राज एक्सप्रेस। इन दिनों मशहूर शायर फैज़ अहमद फैज़ की नज़्म 'हम देखेंगे' पर बवाल हो रहा है। इस नज़्म की आखिरी पंक्ति को हिंदू विरोधी बताया गया है। नज़्म की वो पंक्ति हिंदू विरोधी है या नहीं उसकी जाँच के लिए बकायदा एक कमेटी बिठाई गई है।
इन सबके बीच फैज़ अहमद फैज़ की बेटी का बयान आया है। शायर फैज़ की बेटी सलीमा हाशमी ने पूरे विवाद को हास्यास्पद बताया।
उनका कहना है कि, 'वह इस नज़्म के हिंदू विरोधी होने पर हुए विवाद से दुःखी नहीं हैं बल्कि यह बेहद हास्यास्पद है।'
नज़्म को हिंदू विरोधी कहना 'बेतुका' है
मशहूर लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने फैज़ की नज़्म पर हुए विवाद को बेतुका और मजाकिया बताया है। उन्होंने कहा फैज की नज़्म को एंटी हिंदू कहना ' बेतुका और मजाकिया' है और इस प्रकरण पर गंभीरता से बात करना मुश्किल है।
जावेद अख्तर ने बताया कि फैज़ ने ये नज़्म कब और किसके विरोध में लिखी थी। जावेद अख्तर ने बताया कि, फैज अहमद फैज अविभाजित भारत में बड़े और प्रगतिशील लेखकों के एक अग्रणी सितारे की तरह थे। चूंकि शायर फैज़ पाकिस्तान हुकूमत के खिलाफ लिखते आए हैं इसलिए उन्हें वहां 'एंटी पाकिस्तानी' कहा जाता था। यही कारण है कि, उन्होंने अपना ज्यादा समय पाकिस्तान से बाहर गुज़ारा।
हमारे यहाँ भी यही हो रहा है। यहां पर मौलिक अधिकारों की बात कहने पर भारत विरोधी कहा जाने लगता है, उसी तरह फैज के साथ पाकिस्तान में हुआ।
ये है पूरा विवाद
दरअसल जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के समर्थन में आईआईटी कानपुर के छात्रों ने शांतिपूर्ण रैली निकालते वक्त मशहूर शायर फैज़ की यह नज़्म गाई थी। जिसके बाद संस्थान के फैकल्टी सदस्यों तथा अन्य लोगों ने नज़्म को एंटी हिंदू बताया था।
शिकायत के बाद आईआईटी कानपुर ने एक कमेटी बनाई है जो जाँच करेगी की शायर फैज़ की ये नज़्म 'एंटी हिंदू' है या नहीं।
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