सरकार द्वारा अनाथ बच्चों को दी जाने वाली मदद की जांच करेगा सुप्रीम कोर्ट

PM मोदी ने हाल ही में महामारी की चपेट में आए लोगों के अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी उठाने की बात कही थी। वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बच्चों को दी जा रही मदद की जांच करने की बात कही है।
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राज एक्सप्रेस। भारत में कोरोना का कहर अब भी जारी है। देश में कोरोना महामारी एक ऐसा संकट लेकर आई है। जिसके चलते कई लोगों ने अपने करीबियों को खो दिया। इतना ही नहीं इन लोगों में कई तो ऐसे बच्चे भी शामिल हैं, जिन्होंने इस महामारी के दौर में अपने माता-पिता को खो दिया है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बड़ा ऐलान करते हुएमें इस महामारी की चपेट में आए लोगों के अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी उठाने की बात कही थी। वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बच्चों को दी जा रही मदद की जांच करने की बात कही है।

केंद्र ने माँगा समय :

दरअसल, पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान कर देश में कोरोना के दौरान अनाथ हुए बच्चों की जिम्मेदारी उठाने की बात कही थी। इस ममले पर बच्चों को दी जा रही मदद पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जांच करने के आदेश दिए हैं। हालांकि, सुनवाई के दौरान केंद्र द्वारा घोषणा के तहत इन बच्चों के लिए जिस PM केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना का जिक्र किया गया था। उसके तौर तरीके और प्रक्रिया तय करने के लिए कुछ और समय की मांग की है। सरकार का कहना है कि, 'इस मामले में सभी स्टेकहोल्डरो से बातचीत चल रही है।'

वरिष्ठ वकील ने रखा केंद्र का पक्ष :

बताते चलें, इस मामले में हो रही सुनवाई के दौरान केंद्र का पक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील ऐश्वर्या भाटी ने रखा। उन्होंने पक्ष रखते हुए कहा कि, 'मृत्यु दर का मामला अभी भी केंद्र द्वारा देखा जा रहा है। कोविड -19 महामारी के दौरान अनाथ बच्चों पर खर्च किए जा रहे पैसे और उनके लिए पीएम केयर्स फंड का उपयोग कैसे किया जाए, इस पर यूओआई द्वारा सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है।'

केंद्र सरकार ने बताया :

केंद्र सरकार की तरफ से वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, 'महामारी के दौरान इन अनाथ हुए बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी जिला मजिस्ट्रेट (DM) को सौंपी गई है। कोरोना के कारण अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों को कैसे राहत और वित्तीय सहायता दी जाए, इस पर काम करने के लिए और समय की आवश्यकता है। PM केयर्स फंड के तहत सहायता के तंत्र के लिए सभी हितधारकों के साथ परामर्श चल रहा है।' केंद्र की दलील सुनने के बाद इस पर न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने मामले की सुनवाई की। जस्टिस राव सुनवाई करते हुए कहा, 'हमें केंद्रीय बाल एवं कल्याण मंत्रालय से एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) मिली है।'

PM मोदी का ऐलान :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनाथ बच्चों के लिए अपने आधिकारिक अकाउंट से घोषणा कर लिखा था कि, 'राष्ट्र के भविष्य का समर्थन !......COVID-19 के कारण कई बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया। सरकार इन बच्चों की देखभाल करेगी, उनके लिए सम्मानजनक जीवन और अवसर सुनिश्चित करेगी। बच्चों के लिए PM-CARES बच्चों को शिक्षा और अन्य सहायता सुनिश्चित करेगा।' इसके अलावाभी सरकार की तरफ से कई अन्य ऐलान भी किए गए थे।

सरकार द्वारा किए गए कई अन्य ऐलान :

बताते चलें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनाथ बच्चों की मदद करने के मकसद से कई ऐलान किये। इस मामले में अन्य जानकारी PMO द्वारा सामने आई। PMO द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 'कोरोना में अपने माता-पिता को खोने वाले सभी बच्चों को 'पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन' योजना के तहत सहायता दी जाएगी।

  • ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र में मासिक वजीफा और 23 साल की उम्र में PM केयर्स से 10 लाख रुपये का फंड दिया जाएगा।

  • अनाथ हुए सभी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाएगी। ऐसे में जो बच्चों उच्च शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं, उन्हें सरकार लोन लेने में मदद करेगी। इस लोन पर ब्याज का भुगतान पीएम केयर्स फंड से किया जाएगा।

  • आयुष्मान भारत योजना के तहत 18 साल तक के बच्चों को 5 लाख रुपये का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलेगा और प्रीमियम का भुगतान पीएम केयर्स फंड द्वारा किया जाएगा।

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