जयंती : मुलायम सिंह यादव के जीवन के पांच बड़े फैसले, जिनके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा
राज एक्सप्रेस। आज समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की जयंती है। 22 नवंबर 1939 को जन्मे मुलायम सिंह यादव का बीते महीने 10 अक्टूबर को निधन हो गया था। नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव की जयंती पर उनके पुत्र और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है कि, ‘धरतीपुत्र श्रद्धेय नेताजी की जयंती पर शत शत नमन!’ बता दें कि अपने लंबे राजनीतिक जीवन में मुलायम सिंह ने कई ऐसे बड़े फैसले लिए, जिनके लिए उन्हें सालों साल तक याद रखा जाएगा। इनमें से कुछ फैसलों के लिए उनकी तारीफ़ तो कुछ फैसलों के लिए आलोचना भी हुई।
समाजवादी पार्टी की स्थापना :
मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा फैसला साल 1992 में लिया था, जब उन्होंने जनता पार्टी से अलग होकर समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी। मुलायम सिंह का यह फैसला उनके राजनीतिक जीवन के लिए मददगार साबित हुआ। समाजवादी पार्टी की स्थापना के बाद मुलायम उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में मंत्री भी बने।
कार सेवकों पर गोली :
मुलायम सिंह यादव ने साल 1990 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान कार सेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था, जिसमें एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद मुलायम की मुस्लिम परस्त छवि बन गई। इसका उन्हें तत्कालिक लाभ जरूर हुआ, लेकिन उनके इस आदेश की आज भी आलोचना की जाती है।
शहीदों को घर पहुँचाना :
पहले जब सीमा पर कोई भी जवान शहीद हो जाता था तो उसका वहीं अंतिम संस्कार कर दिया जाता था। शहीद के घर वालों को सिर्फ उसकी वर्दी सौंपी जाती थी। लेकिन मुलायम सिंह जब रक्षा मंत्री बने तो उन्होंने इस परम्परा को बदलते हुए शहीदों के शव को सम्मानपूर्वक उनके घर भेजने और कलेक्टर-SP की मौजूदगी में पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ उसकी अंत्येष्टि करवाना भी सुनिश्चित कराया।
न्यूक्लियर डील का समर्थन :
साल 2008 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने अमेरिका के साथ परमाणु करार किया, जिससे वामपंथी दल नाराज हो गए और उन्होंने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। मुश्किल में फंसी मनमोहन सरकार को उस समय मुलायम सिंह यादव ने समर्थन देकर बचाया था।
अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाया :
साल 2012 में हुए उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में जब समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला तो लगा कि मुलायम एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन मुलायम ने बड़ा फैसला लेते हुए अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बना दिया।
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