जम्मू-कश्मीर, भारत। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को पिछले साल यानी 2019 से ही जन सुरक्षा कानून के तहत नजरबंद रखा गया है और वे अभी तक हिरासत में ही है, इस दौरान उनकी बेटी इल्तिजा ने रिहाई के लिए याचिका दायर की, जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा :
दरअसल, महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती की जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत अपनी मां को बंदी बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनावाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से पूछा- कब तक और किस आदेश के तहत केंद्र सरकार महबूबा मुफ्ती को हिरासत में रखना चाहती है। इस दौरान कोर्ट की ओर से सॉलिसिटर जनरल से महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा द्वारा दायर आवेदन पर एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
हमेशा के लिए नहीं हो सकती हिरासत :
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साफतौर पर ये बात भी कही कि, ''किसी को हमेशा हिरासत में नहीं रखा जा सकता और कोई बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए।'' इसकेे अलावा सुप्रीम कोर्ट ने इल्तिजा मुफ्ती और उनके भाई को मां महबूबा मुफ्ती से हिरासत में मिलने की अनुमति दे दी है एवं कोर्ट ने कहा कि, ''पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को पार्टी की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए अधिकारियों से अनुरोध करना चाहिए।''
15 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई :
अब सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी। दरअसल, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ती से पहले जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला सहित कई नेताओं को नजरबंद कर लिया गया था। हालांकि, हालात सामान्य होने के साथ इनमें से उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और कई अन्य नेता रिहा हो गए है, लेकिन महबूबा मुफ्ती की अभी तक रिहाई नहीं हुई। इसी के चलते महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी मां की लोक सुरक्षा कानून के तहत नजरबंदी (हिरासत) को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी।
दायर याचिका में इल्तिजा का कहना :
इल्तिजा मुफ्ती द्वारा अपनी मां की रिहाई के लिए दायर याचिका में कहा गया है कि, उनकी मां महबूबा मुफ़्ती को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है, उन्हें फरवरी में इस कानून के तहत हिरासत में लिया गया था और वह अभी तक हिरासत में ही हैं।
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