केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का सुझाव- कोरोना संक्रमण का टेस्ट मुफ्त हो

देश में महामारी कोरोना के हर दिन 15000 टेस्ट हो रहे हैं, इसी बीच कोर्ट ने केंद्र को सुझाव दिया कि, संक्रमितों की पहचान करने वाला हर टेस्ट मुफ्त हो, प्राइवेट लैब ज्यादा फीस लें तो वह पैसा सरकार चुकाए।
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राज एक्‍सप्रेस। देश में महामारी कोरोना वायरस को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को सुझाव दिए जाने का दौर जारी हैै, पार्टी के नेता के बाद अब सुप्रीम कोर्ट (SC) द्वारा भी बीते दिन केंद्र सरकार को सुझाव दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया सुझाव :

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कोरोना टेस्‍ट को लेकर सुझाव दिया है, कोर्ट का कहना है कि, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की पहचान के लिए होने वाला हर टेस्ट मुफ्त में किया जाए। वहीं, जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि, ऐसा तंत्र भी विकसित कीजिए, जिससे टेस्ट के लिए लोगों से ज्यादा फीस ली जाए तो उसे सरकार वापस लौटाए।

केंद्र ने बेंच को बताया :

इस दौरान केंद्र द्वारा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच को ये बताया गया कि, देशभर में 118 लैब में रोजाना 15,000 टेस्ट किए जा रहे हैं और हम इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए 47 प्राइवेट लैब को भी जांच की मंजूरी दे रहे हैं। डॉक्टरों और स्टाफ पर हमले के मद्देनजर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि डॉक्टर हमारे कोरोना वॉरियर्स हैं, उन्हें सुरक्षा दी जा रही है।

बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट शशांक देव सुधि ने याचिका दायर कर ये कहा था कि, कोर्ट केंद्र और अधिकारियों को निर्देश दे की कोरोना वायरस संक्रमण की जांच मुफ्त में की जाए, क्योंकि यह बेहद महंगी है।

वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि, अभी हालात लगातार बदल रहे हैं और इन परिस्थितियों में हमें कितनी प्रयोशालाओं की जरूरत होगी और यह लॉकडाउन कितना लंबा चलेगा। इस पर बेंच ने जवाब देते हुए कहा- केंद्र को यह निश्चित करना चाहिए कि निजी लैब जांच के लिए ज्यादा पैसे ना लें और साथ ही ऐसा मैकेनिज्म भी बनाएं, जिसके जरिए जांच के लिए ली गई फीस की वापसी की व्यवस्था हो।

इससे पहले 3 अप्रैल को हुुुुुई थी सुनवाई :

सुप्रीम कोर्ट में जब इससे पहले यानी 3 अप्रैल को इस मामले पर सुनवाई हुई थी, तो केंद्र सरकार से जवाब मांगा था, क्‍योंकि याचिकाकर्ता ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा जांच की फीस की सीमा 4 हजार 500 रुपए तय किए जाने पर भी सवाल उठाया था, साथ ही जांच सुविधाओं के जल्द विस्तार की भी मांग की थी और कहा था आम आदमी के लिए सरकारी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में जांच कराना मुश्किल है, ऐसे में वे निजी प्रयोगशालाओं और अस्पतालों में आईसीएमआर द्वारा तय की गई फीस देकर जांच करवाने के लिए विवश होंगे।

याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि, जांच ही एक रास्ता है, जिसके जरिए महामारी को रोका जा सकता है। अधिकारी पूरी तरह से इस हाल से पूरी तरह अनभिज्ञ और असंवेदनशील हैं कि, आम आदमी पहले से ही लॉकडाउन के चलते आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहा है।

वहीं, कोरोना वायरस के लिए बनी 'नेशनल टास्क फोर्स' की अनुशंसा पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने टेस्ट के संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें कहा था कि, कोरोना संक्रमण की जांच की फीस 4,500 रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, इसमें 1500 रुपए कोरोना संदिग्ध के स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए और संक्रमण की जांच के लिए किए जाने वाले टेस्ट की फीस 3000 रुपए तय की गई थी।

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