सीमा पर तनाव, भारत ने अपना ट्रम्प कार्ड SFF निकाला

"भारत-चीन युद्ध के बाद यह 1962 में स्थापित किया गया। अपनी स्थापना के बाद से ही SFF गुप्त संगठन के तौर पर देश की सेवा कर रहा है।"
भारत की सीमा पर चौकसी करता सेना का जवान। - सांकेतिक चित्र
भारत की सीमा पर चौकसी करता सेना का जवान। - सांकेतिक चित्र - Social Media
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हाइलाइट्स –

  • राज एक्सप्रेस पर जानें SFF के राज

  • अब तक गुप्त संगठन था एसएफएफ

  • कमांडो की शहादत ने बदला इतिहास

राज एक्सप्रेस। भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच, भारत ने अपने तुरुप के पत्ते SFF पर भरोसा जताया है।

क्या है SFF?-

दरअसल द स्पेशल फ्रंटियर फोर्स ही एसएफएफ (SFF) के नाम से जाना जाता है। भारत-चीन युद्ध के बाद यह 1962 में स्थापित किया गया। अपनी स्थापना के बाद से ही SFF गुप्त संगठन के तौर पर देश की सेवा कर रहा है। यह संगठन कैबिनेट सचिवालय की परिधि में आता है।

गुरिल्ला फोर्स-

SFF में शामिल इकाइयों को विकास बटालियन के रूप में जाना जाता है। SFF भारतीय सेना का सबसे गुप्त गुरिल्ला बल (Guerrilla Force) है जिसमें प्रमुख रूप से निर्वासित तिब्बती शामिल हैं।

SFF की शुरुआत में भारत में रह रहे निर्वासित तिब्बतियों को ही शामिल किया जाता था। फिर बाद में इस फोर्स में लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के जुझारू रहवासियों को भी शामिल किया गया।

इनकी खूबी-

एसएफएफ रंगरूटों को उच्च-ऊंचाई वाले पैराट्रूपर्स, कमांडो के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। ये घात लगाने, कठिनतम परिस्थितियों में भी अस्तित्व बचाए रखने, विध्वंस और तोड़फोड़ करने की कला में खासे पारंगत होते हैं।

कौन हैं नइमा तेनजिन?-

विभिन्न अवसरों पर अपना सैनिक कौशल और शूरवीरता सिद्ध करने के बावजूद, SFF प्रकाश में नहीं आया है। लेकिन, चीजें तब बदल गईं जब SFF के एक तिब्बती कमांडो नइमा तेनजिन (Nyima Tenzin) माइन-ब्लास्ट में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC-एलएसी) के पास शहीद हो गए।

इतिहास में पहली बार-

58 सालों के इतिहास में पहली बार भारत एसएफएफ को मान्यता देने सामने आया और शहीद नइमा तेनजिन को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

कमांडो तेनजिन के अंतिम संस्कार में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भी शामिल हुए।

राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने इस बारे में ट्वीट किया था कि; "ऐसे जांबाज बहादुर सिपाहियों के बलिदान से ही भारत-तिब्बत सीमा पर शांति स्थापित होगी।" हालांकि बाद में उन्होंने अपना ट्वीट हटा दिया था।

चीन को करारा जवाब-

वर्षों तक एसएफएफ को पर्दे में रखने के बाद, अचानक भारत ने चीन (China) को करारा जवाब देने के लिए संगठन की उपस्थिति को प्रकाश में लाया।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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