कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सरकार से पूछे सवाल
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कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सरकार से पूछे सवाल

किसान आंदोलन और कृषि कानूनों की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पष्ट कहा-इन कानूनों पर रोक लगाएं, वरना हमें लगाना होगा। हमें आज कोई कदम उठाना होगा।
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दिल्‍ली, भारत। देश में कृषि बिल के खिलाफ किसानों के आंदोलन को करीब सवा महीने से अधिक समय से होने को आया है, लेकिन इस पर घमासान अभी तक जारी है। हालांकि, अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है, जल्‍द ही कुछ समाधान होने की उम्‍मीद है। आज 11 जनवरी काे सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर सख्त रुख अपनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा-

दरअसल, आज किसान आंदोलन और कृषि कानूनों की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, ''जिस तरह से प्रक्रिया चल रही है, हम उससे निराश हैं।'' इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से स्पष्ट पूछा- क्या वह कानून को स्थगित करती है या फिर वह इसपर रोक लगा दे?

कृषि कानूनों पर आप रोक लगाएंगे या हम लगाएंगे :

कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार से कहा कि, ''अगर केंद्र सरकार कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक नहीं लगाना चाहती, तो हम इन पर रोक लगाएंगे। आपने इसे ठीक से नहीं संभाला है हमें आज कोई कदम उठाना होगा।''

सुनवाई के दौरान कोर्ट की तरफ से कही गई बातें-

  • किसान कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें समिति को अपनी आपत्तियां बताने दें, हम समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर सकते हैं ।

  • कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आपको भरोसा हो या नहीं, हम भारत की शीर्ष अदालत हैं, हम अपना काम करेंगे। हमें नहीं पता कि, लोग सामाजिक दूरी के नियम का पालन कर रहे हैं कि नहीं, लेकिन हमें उनके (किसानों) भोजन पानी की चिंता है।

  • कोर्ट ने कहा कि, हम अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ नहीं हैं, आप बताएं कि सरकार कृषि कानून पर रोक लगाएगी या हम लगाएं।

  • उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों को लेकर समिति की आवश्यकता को दोहराते हुए कहा कि, अगर समिति ने सुझाव दिया तो, वह इस कानून के लागू होने पर रोक लगा देगा।

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, वह चाहता था कि बातचीत के जरिए मामले का हल निकले, लेकिन कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक लगाने को लेकर केन्द्र की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। हम फिलहाल इन कृषि कानूनों को निरस्त करने की बात नहीं कर रहे हैं, यह एक बहुत ही नाजुक स्थिति है। हालांकि, कोर्ट ने फटकार लगाते हुए केन्द्र से कहा कि हमें नहीं पता कि आप समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का ।

  • अगर कुछ गलत हुआ तो हममें से हर एक जिम्मेदार होगा। कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते सीजेआई ने कहा कि हम किसी का खून अपने हाथ पर नहीं लेना चाहते हैं।

  • नए कृषि कानूनों पर सरकार से कोर्ट ने कहा, '' क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं। हमारे समक्ष एक भी ऐसी याचिका दायर नहीं की गई, जिसमें कहा गया हो कि ये तीन कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं।

  • चीफ जस्टिस ने ये भी कहा कि, ''कुछ लोगों ने आत्महत्या की है, बूढ़े और महिलाएं आंदोलन का हिस्सा हैं। ये क्या हो रहा है?। कृषि कानून अच्छे हैं, इसे लेकर एक भी याचिका नहीं दायर की गई है। हम नहीं जानते कि क्या बातचीत चल रही है? क्या कुछ समय के लिए कृषि कानूनों को लागू किया जा सकता है?''

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की ओर से कहा गया- दोनों पक्षों में बातचीत जारी है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा- नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से सरकार और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे हम बेहद निराश हैं।

बता दें कि, कृषि कानूनों की वैधता को एक किसान संगठन और वकील एमएल शर्मा ने चुनौती देते हुए याचिका में कहा- केंद्र सरकार को कृषि से संबंधित विषयों पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है। कृषि और भूमि राज्यों का विषय है और संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची 2 (राज्य सूची) में इसे एंट्री 14 से 18 में दर्शाया गया है। यह स्पष्ट रूप से राज्य का विषय है, इसलिए इस कानून को निरस्त किया जाए।

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