बिलकिस बानो केस में सरकार के फैसले पर SC की तीखी टिप्पणी- सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती
दिल्ली, भारत। साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई बिलकिस बानो के मामले की आज मंगलवार को फिर सुनवाई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई दिए जाने के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई हुई। ऐसे में आज कोर्ट में गुजरात सरकार की ओर से रिहाई से जुड़ी फ़ाइल दिखाने के आदेश का विरोध जताया है और अगली व अंतिम सुनवाई के लिए 2 मई की तारीख तय की है।
सरकार के फैसले पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी :
दरअसल, बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई जस्टिस केम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ कर रही है। इस दौरान पीठ की ओर से सरकार के फैसले पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, ‘सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती’, इसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती। जब ऐसे जघन्य अपराध जो कि समाज को बड़े स्तर पर प्रभावित करते हैं, उसमें किसी भी शक्ति का इस्तेमाल करते समय जनता के हित को दिमाग में रखना चाहिए है। केंद्र सरकार ने राज्य के फैसले के साथ सहमति व्यक्त की है तो इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य सरकार को अपना दिमाग लगाने की आवश्यकता नहीं है।
आज बिलकिस बानो है। कल आप और मुझमें से कोई भी हो सकता है, ऐसे में तय मानक होने चाहिए हैं, आप हमें कारण नहीं देते हैं तो हम अपना निष्कर्ष निकाल लेंगे। मेरे भाइयों और बहनों के साथ जो होता है वह निश्चित रूप से बहुत चिंता का विषय है।
जस्टिस केम जोसेफ
गुजरात सरकार का कहना :
गुजरात सरकार ने शीर्ष अदालत को आगे यह भी बताया कि, ''वह विकल्पों पर विचार कर रहा है और संभवत: अदालत के पहले के आदेश को चुनौती देगा, जिसमें दोषियों को छूट की फाइलें मांगी गई थीं। 9 सितंबर, 2022 को, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात को बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों को दी गई छूट से संबंधित दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर रखने को कहा था।''
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