Maharashtra Political Crisis : SC ने उद्धव-शिंदे खेमे से मांगा हलफनामा, अगली सुनवाई अब 1 को
Maharashtra Political Crisis : महाराष्ट्र की राजनीति अभी तक चर्चा का विषय बनी हुई है। इस बीच आज बुधवार को महाराष्ट्र के सियासी संकट पर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे खेमे की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
अब 1 अगस्त को होगी अगली सुनवाई :
सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे खेमे की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच द्वारा आज सुनवाई की गई। इस दौरान सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव व शिंदे गुट से हलफनामा मांगा और कहा है कि, ''अगर जरूरी हुआ तो कुछ मुद्दे बड़ी बेंच यानी संवैधानिक पीठ को भेजे जा सकते हैं। इसकी अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी। सभी पक्ष मंगलवार तक जवाब दाखिल करें।''
शिंदे गुट के वकील का कहना :
सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे गुट की ओर से वकील हरीश साल्वे ने कहा- शिवसेना के भीतर लोकतंत्र का अयोग्यता की कार्यवाही के जरिए गला घोंट दिया गया। अगर पार्टी में भारी संख्या में लोग ये सोचते हैं कि, दूसरा आदमी अगुआई करे तो इसमें गलत क्या है। अगर आप पार्टी के भीतर ही पर्याप्त ताकत हासिल कर लेते हैं। पार्टी में ही रहते हैं और लीडर से सवाल करते हैं। आप उससे कहते हैं कि सदन में आप उसे परास्त कर देंगे तो ये दल-बदल नहीं है। दल-बदल तब है जब आप पार्टी छोड़ते हैं और दूसरों से हाथ मिला लेते हैं। तब नहीं, जब आप पार्टी में ही रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी किसी राजनीतिक दल की वर्किंग में दखल नहीं दिया है। दल-बदल कानून अपने आप नहीं लागू हो जाता है। इसके लिए भी पिटीशन लगती है।
अगर कोई सदस्य राज्यपाल के पास जाता और कहता कि विपक्ष को सरकार बनानी चाहिए तो ये खुद पार्टी छोड़ना कहलाता है। अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा देते हैं और दूसरी सरकार शपथ लेती है तो ये दल-बदल नहीं है।
वकील हरीश साल्वे
उद्धव गुट के वकील का कहना :
तो वहीं, उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा- शिवसेना से अलग होने वाले विधायक अयोग्य हैं। उन्होंने किसी पार्टी के साथ विलय भी नहीं किया। अगर शिंदे गुट की याचिका को सुना गया, तो ऐसे में हर चुनी हुई सरकार को गिराया जा सकता है। इससे लोकतंत्र खतरे में आ जाएगा। राजनीतिक पार्टी का मुद्दा खुद में एक सवाल है। जब अयोग्य सदस्य किसी व्यक्ति को चुनते हैं तो ये चुनाव ही सही नहीं है। लोगों के फैसले का क्या होगा? आप विधानसभा अध्यक्ष के अयोग्यता पर रोक लगा सकते हैं, लेकिन प्रोसीडिंग पर रोक कैसे लगाई जा सकती है। अब शिंदे गुट कह रहा है कि वो इलेक्शन कमीशन के पास जाएंगे। ये तो कानून का मजाक उड़ाना है। इस अयोग्य सरकार को एक दिन भी नहीं रहना चाहिए।
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