्र में भी हमने इस वित्तीय वर्ष में 16,000 करोड़ के आँकड़े को पार कर लिया है। यह भी अपने आप में एक बड़ा record है। आज़ादी के बाद से अब तक भारत में पहली बार ऐसा हुआ है। मैं मानता हूँ इस साल यह बढ़ कर २५००० करोड़ तक पहुँच जायेगा।

  • हमने सरकार में आने के बाद ही बड़े उद्योग-धंधो के साथ-साथ छोटे उद्योग-धंधों को भी बराबर सम्मान दिया। हमने उन परंपरागत उद्योगों तथा सूक्ष्म उद्योगों के विकास के लिए काम करते हुए यह सुनिश्चित किया कि इन्हें अब भारत के अतीत के रूप में नहीं बल्कि भारत के भविष्य के रूप में देखा जाए। यहां यह सोचने की बात है कि आखिर जो समाज कभी इतना समृद्ध हुआ करता था, जिसके कारण पूरा देश ही सोने की चिड़िया माना जाता था, उस समाज की प्रतिभा इतनी तेज गति से लुप्त होने के कगार पर कैसे पहुंच गई।

  • हमने सबसे पहला काम आप लोगों को भारत की बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने का किया। हमने जब जन धन योजना के माध्यम से गरीबों के बैंक में खाते खुलवाए तो हमारा यह कहकर मजाक उड़ाया गया कि, इन खातों में अठन्नी और 1 रुपया जमा होगा। आंकड़े यह बताते हैं कि 50 करोड़ से अधिक जनधन खातों में आज 2 लाख करोड़ से अधिक रुपए जमा हैं। जिन जनधन खातों का मजाक उड़ाया गया आज उन्हें जनधन खातों से आपको गैस की सब्सिडी मिलती है, और उसी जनधन खाते के माध्यम से PM विश्वकर्मा योजना में भी आप लोगों को सहायता मिलेगी।

  • हमने PM विश्वकर्मा योजना के माध्यम से आपको पहचान पत्र देने की भी एक पहल की है। जैसा कि मैंने अभी आपसे जिक्र किया कि हमारे जो कारीगर और कामगार बंधु हैं, उनकी स्थिति खराब होने के सबसे बड़े कारणों में से एक कारण यह था कि पुरानी सरकारों द्वारा उनकी पहचान उनसे लगातार छीनी गई। जब बड़े-बड़े अधिकारियों के पास पहचान पत्र हो सकता है, डॉक्टर-इंजीनियर के पास पहचान पत्र हो सकता है तो आप सभी श्रमिकों, कारीगरों और कामगार बंधुओ के पास पहचान पत्र क्यों नहीं हो सकता? PM विश्वकर्मा योजना के तहत आपको सम्मान भी मिलेगा, पहचान भी मिलेगी और पहचान पत्र भी मिलेगा।

  • हमने PM विश्वकर्मा योजना के तहत ट्रेनिंग की व्यवस्था की है जिसमें 5 दिन की बेसिक और 15 दिन की एडवांस ट्रेनिंग आपको दिलाई जाएगी। यदि कुछ एक मौके पर उन्होंने ट्रेनिंग की व्यवस्था की भी, तो उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया है कि यदि कोई हमारा कारीगर या कामगार ट्रेनिंग के लिए आएगा तो उनकी उस दिन की रोजी-रोटी का इंतजाम कैसे होगा, उस दिन उनके घर में चूल्हा कैसे चलेगा। हमारी सरकार ने इन दोनों ही बातों का ध्यान रखा है। सबसे पहले तो हमने ट्रेनिंग के माध्यम से यह सुनिश्चित किया है कि उद्योग धंधे करने के नए तौर-तरीके से आप परिचित हों। ट्रेनिंग का मतलब, कि सरकार आपको नई नई चीजें सिखाएगी।

  • आपको यह सिखाया जाए, कि कैसे कम से कम पूंजी लगाकर आप ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा पाएँ।  इसके साथ-साथ हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि यदि आप यह सब सीखने के लिए आते हैं तो पूरी ट्रेनिंग के दौरान हर दिन के हिसाब से आपको ₹500 का भुगतान भी किया जाएगा। हम ऐसा इसलिए कर पा रहे हैं, क्योंकि हम जनता से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। हम जनता की भावनाओं को समझते हैं, हम जनता की समस्याओं को समझते हैं और उनका समाधान करने के लिए भी पूरी प्रतिबद्धता से काम करते हैं।

  • इस योजना में हमने यह भी प्रावधान किया है कि यदि हमारे कारीगर और कामगार बंधु अपने काम-धाम को फैलाना चाहते हैं, या फिर अपने पारंपरिक श्रम से संबंधित कोई नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो उनके लिए bank से ‘न के बराबर’ ब्याज पर 1 लाख रुपए तक का loan दिया जाएगा। अगर इस लोन से आपका बिजनेस अच्छा चल गया, और 18 महीने बाद आपको यदि जरूरत पड़ी तो उस लोन को 2 लाख तक भी बढ़ाया जाएगा।  साथियों, इस लोन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह कर्ज आपको सालाना 5% तक के बेहद मामूली ब्याज दर पर मिलेगा, जो कि लगभग न के बराबर है।

  • हमारी सरकार वैसी सरकार नहीं है जिसमें अपने दोस्तों और संबंधियों को बड़ी मात्रा में बैंक से लोन दिलवाया जाता है। हमारी सरकार इस देश की जनता की सरकार है। जनता और हमारे बीच विश्वास का एक अटूट बंधन है। हम जनता पर विश्वास करते हैं और जनता भी हम पर विश्वास करती है। पिछली सरकारों के दौरान केवल कुछ विशेष लोगों को ही लोन दिया जाता था। जो लोग सरकार के ज्यादा करीब थे, उन लोगों पर सरकार कुछ ज्यादा ही मेहरबान होती थी। पिछली सरकारों में बिना मतलब के ऐसे loans दिए गए, जिसका नतीजा देश को अब तक भुगतना पड़ रहा है।

राजनाथ सिंह ने आगे यह भी कहा- अब हमें आम आदमी पर, अपने गरीबों पर और अपने व्यवसायिओं पर विश्वास है। इस देश के गरीबों ने, यहां की जनता ने हम पर विश्वास जताया, हमें आशीर्वाद दिया, हमारी सरकार बनाई इसलिए हम भी यह पूरा प्रयास करते हैं कि उन्हें किसी भी तरह से सिक्योरिटी और गारंटी के मामले में परेशान ना किया जाए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत के छोटे कामगारों के माध्यम से देश की आर्थिक समृद्धि का सपना देखा था। बापू का मानना था कि यदि देश की छोटे उद्योग सशक्त हुए तो ग्रामोदय होगा और यदि इस देश के गाँवों का उदय हुआ तो हमारी विकास की गति और तेज होगी। बापू के उस सपने को साकार करने के लिए हम देश के छोटे उद्योगों को विकास की यात्रा में साथ लेकर चलने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। हमारा यह प्रयास आप सभी विश्वकर्मा बंधुओं के बिना पूरा नहीं हो सकता। इसलिए हम PM विश्वकर्मा के रूप में इस योजना के साथ आपके बीच आए हैं।

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