सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला- 152 साल पुराने कानून पर लगाई रोक
दिल्ली, भारत। सुप्रीम कोर्ट में आज बुधवार को देश में अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे एक कानून को लेकर बेहद ही सख्त फैसला सुनाया है। दरअसल, देशद्रोह कानून (Sediton Law) को संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से 152 साल पुराने राजद्रोह कानून के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए बड़ा फैसला सुनाया गया है।
देशद्रोह कानून पर तब तक रोक रहे, जब तक इसका पुनरीक्षण हो :
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने आज सुनवाई के दौरान अपना फैसला सुनाया, जिसमें कोर्ट ने कहा है कि, ''देशद्रोह कानून पर तब तक रोक रहे, जब तक इसका पुनरीक्षण हो। राजद्रोह की धारा 124-A में कोई नया केस नहीं दर्ज हो।''
पहले से दर्ज मामलों में भी कार्रवाई पर रोक :
जो लंबित मामले हैं उन पर यथास्थिति रखी जाए, जिनके खिलाफ राजद्रोह के आरोप में मुकदमे चल रहे हैं और वो इसी आरोप में जेल में बंद हैं, वो जमानत के लिए समुचित अदालतों में अर्जी दाखिल कर सकते हैं। अब इस मामले की सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी।
सुप्रीम कोर्ट
चीफ जस्टीस ने कहा है कि, ''केंद्र सरकार कानून पर पुनर्विचार करेगी।'' तो वहीं, सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से 1870 में बने 152 साल पुराने राजद्रोह कानून (IPC की धारा 124-ए) पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब दायर कर एसजी ने कहा कि, ''हमने एक प्रस्ताव तैयार किया है। हम एक संज्ञेय अपराध को नहीं रोक सकते जो कि किया जाएगा, लेकिन हमने एक प्रोपोजल तैयार किया है। एफआईआर तभी दर्ज हो, जब एसपी स्तर के अधिकारी या उससे ऊपर के अधिकारी को लगता है कि देशद्रोह का आरोप लगाया जाना चाहिए। आप निर्देश दे सकते हैं कि जमानत के आदेश पर शीघ्र निर्णय लिया जाए, लेकिन इससे परे एक ऐसे कानून पर बने रहना गलत होगा, जिसकी संवैधानिकता को पहले ही आंका जा चुका है।''
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