लॉकडाउन में रमजान आने से मुस्लिमों में बेचैनी का आलम

लॉकडाउन के दौरान शुरू होने वाले रमजान को लेकर उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य इलाके रामपुर में मजलिए ए शूरा ने एक बैठक कर मैमोरेण्डम तैयार किया है साथ कमेटी द्वारा कुछ सलाह भी दी गई है।
लॉकडाउन में रमजान आने से मुस्लिमों में बेचैनी का आलम
लॉकडाउन में रमजान आने से मुस्लिमों में बेचैनी का आलमPriyanka Sahu -RE
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राज एक्सप्रेस। इन दिनों वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कहर के चलते 3 मई तक का लॉकडाउन जारी है और इसी बीच 24 या 25 अप्रैल से रमजान शुरू होने वाले है, ऐसे में उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य जिले रामपुर में लॉकडाउन के दौरान शुरू होने वाले पाक महीने रमजान में खाने-पीने का सामान और अफ्तार, सहरी के एहतेमाम (व्यवस्था) को लेकर आम जनमानस में खासी बेचैनी का आलम है।

लॉकडाउन 3 मई को खुलेगा की नहीं :

24 या 25 अप्रैल से शुरू हो रहे पाक परवरदिगार की रजा और खुशनूदी के लिए रमजान आने पर अब लोगों की चिंता लॉकडाउन को लेकर है और यह भी अंदेशा है कि, तालाबन्दी 3 मई को खुलेगी या नहीं। लिहाजा रमजान के करीब 10 दिन तो लॉकडाउन में ही आयेंगे, जबकि अगर तीन मई के बाद लॉक डाउन आगे बढ़ाया गया, तो रमजान के बाद नमाज ए ईद में भी खासी दुश्वारियों का सामना करना पड़ सकता है।

बैठक कर मैमोरेण्डम किया तैयार :

इस मौके पर लोग जम्मे गफीर (भीड़) की शक्ल में नमाज पढऩे ईदगाह और दूसरी बड़ी मस्जिद का रूख करते हैं, ऐसे में जिला रामपुर की जामा मस्जिद की कमेटी यानी मजलिए ए शूरा ने एक बैठक कर एक मैमोरेण्डम तैयार किया जिसे जिलाधिकारी को सौंप कर इसमें की गई मांगों की पूर्ति करने की इल्तिजा की गई है।

सिर्फ 5 लोग ही पढ़ सकते नमाज :

लॉकडाउन के नियम के मुताबिक, मस्जिदों के अन्दर नमाज सिर्फ 5 लोग ही पढ़ सकते हैं और नियम तोड़ने पर वैधानिक कार्यवाही भी की जा रही हैं। इसके साथ ही मजलिस ने लोगों से भी यह अपील भी की है कि, रमजान में भी इस नियम को तोड़ने की कोशिश न करें और अपने अपने घरों में ही नमाज कायम की जाये। अगर किसी घर में हाफिज है तो कुरआन सुनने और तरावीह पढऩे की भी अपील की गई है।

तरावीह नमाज दिन की आखिरी नमाज के साथ पढ़ी जाती है, जिसमें कुरआन सुनने का अमल नमाज के दौरान लाया जाता है। तरावीह नमाज करीब एक या डेढ़ घण्टे की होती है। कोविड 19 से बचने के लिए ऐसा पहली बार हो रहा है कि, नमाजों की व्यवस्था आम लोगों द्वारा अपने ही घरों में की जा रही है, ताकि सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) का पालन कर बीमारी से निजात पाई जा सके।

कमेटी ने लोगों को दी सलाह :

इस दौरान जामा मस्जिद की कमेटी ने लोगों को सलाह दी है कि, अगर घर में लोगों में से कोई इमामत कर सकता है, तो घर के लोग एक साथ जमात की नमाज घर में अदा करेंगे और अगर घर में कोई हाफिज कुरआन न हो तो तरावीह की नमाज में सूरत अलमतरा से सूरत नास तक पढ़ कर नमाज तरावीह बजमात अदा की जाये। रोजा खोलने के समय और तहज्जुद के समय दुआओं का विशेष एहतमाम करें और इस बीमारी से पूरी इंसानियत की हिफाजत के लिए खुसूसी दुआएं करें।

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